रत्न विद्या: रातों-रात अमीर बनाने की ताकत रखता है ‘यह’ रत्न, 24 घंटे में दिखता है असर
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नीलम रत्न की शक्ति: रत्नों के अनुसार कुंडली में कमजोर शनि को मजबूत करने और शनि के शुभ प्रभाव के लिए नीला नीलम धारण करना चाहिए।
नीलम रत्न शक्ति: किसी व्यक्ति की कुंडली में कुछ ग्रह शुभ स्थिति में होते हैं और कुछ ग्रह अशुभ स्थिति में होते हैं। ग्रहों की बदलती स्थिति के कारण मनुष्य को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। कुंडली में कमजोर ग्रहों को मजबूत करने के लिए रत्न शास्त्र में कई प्रकार के रत्नों का उल्लेख किया गया है। अगर इसका सेवन नियमित रूप से किया जाए तो व्यक्ति को अच्छे परिणाम देखने को मिलेंगे। साथ ही शास्त्रों में कहा गया है कि इससे व्यक्ति के भाग्य में वृद्धि होती है।
रत्नशास्त्र कहता है कि कुंडली में नीच के शनि को मजबूत करने और शनि के शुभ प्रभाव के लिए नीला नीलम धारण करना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि अगर सही तरीके से धारण किया जाए तो यह रत्न 24 घंटे के अंदर अपना असर दिखाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार अगर नीलम किसी व्यक्ति के अनुकूल हो तो उसकी किस्मत रातों-रात बदलने में समय नहीं लगता है। फिर भी अगर यह रत्न किसी व्यक्ति को सूट न करे तो सब कुछ बर्बाद होने में देर नहीं लगती। तो ज्योतिषशास्त्र के अनुसार नीलम रत्न धारण करने से पहले जान लें ये जरूरी नियम।
इन 2 राशियों के लिए फायदेमंद
मकर और कुम्भ राशि के जातकों के लिए नीलम रत्न विशेष लाभकारी होता है। इन दोनों राशियों पर शनि का शासन है। यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में शनि नीच का हो तो नीलम रत्न धारण करने से उसकी शक्ति में वृद्धि हो सकती है। ज्योतिषियों के अनुसार जब कुंडली में शनि चौथे, पांचवें, दसवें और ग्यारहवें भाव में हो तो नीलम पहनना बहुत फायदेमंद होता है। रत्न ज्योतिष शास्त्र के अनुसार नीलम मूंगा, माणिक और मोती पहनने से आपको भारी नुकसान हो सकता है।
नीलम धारण करने के फायदे
नीला नीलम रत्न धारण करने से न केवल व्यक्ति को आर्थिक समस्याओं से मुक्ति मिलती है बल्कि अनिद्रा की समस्या होने पर भी व्यक्ति नीला नीलम रत्न धारण कर सकता है। नीलम रत्न धारण करने से व्यक्ति स्वस्थ रहता है और रुके हुए कार्य पूरे होते हैं। इतना ही नहीं ज्योतिष शास्त्र कहता है कि नीले रत्न पहनने से व्यक्ति के मान-सम्मान में वृद्धि होती है।
नीलम रत्न धारण करने की विधि
रत्न ज्योतिष के अनुसार नीलम रत्न धारण करने के लिए कम से कम 7 से 8.25 रत्ती की आवश्यकता होती है। इसके शुभ प्रभाव के लिए नीलम को पंचधातु में मढ़वाया जाता है और अंगूठियों में पहना जाता है। इस रत्न को बाएं हाथ में धारण करना चाहिए। शनिवार के दिन नीलम रत्न पहनने का सबसे अच्छा समय आधी रात है। नीलम रत्न की अंगूठी पहनने से पहले उसे गंगा जल और गाय के दूध से शुद्ध कर लें। ज्योतिष शास्त्र यह भी कहता है कि नीलम धारण करने के बाद शनि से संबंधित काला कपड़ा, सरसों का तेल, लोहा, काले तिल, साबूत, अलसी, काले फूल, कस्तूरी, चमड़ा और काला कंबल आदि का दान करना चाहिए।
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