संघर्ष से सफलता तक: ‘जय चायनीज & बिरयानी हाउस’ की प्रेरणादायक कहानी।
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अहिल्यानगर: अहिल्यानगर (अहमदनगर) में स्थित ‘जय चायनीज & बिरयानी हाउस‘ अपनी अनोखी स्वाद और गुणवत्ता के कारण ग्राहकों के दिलों पर राज कर रहा है। इस सफलता के पीछे एक साधारण परिवार से आने वाले श्री.गणेश तुकाराम दतरंगे की कठिन मेहनत, लगन और आत्मविश्वास की कहानी है।
शुरुआती संघर्ष की कहानी
श्री.गणेश तुकाराम दतरंगे के पिता तुकाराम दतरंगे किसान थे, लेकिन खेती से परिवार का गुजारा मुश्किल से चलता था। आर्थिक तंगी के कारण गणेश जी अपनी शिक्षा पूरी नहीं कर सके और सातवीं कक्षा के बाद पढ़ाई छोड़नी पड़ी। छोटी उम्र में ही उन्होंने अपने परिवार की जिम्मेदारी संभालनी शुरू कर दी।
उन्होंने शुरुआती दिनों में ईंट-भट्टी पर काम किया, फिर सड़क किनारे फलों का जूस बेचना शुरू किया। जो भी मौसमी काम मिलता, वह करने लगे, लेकिन इससे आर्थिक स्थिति में खास सुधार नहीं हुआ। गणेश जी ने कुछ बड़ा करने की ठानी।
व्यवसाय की शुरुआत
2013 में उन्होंने अहिल्यानगर के दतरंगे मळा, नेप्ती नाका में महज 10×15 की छोटी-सी जगह में ‘जय चायनीज & बिरयानी हाउस‘ की नींव रखी। शुरुआत में चाइनीज व्यंजन लोगों को पसंद नहीं आ रहे थे, इसलिए उन्होंने दम बिरयानी को मेन्यू में शामिल किया।
गणेश जी ने व्यवसाय में दूसरों पर निर्भर न रहते हुए खुद बिरयानी बनाकर बेचने का निर्णय लिया। शुरुआत में उन्होंने सिर्फ 1 किलो बिरयानी से काम शुरू किया, जिससे मुश्किल से 5-6 प्लेट बिकती थी। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी।
सफलता की ओर बढ़ते कदम
बिरयानी की गुणवत्ता और स्वाद के कारण जल्द ही कॉलेज के छात्र और स्थानीय लोग उनकी दुकान पर आने लगे। धीरे-धीरे उनका छोटा-सा स्टॉल एक बड़े होटल का रूप लेने लगा। जहां एक समय में 1 किलो बिरयानी बिकती थी, आज वही बिक्री बढ़कर रोजाना 150 किलो तक पहुंच गई है। रविवार को यह आंकड़ा 500 किलो तक पहुंच जाता है।
ग्राहकों की बढ़ती मांग को देखते हुए उन्होंने “स्विगी” और “जोमैटो” पर ऑनलाइन ऑर्डर की सुविधा शुरू की। जल्द ही उन्हें “स्विगी” से 5-स्टार रेटिंग मिली।
कोरोना काल में भी जारी रहा संघर्ष
कोरोना महामारी के दौरान जब अधिकांश व्यवसाय ठप हो गए, तब सरकार की गाइडलाइन्स के अनुसार गणेश जी ने पार्सल सेवा शुरू की। इस कठिन समय में भी उन्होंने लगभग 35-40 लाख रुपये की बिरयानी बिक्री का रिकॉर्ड बनाया।
आज की स्थिति
आज ‘जय चायनीज & बिरयानी हाउस‘ पर रोजाना 800 से 1000 ग्राहक आते हैं। छुट्टी और रविवार को यहां इतनी भीड़ होती है कि ग्राहकों को टोकन लेकर अपनी बारी का इंतजार करना पड़ता है। गणेश जी खुद ग्राहकों से मिलते हैं और उनकी पसंद-नापसंद का ध्यान रखते हैं। उन्होंने अपनी शिक्षा अधूरी रहने के बावजूद सोशल मीडिया का सहारा लेकर अपने व्यवसाय को एक नई ऊंचाई तक पहुंचाया है।
भविष्य की योजना
श्री.गणेश तुकाराम दतरंगे का सपना है कि उनकी बिरयानी पूरे देश में मशहूर हो। इसके लिए वे लगातार मेहनत कर रहे हैं। आज उनके होटल में 40-45 लोगों को रोजगार मिला है, जिससे कई परिवारों की रोजी-रोटी चल रही है।
समाचार वाणी की ओर से श्री.गणेश तुकाराम दतरंगे और ‘जय चायनीज & बिरयानी हाउस‘ को ढेरों शुभकामनाएं। उनकी यह संघर्ष और सफलता की कहानी आने वाले समय में कई लोगों के लिए प्रेरणा बनी रहेगी।
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