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    April 24, 2025

    कम होगी होम लोन की EMI, 7 द‍िन में दूसरा तोहफा, Income Tax के बाद ब्‍याज दर में कटौती।

    1 min read
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    आरबीआई के नए गवर्नर संजय मल्होत्रा ने अपने कार्यकाल की पहली एमपीसी मीट‍िंग में ब्‍याज दर कटौती का फैसला करके लोगों को खुश कर द‍िया है. पांच साल में यह पहला मौका है जब र‍िजर्व बैंक की तरफ से रेपो रेट में कटौती की गई है.

    अगर आप भी होम लोन की ईएमआई देते हैं या देने का मन बना रहे हैं तो यह खबर आपको खुश कर देगी. जी हां, देश के करोड़ों लोगों को सात द‍िन के अंदर दूसरा तोहफा म‍िला है. सरकार ने पहले 1 फरवरी को 12 लाख तक की आमदनी को टैक्‍स फ्री क‍िया था. अब आरबीआई ने रेपो रेट को कम करने का फैसला करके दूसरा तोहफा द‍िया है. रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (MPC) की तरफ से शुक्रवार को ब्याज दर में 25 बेस‍िस प्‍वाइंट कटौती की घोषणा की गई. इसके साथ ही रेपो रेट घटकर 6.25% पर आ गया.

    ब्‍याज दर में कटौती के फैसला से खुश हुए लोग
    आरबीआई के नए गवर्नर संजय मल्होत्रा ने अपने कार्यकाल की पहली एमपीसी मीट‍िंग में ब्‍याज दर कटौती का फैसला करके लोगों को खुश कर द‍िया है. पांच साल में यह पहला मौका है जब र‍िजर्व बैंक की तरफ से रेपो रेट में कटौती की गई है. 5 फरवरी को शुरू हुई तीन द‍िवसीय द्विमासिक समीक्षा के बाद केंद्रीय बैंक ने शुक्रवार को करोड़ों लोगों को राहत देते हुए रेपो रेट में कमी करने का फैसला क‍िया. रेपो रेट में कटौती होने के बाद उम्‍मीद है क‍ि बैंक होम लोन समेत अलग-अलग तरह के लोन पर ब्‍याज दर में कटौती करेंगे.

    ईएमआई में कमी का सीधा फायदा म‍िलेगा!
    रेपो रेट में कटौती का असर यह होगा क‍ि बैंक ग्राहकों को ब्‍याज दर और ईएमआई में कमी का सीधा फायदा म‍िलेगा. संजय मल्होत्रा ने दिसंबर में र‍िजर्व बैंक के गवर्नर का पद संभाला था. उनसे पूर्व गवर्नर शक्तिकांत दास के मुकाबले नरम रुख अपनाने की संभावना जताई जा रही है. शक्तिकांत दास ने प‍िछले दो साल तक ब्याज दर में क‍िसी तरह का बदलाव नहीं किया था. ब्लूमबर्ग के सर्वे में भी अध‍िकतर इकोनॉम‍िस्‍ट ने रेपो रेट में 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती की उम्‍मीद जताई थी. हालांक‍ि कुछ जानकार 50 बेसिस प्वाइंट तक की कटौती की भी उम्‍मीद कर रहे थे.

    आम सहमति से रेपो रेट में कटौती की
    आरबीआई के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने एमपीसी (MPC) की तीन दिन की मीट‍िंग में ल‍िये गए फैसलों के बारे में जानकारी देते हुए कहा क‍ि छह सदस्यीय समिति ने आम सहमति से रेपो रेट को 0.25 प्रतिशत कम करने का फैसला क‍िया है. ज‍िसके बाद यह 6.50 प्रत‍िशत से घटकर 6.25 प्रतिशत रह गई है. रेपो रेट वह ब्याज दर है, जिस पर कमर्श‍ियल बैंक अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिये केंद्रीय बैंक से कर्ज लेते हैं. रेपो रेट में कमी का मतलब मकान, वाहन समेत अलग-अलग लोन पर ईएमआई में कमी आने की उम्मीद है.

    खुदरा महंगाई दर 4.2 प्रतिशत रहने का अनुमान
    इसके अलावा एमपीसी ने अपने रुख को ‘तटस्थ’ बनाये रखने का फैसला क‍िया है . आरबीआई (RBI) ने अगले वित्तीय वर्ष के लिए आर्थिक वृद्धि दर 6.7 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है जबकि चालू वित्त वर्ष में इसके 6.4 प्रतिशत पर रहने के अनुमान को बरकरार रखा है. वहीं खुदरा महंगाई दर अगले फाइनेंश‍ियल ईयर में 4.2 प्रतिशत रहने का अनुमान है. चालू वित्त वर्ष में इसके 4.8 प्रतिशत रहने की संभावना जतायी गई है.

    फरवरी 2023 से एक ही लेवल पर कायम था रेपो रेट
    यह राहत म‍िड‍िल क्‍लास के ल‍िए इसल‍िए भी बड़ी मानी जा रही है क्‍योंक‍ि आरबीआई ने फरवरी 2023 से रेपो रेट को 6.50% पर स्थिर रखा हुआ है. दिसंबर 2024 में छह सदस्यीय एमपीसी (MPC) ने रेपो रेट को 11वीं बार 6.50% पर ही बरकरार रखा था. इससे पहले केंद्रीय बैंक मई, 2020 में रेपो रेट 0.40 प्रतिशत घटाकर 4 प्रतिशत पर लाया था.

    क्‍या होता है रेपो रेट?
    जिस रेट पर आरबीआई की तरफ से बैंकों को लोन द‍िया जाता है, उसे रेपो रेट कहते हैं. रेपो रेट बढ़ने का मतलब है क‍ि बैंकों को आरबीआई से महंगे रेट पर लोन मिलेगा. इससे होम लोन, कार लोन और पर्सनल लोन आद‍ि की ब्‍याज दर बढ़ जाएगी, ज‍िसका आपकी ईएमआई पर सीधा असर पड़ेगा.

    रेपो रेट और महंगाई का संबंध
    रेपो रेट का इस्‍तेमाल आरबीआई महंगाई को नियंत्रित करने के लिए भी करता है. जब इकोनॉमी तेजी से बढ़ रही होती है और महंगाई बढ़ती है तो केंद्रीय बैंक रेपो रेट बढ़ाकर खर्च को नियंत्रित करता है. इसके विपरीत, जब इकोनॉमी मंदी की ओर बढ़ रही होती है तो आरबीआई रेपो रेट कम करके खर्च और निवेश को प्रोत्साहित करता है.

    होम लोन लेने वालों के लिए अहम फैसला
    आरबीआई का रेपो रेट होम लोन समेत अन्‍य लोन की ब्याज दर तय करने में अहम भूमिका निभाता है. घर खरीदने का प्‍लान कर रहे लोगों को इस बैठक के फैसले का बेसब्री से इंतजार रहता है, क्योंकि इससे उनके लोन पर लगने वाले ब्याज पर असर पड़ेगा. अगर आरबीआई रेपो रेट बढ़ाता है तो बैंक अपनी लोन दरें बढ़ाते हैं, जिससे होम लोन महंगा हो जाता है. इसके उलट यद‍ि आरबीआई रेपो रेट कम करता है तो बैंक अपनी लोन दरें घटा सकते हैं, जिससे होम लोन सस्ता होगा.

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