Fukrey 3 Review: फुकरे फिर से एंटरटेनमेंट के ट्रिपल डोज के साथ लौटे, सोशल मैसेज भी दिया।
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Fukrey 3 Review: फुकरे 3 आज सिनेमाघरों में रिलीज हो गई है , कॉमेडी का ओवर डोज लेकर आई अगर इस फिल्म को देखने का प्लान बना रहे हैं तो पहले जान लें रिव्यू।
Fukrey 3 Review: हम थिएटर में फिल्म देखने क्यों जाते हैं ताकि अपना स्ट्रेस दूर कर सकें, हंस सकें, कुछ देर के लिए सब भूल जाएं और एंटरटेन हों , फुकरे 3 आपको ये सब देती है , हां दिमाग मत लगाइएगा अगर आपको सिर्फ एंटरटेन होना है तो।
कहानी
ये कहानी फुकरे 2 से आगे बढ़ती है. फुकरा गैंग चूचे की सपने देखने की पावर से छोटे मोटे काम कर रहा है और थोड़े बहुत पैसे कमा रहा है , वहीं भोली पंजाबन पॉलिटिक्स में आ चुकी है , उसे इलेक्शन लड़ना है और भीड़ इक्ट्ठा करने के लिए वो फुकरे गैंग की मदद लेती है , लेकिन फिर हनी चूचा की ही भोली के खिलाफ चुनाव लड़ने को कहता है , इसके बाद भोली फुकरों को साउथ अफ्रीका भेज देती है. फिर क्या होता है इसके लिए आपको थियेटर जाना होगा।
कैसी है फिल्म
एक शब्द में कहा जाए तो ये एक फुकरी फिल्म है जो आपको अपने स्टाइल में खूब एंटरटेन करती है , फर्स्ट हाफ काफी मजेदार है , एक के बाद एक ऐसे फनी डायलॉग आते हैं जो आपको खूब हंसाते हैं , फर्स्ट हाफ में आपको सीट से उठने का मौका नहीं मिलता , सेकेंड हाफ थोड़ा कमज़ोर है ऐसा लगता है ज्यादातर जोक फर्स्ट हाफ में यूज हो गए , सेकेंड हाफ में सोशल मैसेज पर ज्यादा जोर दिया गया है लेकिन कुल मिलाकर ये फिल्म अपने नाम और अपनी फ्रेंचाइजी की इज्जत रखती है और वो करती है जिसके लिए फुकरे गैंग सालों से मशहूर है।
एक्टिंग
वरुण शर्मा यानी चूचा फिल्म की जान हैं और वरुण ने अपने स्टाइल में गजब का काम किया है , उन्हें देखते ही आपकी हंसी छूट जाती है , सही मायने में फिल्म के हीरो वरुण ही हैं और इसमें कोई शक नहीं की फुकरे वरुण की वजह से ही इतनी पॉपुलर फ्रेंचाइजी है. , हनी के किरदार में पुलकित सम्राट हमेशा की तरह फिट हैं. वो इस गैंग का बहुत खास हिस्सा हैं और ये बात इस बार भी साबित होती है , पंडित जी के किरदार में पंकज त्रिपाठी ने जान डाल दी है , उनका रोल भी बढ़ा है और इसकी वजह ये भी है कि इंडस्ट्री में उनका कद भी बढ़ा है , लाली के किरदार में मनजोत सिंह शानदार हैं , भोली पंजाबन यानी ऋचा चड्ढा को इस बार स्पेस कम मिला है और उनका किरदार भी कमज़ोर लगता है।
डायरेक्शन
मृगदीप सिंह लांबा ने फिल्म का डायरेक्शन अच्छे से किया है लेकिन सेकेंड हाफ में थोड़े कॉमिक पंचेज का जुगाड और करना चाहिए था , फिल्म पर फर्स्ट हाफ में उनकी पकड़ शानदार है. सेकेंड हाफ ढीला है , शायद सामाजिक दबाव में आकर वो मैसेज देने पर ज्यादा जोर दे गए।
म्यूजिक
पहले पार्ट में अंबर सरिया जैसा सुपरहिट गाना था लेकिन यहां ऐसा कोई गाना नहीं जो याद रहे तो म्यूजिक एवरेज ही है।
कुल मिलाकर फुकरे एंटरटेन होने के लिए देखिए….1 और 2 नहीं देखी तो वो भी देखिए वैसे यहां रिकैप दिखाया गया है।
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