जनरल उपेंद्र द्विवेदी और एडमिरल दिनेश त्रिपाठी एक ही क्लास में पढ़े, स्कूल के दोस्त अब बनेंगे भारत के दुश्मनों का काल.
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भारत के नए सेनाध्यक्ष जनरल उपेंद्र द्विवेदी और नौसेना के प्रमुख एडमिरल दिनेश त्रिपाठी ने एक ही सैनिक स्कूल से पढ़ाई की है. दशकों पुराने दोस्तों की यह जोड़ी अब आर्मी और नेवी की कमान संभाल रही है.
जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने रविवार को भारतीय सेना की कमान संभाली. नौसेना की कमान पहले से ही एडमिरल दिनेश त्रिपाठी के हाथ में है. दोनों ही रीवा (मध्य प्रदेश) के सैनिक स्कूल से पढ़े हैं. यह पहला मौका है जब आर्मी और नेवी का नेतृत्व दो सहपाठी कर रहे हैं. जनरल द्विवेदी और एडमिरल त्रिपाठी, दोनों ही 1970s में साथ पढ़े. न्यूज एजेंसी ANI की रिपोर्ट बताती है कि क्लास 5th-A में दोनों का रोल नंबर भी एक-दूसरे के पास था. जनरल द्विवेदी का रोल नंबर 931 था तो एडमिरल त्रिपाठी का रोल नंबर 938. रविवार को जब जनरल त्रिवेदी ने पद संभाला तो स्कूल के प्रिंसिपल भी मौजूद थे और कई पुराने दोस्त भी.
एक नेवी चीफ बना, दूसरा दो महीने बाद जनरल
सैनिक स्कूल के दिनों की दोस्ती वहां से निकलने के बाद भी टूटी नहीं. दोनों ने रास्ता अलग-अलग चुना था लेकिन मंजिल एक ही थी- भारत माता की रक्षा. एडमिरल दिनेश त्रिपाठी ने 01 मई 2024 को भारतीय नौसेना की कमान संभाली थी. जनरल द्विवेदी उसके दो महीने बाद भारत के सेनाध्यक्ष बने हैं. दोनों को जानने वाले एक डिफेंस अधिकारी ने कहा कि मिलिट्री के मामलों में अगर लीडरशिप दोस्ताना हो तो काम काफी आसान हो जाता है.
आज भी साथ हैं स्कूल के दिनों के साथी
रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता ए भारत भूषण बाबू ने X पर कहा, ‘दो प्रतिभाशाली छात्रों को प्रशिक्षित करने का यह दुर्लभ सम्मान, जो 50 साल बाद अपनी-अपनी सेनाओं का नेतृत्व करेंगे, मध्य प्रदेश के रीवा स्थित सैनिक स्कूल को जाता है.’ सैनिक स्कूल में दोनों के सहपाठी रहे प्रोफेसर अमित तिवारी ने टाइम्स ऑफ इंडिया से बातचीत में कहा, ‘हमारा बैच किसी परिवार की तरह है. आज भी, हम में से 18 लोग यहां हैं क्योंकि हमारे बैचमेट और मित्र जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने सेना प्रमुख के रूप में कार्यभार संभाला है.’
तिवारी ने आगे बताया, ‘मेरा रोल नंबर 929 था, उपेंद्र का 931 और दिनेश का 938 था. मैं आठ साल तक एडमिरल त्रिपाठी का रूममेट था. और तीन साल तक मैं जनरल द्विवेदी के साथ डेस्क पार्टनर था.’ उनके मुताबिक, ‘दोनों काफी अनुशासित थे, बेहद फोकस्ड और विवादों से दूर रहते थे. वे कभी किसी ग्रुप का हिस्सा नहीं बने जो कि उन दिनों में आम बात थी.’
स्कूल के सीनियर मास्टर, डॉ आरएस पांडेय ने गर्व से कहा, ‘यह पहली बार है कि सशस्त्र बलों के दो विंगों के प्रमुख सहपाठी हैं और एक ही राज्य से हैं.’
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