देश में पहली बार अवैध पिस्तुल लाइसेंस मामले में किसी आईएएस अधिकारी पर होगी कार्रवाई; 2.75 लाख लाइसेंस का वितरण!
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देश में पहली बार किसी आईएएस अधिकारी पर अवैध हथियार लाइसेंस मामले में मुकदमा चलेगा.
एक ओर जहां बीड में अवैध रूप से बांटे गए पिस्टल लाइसेंस का मुद्दा गरमा रहा है, वहीं दूसरी ओर यह साफ हो गया है कि जम्मू-कश्मीर में ऐसे ही मामले में एक वरिष्ठ आईएएस अधिकारी के खिलाफ सीधे कार्रवाई की जाएगी. इस संबंध में पिछले कुछ महीनों से जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट में सुनवाई चल रही थी. इसमें सीबीआई की सभी जांच पूरी होने के बाद भी केंद्र सरकार एक आईएएस अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई की इजाजत नहीं दे रही थी. आखिरकार कोर्ट की सख्ती के बाद सीबीआई को यह कार्रवाई करने की इजाजत मिल गई है.
आख़िर मामला क्या है?
जम्मू-कश्मीर के राजस्व सचिव कुमार राजीव रंजन के खिलाफ सीबीआई कार्रवाई करेगी. कुमार राजीव रंजन इस तरह की कार्रवाई से गुजरने वाले देश के पहले आईएएस अधिकारी बन गए हैं। जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने से पहले जब यह स्वतंत्र राज्य था यानी 2012 से 2016 के बीच बड़ी संख्या में पिस्टल लाइसेंस जारी किए गए थे. इनकी संख्या 2 लाख 74 हजार से ज्यादा है. सीबीआई ने अपनी जांच में दावा किया है कि ये लाइसेंस जम्मू-कश्मीर में कलेक्टर, पुलिस उपायुक्त और लाइसेंसिंग प्रणाली के अधिकारियों द्वारा वित्तीय लाभ के लिए दिए गए थे। सीबीआई ने यह भी कहा है कि यह घोटाला करीब 100 करोड़ रुपये का है.
16 जिला कलेक्टरों पर होगी कार्रवाई?
कोर्ट को बताया गया कि इस मामले में सीबीआई ने अक्टूबर में अपनी जांच पूरी कर ली है और 16 जिला कलेक्टरों (13 आईएएस और 3 कश्मीर लोक सेवा आयोग के अधिकारी) के खिलाफ कार्रवाई की अनुमति अभी तक केंद्र से नहीं मिली है. इन सभी पर सीबीआई ने अवैध तरीके से अयोग्य लोगों को हथियार लाइसेंस जारी करने का आरोप लगाया है. 25 नवंबर को मुख्य न्यायाधीश ताशी रबस्तान और न्यायमूर्ति एम. एक। चौधरी ने केंद्रीय गृह मंत्रालय से नाराजगी जताई.
ED से भी हुई शिकायत!
क्युँकि वे केंद्रीय सेवा के अधिकारी हैं, इसलिए केंद्र सरकार की अनुमति के बिना ऐसे अधिकारि यों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जा सकती। कोर्ट ने इस संबंध में टिप्पणी करते हुए कुमार राजीव रंजन का भी नाम लिया. पिछले साल की शुरुआत में, ईडी ने वित्तीय हेराफेरी मामले में रंजन, उनके पिता कृपा शंकर रॉय और उनके भाई ज्योति रंजन समेत कम से कम एक दर्जन अधिकारियों के खिलाफ शिकायत दर्ज की थी। इसमें कुछ पूर्व अधिकारी, हथियार डीलर और बिचौलिये भी शामिल हैं. ईडी ने अपनी शिकायत में दावा किया था कि आरोपियों ने सीधे तौर पर राज्य की सुरक्षा से छेड़छाड़ की है.
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