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    April 21, 2025

    12वीं में हुए फेल, भिखारियों के बीच सोए, चापरासी का भी किया काम, पर अंत में UPSC क्रैक कर बन गए IPS.

    1 min read
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    मनोज कुमार शर्मा ने आईपीएस का पद हासिल करने के लिए जीवन में काफी संघर्ष किया है. वह कभी मंदिरों में भिखारियों के बीच सोए, तो कभी चपरासी का काम किया. लेकिन अपने सपने को पूरा करने के लिए लगे रहे और अंत में यूपीएससी परीक्षा पास कर IPS बन गए.

    आईपीएस अधिकारी मनोज कुमार शर्मा को महाराष्ट्र पुलिस में डिप्टी इंस्पेक्टर जनरल (DIG) से इंस्पेक्टर जनरल (IG) के पद पर प्रमोट किया गया है. यह प्रमोशन कैबिनेट की नियुक्ति समिति (ACC) द्वारा 2003, 2004 और 2005 बैच के आईपीएस अधिकारियों के लिए प्रमोशन को मंजूरी दिए जाने के बाद हुई है. 2005 के महाराष्ट्र कैडर के आईपीएस अधिकारी मनोज शर्मा ने अपने करियर में इस महत्वपूर्ण मुकाम तक पहुंचने के लिए कड़ी मेहनत की है.

    घर के भरण-पोषण के लिए चलाते थे ऑटो-रिक्शा
    मध्य प्रदेश के मुरैना जिले में जन्मे मनोज की सफलता की यात्रा चुनौतियों से भरी थी. उनका शुरुआती शिक्षा से जुड़ा जीवन काफी कठिन था; उन्होंने स्कूल में काफी संघर्ष किया और एक समय पर अपनी परीक्षा पास करने के लिए अनुचित साधनों पर निर्भर थे. उन्होंने अपनी 10वीं कक्षा थर्ड डिवीजन के साथ पूरी की और 12वीं कक्षा में वे केवल नकल के कारण हिंदी में पास हो पाए. इन कठिनाइयों का सामना करते हुए, मनोज को जल्दी ही जिम्मेदारियां उठानी पड़ीं. उन्होंने आर्थिक संकट के दौरान अपने परिवार का भरण-पोषण करने के लिए अपने भाई के साथ ऑटो-रिक्शा चलाना शुरू कर दिया.

    भिखारियों के बीच सोए; चापरासी का भी किया काम
    उनके जीवन का एक महत्वपूर्ण क्षण तब आया जब पुलिस ने अधूरे कागजात के कारण उनका डेरा जब्त कर लिया. मनोज ने इसे वापस पाने के बजाय जिला मजिस्ट्रेट के कार्यालय पहुंच गए और पूछा कि वह सब डिविजनल मजिस्ट्रेट (SDM) कैसे बन सकते हैं. इस पूछताछ ने सिविल सेवा में जाने की उनकी महत्वाकांक्षा को जगाया. हालांकि, रास्ता इतना आसान नहीं था. उन्हें आर्थिक संघर्षों का सामना करना पड़ा, कभी-कभी उन्हें मंदिर में भिखारियों के बीच सोना पड़ता था. अपनी शिक्षा जारी रखने और अपने परिवार की मदद करने के लिए, उन्होंने एक चपरासी के रूप में भी काम किया.

    लाइब्रेरी में काम के दौरान पढ़ डाली कई किताबें
    उन्होंने दिल्ली की एक लाइब्रेरी में भी काम किया और यह उनके लिए बहुत उपयोगी निर्णय था. लाइब्रेरी में उन्होंने गोर्की और अब्राहम लिंकन से लेकर मुक्तिबोध तक कई प्रसिद्ध लेखकों की किताबों और व्यक्तित्वों के बारे में पढ़ा. इन सभी पुस्तकों को पढ़ने के बाद उन्हें जीवन का अर्थ और उद्देश्य समझ में आया.

    चौथे प्रयास में क्रैक किया UPSC और बन गए IPS
    मनोज कुमार शर्मा ने एक के बाद एक यूपीएससी के चार प्रयास किए. इनमें से पहले तीन प्रयासों में वे असफल रहे लेकिन चौथे प्रयास में वे ऑल इंडिया 121 रैंक के साथ आईपीएस बनने में सफल रहे. आईपीएस मनोज कुमार शर्मा का दबंग अंदाज है जिसकी वजह से कुछ लोग उन्हें सिंघम भी कहते हैं.

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