जंग रुकवाने से लेकर FBI के पर कतरने तक, दुनिया का हुलिया बदलने को ट्रंप ने बिछा दी बिसात, क्या उनको कोई रोक पाएगा?
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ट्रंप ने जिन लोगों को नॉमिनेट किया है, वे चुने ही जाएंगे क्योंकि 5 नवंबर के बाद सीनेट और हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव में अब रिपब्लिकन पार्टी का दबदबा है. सिर्फ ज्यादा विवादित नॉमिनेशन ही हाउस या फिर सीनेट कमेटी लेवल पर अटक सकते हैं.
चुनाव जीतने के बाद डोनाल्ड ट्रंप अगले साल जनवरी से अमेरिका की कमान संभालेंगे. लेकिन उससे पहले ही उन्होंने अपने कैबिनेट के अहम पदों को भरना शुरू कर दिया है. यह तो हालांकि साफ है कि अपने दूसरे कार्यकाल में ना सिर्फ ट्रंप कई अहम राजनीतिक मुद्दों को सुलझाएंगे बल्कि अदालत में चल रहे मामलों से भी खुद को सुरक्षित रखना चाहेंगे.
अब टीम ट्रंप की प्रोफाइल का विश्लेषण करें तो उससे समझ आएगा कि सरकार से लेकर दुनिया में चल रहे युद्ध और घरेलू सुरक्षा पर उनके फैसलों से क्या असर पड़ेगा.
ध्यान देने वाली बात ये है कि ट्रंप ने जिन लोगों को नॉमिनेट किया है, वे चुने ही जाएंगे क्योंकि 5 नवंबर के बाद सीनेट और हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव में अब रिपब्लिकन पार्टी का दबदबा है. सिर्फ ज्यादा विवादित नॉमिनेशन ही हाउस या फिर सीनेट कमेटी लेवल पर अटक सकते हैं. लेकिन फिर भी हम मान रहे हैं कि सारे नाम फाइनल हो जाएंगे.
यूक्रेन और वेस्ट एशिया में युद्ध का अंत
ट्रंप यह दावा करते रहे हैं कि सिर्फ वही हैं जो गाजा और यूक्रेन में जंग को खत्म करवाकर दुनिया को वर्ल्ड वॉर 3 से बचा सकते हैं. अब वक्त है इस वादे को निभाने का. ट्रंप ने मार्को रुबियो को विदेश मंत्री के लिए चुना है. फ्लोरिडा से सीनेटर पर अब ये जिम्मेदारी होगी कि वे जंग खत्म कराकर दुनिया में शांति लाएं.
ट्रंप ने इजरायल के राजदूत के तौर पर माइक हक्काबी को चुना है, जो यहूदी देश के कट्टर समर्थक माने जाते हैं. इजरायल फिलहाल कई फ्रंट पर युद्ध लड़ रहा है. हक्काबी का चुनाव यह बताता है कि जंग को खत्म करने के लिए अमेरिका इजरायल का समर्थन करेगा.
अमेरिका को जंग में घसीटे जाने के खिलाफ ट्रंप
लेकिन क्या इससे वाकई जंग खत्म होगी? ट्रंप अमेरिका को विदेशी युद्धों में घसीटे जाने के खिलाफ हैं और खास तौर पर उनके लिए पैसा देने के भी विरोधी हैं. यह भी याद रखें कि उन्होंने अब्राम समझौता बनाया था, जो इज़राइल और उसके कई दुश्मन अरब राज्यों के बीच शांति और सहयोग की डील थी. यह बहुत संभव है कि ट्रंप और उनकी टीम ऐसी बातचीत शुरू करने में सक्षम हो जो मध्य पूर्व में युद्ध को समाप्त कर सके.
वहीं रूस-यूक्रेन जंग को खत्म करने के लिए अमेरिका की कोशिशें रूस के पक्ष में झुकी हुई हैं, क्योंकि ट्रंप का रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ लंबे समय से सीधा संपर्क है.
ट्रंप यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की के बड़े आलोचक रहे हैं. वह उनको ‘सबसे बड़ा सेल्समैन’ तक बता चुके हैं. बता दें कि साल 2019 में ट्रंप पर पहला महाभियोग यूक्रेन को मदद रोकने के परिणामस्वरूप आया था ताकि इसे मौजूदा राष्ट्रपति जो बाइडेन की जांच करने के लिए मजबूर किया जा सके.
