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    April 22, 2025

    रतन टाटा से लेकर अंबानी तक बड़ी सामान्य रही इन इंडस्ट्री में निवेशकों की पहली नौकरी, बस इतनी थी सैलरी।

    1 min read
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    धीरूभाई अंबानी से लेकर नारायण मूर्ति, रतन टाटा और जेफ बेजोस तक की नौकरी काफी सामान्य चल रही है। पैसे की चाहत और अपनी मेहनत के दम पर इन लोगों ने अरबों डॉलर का कारोबार खड़ा कर दिया।
    कड़ी मेहनत और सच्ची लगन हो तो हर जगह हासिल हो सकता है। यह वॉकोमो दुनिया के कुछ दि साकीनिटगज उद्योग उद्यमों पर बिलकुल फीट शेयर है। आज हम इन्हीं के बारे में बात करने वाले हैं, जिन्होने पेपर ड्रामा से लेकर कुकिंग तक का काम किया है।
    इंफोसिस के संस्थापक नारायण मूर्ति की पहली नौकरी रिसर्च असोसिएट की थी। वे आईआईएम की एक फैकल्टी के लिए काम करने लगे और बाद में चीफ सिस्टम्स मैनेजर के पद पर काम करने लगे। 1981 में इन्होनें अपने दोस्तों के साथ मिलकर कंपनी की शुरुआत की थी।
    वॉरेन बफेट (Warren Buffett) स्थिर समय में मार्टॉक मार्केट के डी माइक्रोसॉफ्टगज बिजनेसमैन हैं। इसके अलावा ये बर्कशायर हैथवे के सीईओ और पुतले हैं। वॉरेन अमेरिका के अखबार दी मस्जिद के पो के लिए अखबार की रोशनी का काम करते थे। वॉरेन को ये काम करने के बदले हर महीने 175 डॉलर मिलते थे, लेकिन आज ये दुनिया के सबसे अमीर कलाकार हैं।
    अमेरीका के संस्थापक जेफ बेजोस दुनिया के तीसरे सबसे अमीर निर्माता हैं। इनहोंने अपने शुरुआती समय में कुक की नौकरी की थी। उनकी पहली नौकरी मैकडॉनल्ड्स में फ्राई कुक की थी। इस नौकरी में मुश्किल से 2 डॉलर प्रति घंटे की नौकरी थी। खूब भीड़-भाड़ और लोगों से मुलाकात के बाद साकीत ई-मार्केटिंग कंपनी शुरू हुई।
    देश के दिग्गज बिजनेसमैन रतन टाटा को कौन नहीं जानता। 1961 में टाटा स्टील की नौकरी की थी, जिसके बाद मिर्जा टाटा मोटर्स में नौकरी की गई। कहा जाता है कि रतन टाटा को जब पहली बार नौकरी का ऑफर मिला तो उनका पास रिज्यूमे भी नहीं था। प्रोडक्ट का ज़ानकारी IBM में तुरंत रिज्यूमे बुकम बनवाकर दिया गया था। किसी भी कारण से स्केच रेस्तरां नौकरी नहीं की।
    मुकेश अंबानी के पिता धीरूभाई अंबानी की पहली नौकरी गैस स्टेशन पर अटेंडेंट की थी, तब वे यमन में काम करते थे। वहाँ केवल 300 रुपये हर महीने की नौकरी थी। वहां पर वे मैनेजर बन गये, लेकिन बाद में वे भारत लौटकर रिलायंस इंडस्ट्रीज की शुरूआत कर दी।

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