संकल्प और संघर्ष से सफलता की ओर: अंजली दादा सोनवणे की प्रेरणादायक कहानी।
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संघर्षों से भरी बचपन की राह
अंजली का जन्म महाराष्ट्र के नासिक ज़िले के नांदगांव तहसील में हुआ। उनका बचपन बेहद कठिन परिस्थितियों में बीता। जब वे छोटी थीं, तब उनके पिता का देहांत हो गया, जिससे उनके परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत नाजुक हो गई। घर में कोई कमाने वाला नहीं था, लेकिन अंजली ने हार मानने के बजाय अपनी राह खुद बनाई।
खेलने की उम्र में सपनों को रंग देने का संकल्प
आठवीं कक्षा तक की शिक्षा प्राप्त करने के बाद परिस्थितियों ने उन्हें आगे पढ़ने से रोक दिया, लेकिन उन्होंने खुद को रोकने नहीं दिया। उनकी मौसी ने उन्हें क्लास करने की सलाह दी, जिसके बाद वे शेगांव चली गईं। साल 2014-15 में उन्होंने ब्यूटी पार्लर का कोर्स पूरा किया और यहीं से उनकी यात्रा शुरू हुई।
छोटे से निवेश से बड़ा व्यापार
2016 में, अंजली अपने गाँव नांदगांव वापस आईं और अपने घर में ही एक छोटा सा अंजली ब्यूटी पार्लर नाम का पार्लर शुरू किया। इस दौरान उन्होंने अपनी मौसी से छह हजार रुपये उधार लिए और मुंबई जाकर ब्यूटी प्रोडक्ट्स खरीदे। उन्होंने अपने छोटे से व्यवसाय को मेहनत और लगन से आगे बढ़ाया और धीरे-धीरे इसे दस लाख रुपये के टर्नओवर तक पहुँचाया। उनकी लगन और आत्मविश्वास ने उन्हें एक सफल उद्यमी बना दिया।
व्यवसाय का विस्तार और नई ऊँचाइयाँ
अंजली ने केवल एक पार्लर तक सीमित रहने के बजाय अपने व्यवसाय को और आगे बढ़ाने का निर्णय लिया। उन्होंने चार और जगहों पर ब्यूटी पार्लर खोले और अपनी सेवाओं का विस्तार किया। इसके साथ ही, उन्होंने ब्यूटी और मेकअप की शिक्षा देने के लिए अपने निजी क्लासेज शुरू किए।
शिक्षा से अधिक महत्वपूर्ण होता है अनुभव
अंजली का मानना है कि शिक्षा से अधिक महत्वपूर्ण अनुभव होता है। जब वे अपने क्लास में पढ़ाने जाती हैं, तो कई उच्च शिक्षित छात्राएँ उनके पास प्रशिक्षण लेने आती हैं। यह उनके लिए गर्व की बात है कि कम शिक्षा प्राप्त करने के बावजूद उन्होंने अपने अनुभव और मेहनत से वह स्थान हासिल किया है, जहाँ पर आज वे हैं।
आगे का सपना
अंजली के अनुसार, यह तो बस एक शुरुआत है। उनके पास अभी भी कई सपने हैं, जिन्हें वे साकार करना चाहती हैं। उनकी जिद और संकल्प ने यह साबित कर दिया कि यदि इरादे मजबूत हों, तो कोई भी मुश्किल राह को पार कर सकता है।
उनकी यह कहानी उन सभी के लिए प्रेरणा है, जो जीवन में कठिनाइयों के आगे घुटने टेकने के बजाय उनका डटकर सामना करना चाहते हैं।
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