…आखिरकार पहली बार इस मुद्दे पर PM मोदी के साथ खड़े दिखे राहुल गांधी!
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वाशिंगटन स्थित ‘नेशनल प्रेस क्लब’ में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में राहुल गांधी ने पाकिस्तान पर मोदी सरकार की नीतियों का समर्थन किया.
राहुल गांधी की चार दिवसीय अमेरिकी यात्रा समाप्त हो गई है. इस दौरान विभिन्न मंचों पर उन्होंने मोदी सरकार को घेरा. पिछले 10 वर्षों में भारत में लोकतंत्र कमजोर हुआ है. आरएसएस ने शिक्षा प्रतिष्ठानों पर कब्जा कर लिया है. भारत में चुनाव समेत विभिन्न मुद्दों पर उन्होंने बीजेपी और आरएसएस की आलोचना की. इस पर पलटवार करते हुए अमित शाह ने कहा है कि भारत को बांटने की साजिश रचने वाली ताकतों के साथ खड़े होना और देश विरोधी बयान देना राहुल गांधी और कांग्रेस की आदत बन गई है. चाहे जम्मू-कश्मीर में नेशनल कॉन्फ्रेंस के राष्ट्र-विरोधी एजेंडे के समर्थन की बात हो या विदेश में भारत-विरोधी टिप्पणी करना, राहुल ने देश की सुरक्षा को खतरे में डाला है.
इससे पहले राहुल गांधी ने अपनी यात्रा के अंतिम दिन वाशिंगटन स्थित नेशनल प्रेस क्लब में कहा, ‘‘मैंने देखा है कि किस तरह महाराष्ट्र में हमारी सरकार हमसे छीन ली गई. मैंने ये सब खुद अपनी आंखों से देखा है. मैंने देखा है कि कैसे हमारे विधायकों को खरीद लिया गया और उन्हें फंसा दिया गया और वे अचानक भाजपा के विधायक बन गए. तो इस प्रकार भारतीय लोकतंत्र खतरे में रहा है, इसे बुरी तरह से कमजोर किया गया और अब वह फिर से पटरी पर लौट रहा है. मुझे भरोसा है कि यह फिर से मजबूत होगा.’’
विदेश नीति का सवाल
हालांकि लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने संकेत दिया कि कांग्रेस विदेश नीति से जुड़े प्रमुख मुद्दों जैसे कि अमेरिका के साथ संबंध, आतंकवाद खत्म होने तक पाकिस्तान के साथ कोई बातचीत नहीं, बांग्लादेश और इजराइल में चरमपंथी तत्वों को लेकर चिंताओं पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा के साथ है. ‘नेशनल प्रेस क्लब’ में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में राहुल ने पाकिस्तान पर मोदी की नीतियों का समर्थन किया.
पाकिस्तान की बात
उन्होंने कहा, ‘‘पाकिस्तान का हमारे देश में आतंकवाद को बढ़ावा देना दोनों देशों को पीछे धकेल रहा है. हम यह स्वीकार नहीं करेंगे कि पाकिस्तान हमारे देश में आतंकवादी कृत्यों को अंजाम दे. हम इसे स्वीकार करने वाले नहीं हैं. और जब तक वे ऐसा करते रहेंगे हमारे बीच समस्याएं बनी रहेंगी.’’
यह पूछे जाने पर कि क्या कश्मीर मुद्दा दोनों दक्षिण एशियाई देशों को संवाद से दूर रख रहा है, इस पर उन्होंने कहा, ‘‘नहीं.’’
भारत-अमेरिका संबंध
भारत-अमेरिका संबंध पर एक सवाल पर राहुल ने कहा कि इसे दोनों देशों में द्विदलीय समर्थन प्राप्त है. उन्होंने कहा, ‘‘मुझे कोई बड़ा बदलाव नजर नहीं आता. मुझे नहीं लगता कि मोदी अमेरिका के साथ हमारे दृष्टिकोण से कुछ अलग हैं. मुझे लगता है…हर कोई इस तथ्य को स्वीकार करता है कि भारत-अमेरिका संबंध दोनों देशों के लिए महत्वपूर्ण हैं.’’
राहुल ने कहा कि वह भारत के आंतरिक मामलों में अमेरिका की कोई भूमिका नहीं देखना चाहते हैं और भारत के अंदरुनी मामलों पर फैसला देश के लोग करेंगे.
राहुल ने कहा, ‘‘भारत में लोकतंत्र की लड़ाई भारत की लड़ाई है. पूरे सम्मान के साथ कहना चाहता हूं कि इसका किसी और से कोई लेना-देना नहीं है. यह हमारी समस्या है और हम इसे देखेंगे. हम यह सुनिश्चित करेंगे कि लोकतंत्र सुरक्षित रहे.’’
उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि, यह समझना महत्वपूर्ण है कि भारतीय लोकतंत्र अपने आकार के कारण किसी भी सामान्य लोकतंत्र से कहीं अधिक विशाल है. अगर आप दुनिया के लोकतांत्रिक दृष्टिकोण के बारे में बात कर रहे हैं तो भारतीय लोकतंत्र का उसमें बड़ा स्थान है. मुझे लगता है कि यह महत्वपूर्ण है कि दुनिया भारतीय लोकतंत्र को न केवल भारत के लिए, बल्कि पूरे विश्व के लिए एक संपदा के रूप में देखती है.’’
इजरायल का साथ
कांग्रेस नेता से पूछा गया, ‘‘भारत पश्चिम एशिया में हाल में इजराइल के साथ रहा है. आप उसे कैसे बदलेंगे?’’ इस पर राहुल ने कहा, ‘‘देखिए, मुझे लगता है कि सात अक्टूबर को जो हुआ वह बिल्कुल गलत था. लेकिन मुझे यह भी लगता है कि इजराइल ने जो किया और जो कर रहा है, निर्दोष नागरिकों पर बम गिराना और महिलाएं व बच्चों की हत्या करना, वह भी पूरी तरह गलत है और उसे जारी रहने नहीं दिया जाना चाहिए. मैं किसी भी तरह की हिंसा के खिलाफ हूं. और निश्चित तौर पर जिस पैमाने पर हिंसा हो रही है, मुझे लगता है कि वह इजराइल को नुकसान पहुंचा रही है. यह इजराइल की मदद करने के बजाय उसे नुकसान ज्यादा पहुंचा रही है.’’
बांग्लादेश में बवाल
बांग्लादेश पर एक सवाल पर उन्होंने कहा, ‘‘बांग्लादेश में चरमपंथी तत्वों के बारे में भारत में चिंताएं हैं.’’ कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘‘हालांकि, मुझे विश्वास है कि बांग्लादेश में हालात स्थिर होंगे और हम उसके बाद मौजूदा सरकार या किसी भी अन्य सरकार के साथ संबंध स्थापित कर पाएंगे.’’
इससे पहले राहुल ने अमेरिकी संसद भवन में सांसदों के एक समूह से मुलाकात की, जिसमें बांग्लादेश के मुद्दे पर चर्चा की गई. राहुल ने कहा, ‘‘हमने बांग्लादेश का मुद्दा उठाया और उन्होंने भी हमसे बात की. देखिए, हम किसी भी प्रकार की हिंसा के खिलाफ हैं और हम इसे रोकना चाहते हैं. और यह साफ तौर पर बांग्लादेश सरकार की जिम्मेदारी है कि वह इसे जल्द से जल्द रोके. हमारी तरफ से, हमारी सरकार की जिम्मेदारी है दबाव डालना ताकि हिंसा बंद हो.’’
चीन को लेकर चिंता
राहुल (54) हालांकि चीन पर मोदी की नीतियों से सहमत नहीं हैं और उन्होंने आरोप लगाया कि चीनी सेना ने लद्दाख में दिल्ली के क्षेत्रफल बराबर भारतीय क्षेत्र पर कब्जा कर लिया है. राहुल ने मोदी की चीन नीति की आलोचना की. उनसे पूछा गया, ‘‘क्या आपको लगता है कि मोदी के नेतृत्व में भारत ने अमेरिका-चीन स्पर्धा पर ठीक रुख अपनाया है?’’
उन्होंने कहा, ‘‘देखें अगर आप हमारे 4,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में चीनी सैनिकों की मौजूदगी को चीजों को अच्छी तरह से संभालना कहते हैं, तो हो सकता है. चीनी सैनिकों ने लद्दाख में दिल्ली के क्षेत्रफल जितनी जमीन पर कब्जा कर लिया है. मुझे लगता है कि यह त्रासदी है. मीडिया इसके बारे में लिखना नहीं चाहती है.’’
राहुल ने कहा, ‘‘अगर कोई पड़ोसी देश आपके 4,000 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र पर कब्जा जमा ले तो अमेरिका की प्रतिक्रिया क्या होगी? क्या कोई राष्ट्रपति यह कहकर बच सकेगा कि उसने स्थिति को अच्छी तरह संभाला है? इसलिए, मुझे नहीं लगता कि मोदी चीन से अच्छी तरह निपटे हैं. मुझे लगता है कि चीनी सैनिकों की हमारे क्षेत्र में उपस्थित रहने की कोई वजह नहीं है.’’
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