भारत में पहली बार बांध के नीचे से गुजरेगी सड़क, पानी के अंदर खोदी जाएगी सुरंग; यह राज्य का निर्णय है।
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हिमाचल प्रदेश सरकार गोविंद सागर बांध के नीचे से गुजरने वाली सड़क बनाने की योजना बना रही है।
सरकार हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर शहर को कीरतपुर और मनाली से जोड़ने के लिए बांध के नीचे सड़क बनाने की तैयारी कर रही है। हिमाचल सरकार गोबिंद सागर बांध के नीचे एक सुरंग बनाने पर विचार कर रही है। यदि यह मार्ग क्रियान्वित होता है तो यह देश में किसी बांध के नीचे से गुजरने वाला पहला प्रयोग होगा। इस परियोजना के लिए जर्मनी से विशेषज्ञ और सलाहकार नियुक्त किये जायेंगे।
यह सड़क गोविंद सागर झील बांध के नीचे सुरंग बनाकर बनाई जाएगी। गोविंद सागर झील हिमाचल प्रदेश के ऊना और बिलासपुर जिलों में स्थित है। इसकी लंबाई लगभग 56 किमी तथा चौड़ाई लगभग 3 किमी है। इस बांध के नीचे सड़क बनने के बाद यह लुहानु मैदान से फोर लेन तक जाएगी। साथ ही यह सड़क बिलासपुर शहर के लिए जीवनरक्षक साबित होगी।
कीरतपुर-मनाली फोरलेन हाईवे खुलने के बाद बिलासपुर शहर का मुख्य सड़क से संपर्क टूट गया। इस वजह से इस शहर की आर्थिक स्थिति प्रभावित हुई। आर्थिक स्थिति सुस्त थी। इसलिए यदि यह रास्ता अपनाया गया तो व्यापारियों और उद्योगपतियों के लिए यह लाभकारी होगा।
रास्ता कैसा होगा?
हिमाचल प्रदेश के तकनीकी शिक्षा मंत्री राजेश धर्माणी ने कहा है कि इस बांध में बनने वाली झील बिलासपुर शहर को कीरतपुर और मनाली के बीच चार लेन वाली सड़क से जोड़ेगी। इस मार्ग से पर्यटन क्षेत्र का भी विकास होगा। केंद्र सरकार की सेतु भारतम योजना के तहत इस मार्ग के लिए बजट प्रस्ताव बनाया जाएगा। इस परियोजना पर 100 करोड़ रुपये खर्च होने की संभावना है। साथ ही, इस पुल का निर्माण बांध के नीचे के मार्ग के लिए उन्नत विसर्जन सुरंग विधि और सुरंग बोरिंग मशीन का उपयोग करके किया जाएगा। विसर्जन सुरंग विधि में सुरंग के कुछ हिस्से जमीन के ऊपर बनाए जाएंगे और बांध के नीचे स्थापित किए जाएंगे। सुरंग के नीचे खुदाई करने के लिए सुरंग बोरिंग मशीनों का उपयोग किया जाएगा, जिससे यह अधिक सुरक्षित और टिकाऊ बन जाएगी।
क्या इससे पर्यावरण को नुकसान पहुंचेगा?
इस परियोजना में पर्यावरणीय संतुलन को ध्यान में रखते हुए अत्याधुनिक और टिकाऊ जर्मन प्रौद्योगिकी का उपयोग किया जाएगा। इसके लिए इमर्शन टनल तकनीक और टनल बोरिंग मशीनों का उपयोग किया जाएगा। यह परियोजना शहर के लिए वरदान साबित होगी। यह न केवल हिमाचल प्रदेश बल्कि पूरे देश के लिए एक उदाहरण बनेगा।
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