पापा लगाते हैं जूस का ठेला, अब बेटा बनेगा डॉक्टर, कभी मौज-मस्ती में अव्वल गौतम ने ऐसे क्वालिफाई किया NEET.
1 min read
|








ये कहानी है एक ऐसे परिवार कि जिसने फेरी का काम करके अपने परिवार की पढ़ाई का खर्च उठाया. बेटे ने भी परिवार की मेहनत को बाकार नहीं जाने दिया और आज नीट क्वालिफाई करके डॉक्टर बनने की राह पर चल पड़ा है…
वो कहते हैं ना कि मेहनत और लगन हो तो कोई भी मंजिल पाना मुश्किल नहीं. हमारे आसपास कई ऐसे लोग हैं जो अपनी मेहनत के दम पर आगे बढ़े हैं और आज पूरे समाज के लिए मिसाल हैं. ऐसी ही एक मिसाल बना जूस का ठेला लगाने वाला का बेटा, जिसने नीट की परीक्षा में सफलता हासिल की है. जूस बेचने वाले का बेटा अब डॉक्टर बनकर लोगों की सेहत का ख्याल रखेगा. हम बात कर रहे हैं दीक्षित गौतम ने, जिसने NEET परीक्षा पास करके एमबीबीएस की सीट हासिल की है. उनके परिवार में कोई भी इतना पढ़ा-लिखा नहीं है. सभी लोग फेरी का काम करते हैं. पढ़िए ये मोटिवेशनल कहानी…
गरीबी में पले दीक्षित गौतम मेडिकल कॉलेज में दाखिल लेकर डॉक्टर बनने के सपने को पूरा करने के अपने सफर पर निकल पड़े हैं. दीक्षित के लिए ये सफलता एक सपने जैसी लग रही है. अब दीक्षित शाहजहांपुर मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस करके डॉक्टर बनकर लौटेगा.
पहले नहीं लगता था पढ़ाई में मन
सहारनपुर के कस्बा गागलहेड़ी के रहने वाले दीक्षित गौतम ने सत्य श्री कृष्णा इंटर कॉलेज से 12वीं पास की है, वह हमेशा से एक एवरेज स्टूडेंट थे. बताया जाता है कि पहले उनका मन पढ़ाई में नहीं लगता था. 12वीं में उनके 63 फीसदी नंबर आए थे, तब भी वह मौज-मस्ती में लगे रहे. साल 2020 में लॉकडाउन के दौरान घर में कैद रहना पड़ा तो उनका ध्यान पढ़ाई की तरफ गया. इस समय उनकी एक टीचर ने उन्हें अच्छे से पढ़ाई करने की सलाह दी. गौतम ने उनकी सलाह को बड़ी गंभीरता से लिया और ऑनलाइन पढ़ाई करने लगे.
तीसरी बार में निकाला NEET का एग्जाम
दीक्षित गौतम NEET के अपने पहले दो अटैम्प्ट में असफल रहे, लेकिन उसने हिम्मत नहीं हारी. आखिरकार अपने तीसरी प्रयास में दीक्षित ने नीट क्वलिफाई कर ही लिया और 539 नंबर हासिल कर एमबीबीएस के लिए अपनी सीट पक्की कर ली.
जूस बेचने वाले का बेटा डॉक्टर बनेगा
दीक्षित के पिता सेठपाल सिंह और मां रॉक्सी देवी कहते हैं कि उन्हें यह सब किसी सपने जैसा लगता है. उनके पूरे परिवार में किसी ने इतनी पढ़ाई नहीं की है. सभी लोग फेरी का काम करते हैं. दीक्षित को भी यह यकीन नहीं हो रहा है कि उनकी मेहनत का फल मिल गया है. सेठपाल गन्ने के जूस की रेहड़ी लगाते हैं और ऑफ सीजन में फैक्ट्री में मजदूरी करते हैं. छोटे-छोटे काम करके परिवार का पेट पालने वाले सेठपाल के सपने बड़े थे. वह चाहते थे कि उनका बेटा डॉक्टर बने, जो अब पूरा होगा.
About The Author
Whatsapp बटन दबा कर इस न्यूज को शेयर जरूर करें |
Advertising Space
Recent Comments