हरियाणा के चुनावी मैदान में चार पूर्व मुख्यमंत्रियों के पोते-पोतियां, किसके लिए कितना आसान है सफर.
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अपवाद (Disclaimer) हर जगह होते हैं. हम भी इत्तेफाक रखते हैं. फिर भी ये सच है- ‘भारतीय राजनीति में हमेशा से ही परिवारवाद का बोलबाला रहा है’.
अपवाद (Disclaimer) हर जगह होते हैं. हम भी इत्तेफाक रखते हैं. फिर भी ये सच है- ‘भारतीय राजनीति में हमेशा से ही परिवारवाद का बोलबाला रहा है’. जम्मू-कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक शायद ही कोई जगह हो, जहां सियासत में लेटरल एंट्री (नेपोटिज्म और भाई-भतीजावाद) का जुगाड़ा न होता हो. हरियाणा भी इससे अछूता नहीं है. चुनावी रणभेरी बजते ही हर दल अपनी-अपनी जीत का दावा कर रहा है. जिताऊ उम्मीदवार ढूंढने के लिए माथापच्ची हो रही है. इस बीच खबर है हरियाणा के चार पूर्व मुख्यमंत्रियों के पोते-पोतियां भी चुनावी अखाड़े में ताल ठोक सकते हैं.
किसका कहां से दावा?
जाटों की चौधर हो या गैर जाट की सियासत. हर जगह अपने-अपने बच्चों को सेट कराने की मारा-मारी दिख रही है. कभी हरियाणा पर राज करने वाले ‘लाल’ परिवार हों या कोई अन्य पॉलिटिकल खानदान, बेटे-बेटियों के बाद अब पोता-पोतियों का नंबर आ गया है. ऐसे में अब उनका पॉलिटिकल करियर सेट करने की तैयारी है. कोई नाती-पोतों को माननीय बनवाने की जद्दोजहद में जुटा है. तो कोई किसी और रिश्तेदार को विधायकी का टिकट दिलवाने के लिए खून पसीना बहा रहा है.
बीजेपी की स्ट्रैटिजी
मुद्दे की बात ये है कि हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री रहे देवी लाल चौधरी बंसी लाल और भजन लाल के पोते-पोतियां इस बार बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ सकते हैं. ताऊ देवी लाल हों या चौधरी बंसी लाल या फिर आदरणीय भजन लाल, तीनों लालों ने भारत की राष्ट्रीय राजनीति में हरियाणा को अलग पहचान दिलाई. इस बार 24 के फेर में हरियाणा के दूसरे CM रहे राव बीरेंद्र सिंह की तीसरी पीढ़ी भी चुनाव मैदान में दिख सकती है.
चार पूर्व मुख्यमंत्रियों के पोते-पोतियां मैदान में
परिवारवाद के नाम पर जगह-जगह कांग्रेस को कोसने वाली बीजेपी हरियाणा में सत्ता की हैट्रिक लगाने के लिए अलग लेवल की तैयारी की है. इसलिए ये ऐसा पहला विधानसभा चुनाव हो सकता है, जब आपको चार-चार पूर्व मुख्यमंत्रियों के पोते-पोतियां हरियाणा में कमल का झंडा थामे हुए विधायक बनने के लिए हर-हर और घर-घर मोदी का जाप करते दिख सकते हैं. सूत्रों के मुताबिक बीजेपी ने अपने पत्ते सेट कर दिए हैं. वो अपने परिवारवाद वाले एजेंडे से थोड़ा पीछे हटते हुए अपने प्रत्याशियों की पहली सूची में ही सूबे के चार दिग्गजों के पोते-पोतियों को टिकट थमा सकती है. चौधरी भजन लाल के पौत्र और आदमपुर से विधायक भव्य बिश्नोई को लगातार दूसरी बार टिकट पक्का है. बंसी लाल की ग्रांड डॉटर और राज्यसभा सांसद किरण चौधरी की बेटी श्रुति चौधरी तोशाम से दावेदारी पक्की मान कर चल रही हैं
सियासत में सारा खेल ही अटकलों का है. यहां बिना कुछ कहे ही इशारों-इशारों में सबकुछ कह दिया जाता है. किसी दल या नेता का नाम कोट करने की जरूरत नहीं पड़ती. ऐसे में थोड़ा और आगे बढ़ें तो “ताऊ देवी लाल” के पोते आदित्य (देवीलाल) को बीजेपी डबवाली से टिकट दे सकती है, इसी पैटर्न पर हरियाणा के दूसरे मुख्यमंत्री रहे बीरेंद्र सिंह की तीसरी पीढ़ी यानी उनकी पोती और मोदी सरकार में राज्यमंत्री राव इंद्रजीत की बेटी आरती राव को महेंद्रगढ़ की अटेली सीट से टिकट दिए जाने की अटकलें लगाई जा रही हैं.
कहते हैं कि राजनीति में रिटायरमेंट नहीं होता. सुपरपावर अमेरिका की संसद ‘बूढ़ी’ हो चुकी है. वहां करीब एक चौथाई सांसद सीनियर सिटिजन हैं. वर्तमान राष्ट्रपति से लेकर प्रेसिडेंट इन वेटिंग तक सब 80 के फेर में हैं. उनकी भी अगली पीढ़ी विरासत संभालने के लिए तैयार है. इसी तरह हरियाणा में अब तीसरी पीढ़ी के विधायक बनने का सपना कई रसूखदार घरों में देखा जा रहा है.
कांग्रेस हो या जजपा. चौटाला हों या हुड्डा हर परिवार में अगली पीढी तैयार हो चुकी है. ऐसे में बीजेपी भी कैलकुलेटेड रणनीति अपनाने के लिए पूर्व दिग्गजों के पोते-पोतियों को चुनाव लड़ा सकती है.
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