लोकमान्य तिलक की जयंती पर उनकी विरासत का सम्मान
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पुणे, 23 जुलाई, 2024: आज लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक की जयंती है, जो भारत के सबसे प्रतिष्ठित स्वतंत्रता सेनानियों और सामाजिक सुधारकों में से एक हैं। 1856 में आज ही के दिन महाराष्ट्र के रत्नागिरी में जन्मे तिलक का भारत की स्वतंत्रता संग्राम और सामाजिक सुधारों में योगदान देश के इतिहास पर अमिट छाप छोड़ गया है।
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
लोकमान्य तिलक, एक सुसंस्कृत और शिक्षित परिवार में जन्मे, ने पुणे में अपनी शिक्षा पूरी की और बाद में कानून की पढ़ाई की। उनके प्रारंभिक जीवन में देश के प्रति गहरी जिम्मेदारी और औपनिवेशिक शासन से भारत को मुक्त देखने की दृढ़ता थी।
स्वतंत्रता संग्राम में योगदान
तिलक एक अग्रणी पत्रकार थे, जिन्होंने अपने लेखन का उपयोग राष्ट्रीय चेतना को जागृत करने के लिए किया। उन्होंने मराठी में “केसरी” और अंग्रेजी में “द महरत्ता” नामक दो समाचार पत्र स्थापित किए, जो उनके विचारों को फैलाने और स्वतंत्रता आंदोलन के समर्थन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते थे। उनका साहसिक नारा, “स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है, और मैं इसे लेकर रहूंगा,” लाखों लोगों के दिलों में गूंज उठा और कई लोगों को स्वतंत्रता संग्राम में शामिल होने के लिए प्रेरित किया।
1916 में, तिलक ने एनी बेसेंट के साथ मिलकर होम रूल आंदोलन की शुरुआत की, जिसका उद्देश्य ब्रिटिश साम्राज्य के भीतर स्व-शासन प्राप्त करना था। उनकी सक्रियता राजनीति तक सीमित नहीं थी; उन्होंने शिक्षा को बढ़ावा देने, बाल विवाह का विरोध करने और महिलाओं और निम्न वर्गों के उत्थान की वकालत करने जैसे सामाजिक सुधारों का भी समर्थन किया।
सांस्कृतिक प्रभाव
तिलक के प्रयास केवल राजनीतिक सक्रियता तक सीमित नहीं थे। उन्होंने गणेश चतुर्थी और शिवाजी जयंती के उत्सव को लोकप्रिय बनाया, इन त्योहारों को सामाजिक और राजनीतिक जुटान के मंच में बदल दिया।
विरासत और श्रद्धांजलि
लोकमान्य तिलक की विरासत पीढ़ियों को प्रेरित करती रहती है। वे महात्मा गांधी सहित कई भविष्य के भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के नेताओं के मार्गदर्शक थे। उनके लेखन और भाषण स्वतंत्रता और न्याय को महत्व देने वालों के लिए प्रेरणा का स्रोत बने हुए हैं।
आज, उनकी जयंती पर, देश भर के शैक्षिक संस्थान विशेष कार्यक्रम, बहस और निबंध प्रतियोगिताओं का आयोजन कर उनके योगदान का सम्मान कर रहे हैं। सांस्कृतिक कार्यक्रमों में तिलक के जीवन को दर्शाते नाटकों और प्रदर्शनों का आयोजन किया जा रहा है। राजनीतिक नेता और नागरिक तिलक की प्रतिमाओं पर माल्यार्पण कर और उनके स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका को स्मरण कर श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे हैं।
लोकमान्य तिलक का स्व-शासन का दृष्टिकोण और स्वतंत्रता की relentless pursuit ने एक स्थायी विरासत छोड़ी है। उनकी जयंती उनके गहरे प्रभाव और देश की स्वतंत्रता और सामाजिक प्रगति के प्रति उनके अटूट समर्पण की याद दिलाती है।
जब हम इस महान नेता को स्मरण करते हैं, तो आइए उनके जीवन से प्रेरणा लें और एक बेहतर और अधिक न्यायपूर्ण समाज की दिशा में कार्य करें।
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