‘सब बर्बाद हो जाएगा..’, चीन की किस योजना पर भड़के हिमंता, बॉर्डर पर ड्रैगन का ‘खौफनाक खेल’.
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China Dam Plan: तिब्बत की यारलुंग जांग्बो नदी वही नदी है जिसे अपने यहां ब्रह्मपुत्र कहते हैं. ये ब्रह्मपुत्र का तिब्बती नाम है. मुख्यमंत्री हिमंताा ने कहा कि अगर यह बांध बनता है तो ब्रह्मपुत्र नदी का जलस्तर गिर जाएगा और नदी का पारिस्थितिकी तंत्र कमजोर हो जाएगा.
चीन के साथ भारत कितने भी दोस्ती के हाथ बढ़ाए लेकिन ड्रैगन अपनी हरकतों से बाज नहीं आता है. इसी कड़ी में असम के मुख्यमंत्री हिमंता विश्व शर्मा ने चीन की एक योजना पर तगड़ा निशाना साधते हुए चेतावनी दे डाली है. उन्होंने चेतावनी दी है कि चीन की तरफ से ब्रह्मपुत्र नदी पर प्रस्तावित विश्व के सबसे बड़े जलविद्युत बांध का निर्माण नदी के पारिस्थितिकी तंत्र को गंभीर नुकसान पहुंचा सकता है. उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने इस मुद्दे पर अपनी चिंता चीन को पहले ही व्यक्त कर दी है. यह बांध तिब्बत की यारलुंग जांग्बो नदी पर बनाया जाएगा.
ब्रह्मपुत्र पर भी बांध का प्रभाव
मुख्यमंत्री हिमंताा ने कहा कि अगर यह बांध बनता है तो ब्रह्मपुत्र नदी का जलस्तर गिर जाएगा और नदी का पारिस्थितिकी तंत्र कमजोर हो जाएगा. उन्होंने यह भी कहा कि अरुणाचल प्रदेश और भूटान में बारिश की कमी होने पर ब्रह्मपुत्र पूरी तरह सूख सकती है. ऐसे में वहां सब बर्बाद हो जाएगा. यह स्थिति असम और अरुणाचल प्रदेश के लिए बड़ी समस्या बन सकती है.
अरुणाचल प्रदेश के CM क्या बोले?
शर्मा ने बताया कि अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने भी इस मुद्दे को केंद्र सरकार के सामने उठाया है. उन्होंने कहा कि अरुणाचल और असम दोनों राज्यों के लिए यह बांध गंभीर खतरा पैदा कर सकता है. केंद्र सरकार इस मामले को चीन के साथ अपनी वार्ता प्रक्रिया में शामिल करेगी.
चीन का बांध और वैश्विक चिंता
मालूम हो कि चीन ने पिछले हफ्ते इस बांध को बनाने की मंजूरी दी, जो 60,000 मेगावाट बिजली उत्पादन करने में सक्षम होगा. यह बांध हिमालय की एक विशाल घाटी में बनाया जाएगा, जहां ब्रह्मपुत्र नदी अरुणाचल प्रदेश की ओर एक बड़ा मोड़ लेती है. यह बांध भारत और बांग्लादेश के लिए भी चिंता का विषय है क्योंकि इसका प्रभाव नदी के निचले इलाकों पर भी पड़ेगा.
स्थानीय और अंतरराष्ट्रीय प्रभाव
मुख्यमंत्री शर्मा ने कहा कि इस बांध के कारण ब्रह्मपुत्र नदी केवल बारिश के पानी पर निर्भर हो जाएगी, जिससे नदी का प्राकृतिक संतुलन और जल उपलब्धता पर गहरा असर पड़ेगा. उन्होंने इसे एक बड़ी समस्या करार देते हुए कहा कि भारत सरकार को इस मामले में सतर्क रहना होगा और इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रभावी तरीके से उठाना होगा.
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