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    April 16, 2025

    Food Oil : टेंशन लेने की जरूरत नहीं देश के ”बंदरगाहों” पर जमा है | खाने का तेल सोयाबीन, सरसों का ऑयल भी हुआ सस्ता |

    1 min read
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    भारत में सरसों के तेल में कमी दर्ज की गई है. सरसों, सोयाबीन तेल के भाव कम हुए हैं. संकट यह है कि आयतित तेल सस्ता है, जबकि देसी तेल के दामों में कमी नहीं देखी जा रही है |

    Food Oil Production: नए साल में आम आदमी को खासी राहत मिलने के आसार हैं. एक तरफ जहां आटे की कीमतों में कमी देखी जा सकती है. वहीं खाने के तेलों में भी कमी दर्ज की गई है, विशेषज्ञों का कहना है कि देश में खाद्य तेलों का कोई संकट नहीं है. केंद्र सरकार घरेलू खपत के हिसाब से स्टॉक करके चल रही है. इसका असर तेल की कीमतों पर भी देख जा रहा है|

    *सरसों, सोयाबीन तेल के दामों में आई कमी:-
    कभी भी तेल के दाम आसमान छूने लगते हैं. इससे रसोई का बजट बिगड़ने लगता है. लेकिन हाल फिलहाल तेल बाजार में नरमी देखी जा रही है. शनिवार को दिल्ली के थोक तेल-तिलहन बाजार में जो कीमतें सामने आईं उनमें कमी दर्ज की गई है. सरसों, सोयाबीन, क्रूड पाम ऑयल, पाम ऑयल आदि तेलों के दामों में कमी देखी जा रही है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, मूंगफली तेल और तिलहनी फसलों के दामों में किसी तरह की कमी या बढ़ोत्तरी नहीं देखी गई है |

    *देसी फसल के दाम नहीं हो रहे कम:-
    कारोबारी और किसानों के सामने एक संकट यह आ रहा है कि देश में देसी तिलहन की कीमत नहीं टूट रही हैं, यह उंचाई पर ही बनी हुई हैं. विदेशी आयतित तेल सस्ता होने के कारण भारत की देसी सरसों, मूंगफली, सोयाबीन और बिनौला जैसे लाइट देसी ऑयल की कीमत कम करने पर दबाव बढ़ गया है| विशेषज्ञों का कहना है कि देसी फसलों की स्थिति सुधारने के लिए केंद्र सरकार को आयतित तेल नीति पर विचार करना होगा. यदि जल्दी कोई कम नहीं उठाया गया तो सस्ते, महंगे के चक्कर में देसी फसलों की खपत नहीं हो पाएगी. इनका घरेलू स्टॉक बढ़ेगा. फसल खराब होने लगेंगी तो किसानों को मोटा नुकसान होगा. सरकार को ड्यूटी फ्री खाने के तेल के इम्पोर्ट की छूट समाप्त करनी चाहिए. उसकी जगह तेलों पर आयात शुल्क लगाया जाना चाहिए |

    *बंदरगाहों पर मौजूद है खाद्य तेल :-
    देश के बंदरगाहों पर काफी मात्रा में खाद्य तेल मौजूद है. जानकारों का कहना है कि कई देशों से सस्ते दामों पर तेल को इंपोर्ट किया गया है| सारा तेल बंदरगाहों पर जमा है. इससे बाजार में तेल के दामों में गिरावट देखने को मिली है. अन्य देशों में भी तेल सस्ता हुआ है. उसका असर भी आयतित तेल की कीमतों पर पड़ा है |

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