ट्रंप के खिलाफ कानूनी मामले
ट्रंप के खिलाफ कई कानूनी मामले चल रहे हैं. वह चाहेंगे कि इन मामलों से वह बरी हो जाएं. ये मामले 2020 के चुनाव में दखल और 2021 के कैपिटल हिल दंगा, टैक्स चोरी, क्लासीफाइड दस्तावेजों के साथ छेड़छाड़ और स्टॉर्मी डेनियल्स को चुप कराने के लिए पैसे देने से संबंधित हैं.
ट्रंप यह सुनिश्चित करेंगे कि राष्ट्रपति पद के लिए दी जाने वाली प्रतिरक्षा बरकरार रहे और पद छोड़ने के बाद वे भविष्य में कानूनी मामलों से खुद को बचाने की कोशिश ज्यादा करेंगे.
जस्टिस डिपार्टमेंट में अहम पदों के लिए ट्रंप की पसंद उनके इरादों को साफ-साफ दर्शाती है. उन्होंने मैट गेट्ज़ को अटॉर्नी जनरल के तौर पर नॉमिनेट किया है. यानी सीधे-सीधे उन्होंने देश के टॉप वकील की भूमिका एक कट्टर सहयोगी को दे दी. ट्रम्प ने कहा कि गेट्ज़ जो कुछ करेंगे, उनमें से एक ‘हथियारबंद सरकार को समाप्त करना’ है, जिसे उनके प्रतिनिधि राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ ‘कानूनी लड़ाई’ कहते हैं.
इससे भी ज्यादा दिलचस्प बात यह है कि उन्होंने डिप्टी अटॉर्नी जनरल के तौर पर टॉड ब्लैंच को चुना है. ब्लैंच ट्रंप के कई अदालती मामलों में उनके वकील थे.
बॉर्डर, इमिग्रेशन और घरेलू सुरक्षा
अमेरिका के दक्षिणी बॉर्डर से घुसने वाले आप्रवासियों के लिए ट्रंप पहले ही खुला ऐलान कर चुके हैं. उन्होंने अपने पहले ही कार्यकाल में यह ऐलान किया था कि वह बॉर्डर पर एक दीवार बनवाएंगे और घुसपैठियों की एंट्री को रोकेंगे. होम लैंड सिक्योरिटी के लिए उन्होंने क्रिस्टी नोएम को चुना है.
ट्रंप ने एक बार कहा था कि वह शायद पहले दिन से ही तानाशाह बन जाएंगे और अवैध प्रवासियों को निर्वासित करने का आदेश देना उन चीजों में से एक हो सकता है जो वह पदभार ग्रहण करने के पहले दिन या पहले सप्ताह में करेंगे.
इंटेलिजेंस एजेंसियों को लगेगा झटका!
ट्रंप कई इंटेलिजेंस एजेंसियों के निशाने पर रहे हैं. वह इनको डीप स्टेट बताते हैं, खासकर एफबीआई की क्लासीफाइड दस्तावेजों से जुड़ी जांच को लेकर. वह पहले ही कह चुके हैं कि बजट में कटौती कर वह एफबीआई के पर कतर देंगे. उन्होंने नेशनल इंटेलिजेंस के डायरेक्टर के तौर पर तुलसी गबार्ड को चुना है. जबकि सेंट्रल इंटेलिजेंस एजेंसी के डायरेक्टर की कमान जॉन रैटक्लिफ संभालेंगे. माना जा रहा है कि ट्रंप एफबीआई के ढांचे और लीडरशिप में भी बदलाव कर सकते हैं.
ट्रंप को कौन रोक सकता है?
5 नवंबर को राष्ट्रपति चुनाव के साथ-साथ सीनेट के लगभग आधे और प्रतिनिधि सभा के पूरे चुनाव हो चुके हैं. सीनेट का कार्यकाल छह साल का होता है और प्रतिनिधि सभा का कार्यकाल दो साल का होता है. इसका मतलब है कि मध्यावधि चुनाव होंगे और अगले कुछ सालों में कांग्रेस की संरचना बदल सकती है.
यह एक इन्वेस्टिगेशन और बैलेंस सिस्टम के तौर पर काम करता है. इससे राष्ट्रपति के कामकाज पर विधायिका की नजर रहती है, क्योंकि इसके अधिकांश हिस्से के लिए (राष्ट्रपति के आदेशों के विपरीत) कांग्रेस की मंजूरी की जरूरत होगी.
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