राजस्थान के राज्यपाल का दावा, “वेदों ने न्यूटन से भी पहले दुनिया को गुरुत्वाकर्षण के बारे में बताया था”; उन्होंने कहा, “यहां तक कि बिजली और हवाई जहाज का आविष्कार भी…”
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राजस्थान के राज्यपाल हरिभाऊ बागड़े ने कहा है कि गुरुत्वाकर्षण बल का उल्लेख सर आइज़ैक न्यूटन से सैकड़ों वर्ष पहले वैदिक ग्रंथों में मिलता है।
यह एक प्रसिद्ध कहानी है कि सर आइज़ैक न्यूटन एक पेड़ के नीचे बैठे थे, उन्होंने एक सेब गिरते देखा और उससे पृथ्वी पर गुरुत्वाकर्षण बल की खोज की। 1687 में सर आइज़ैक न्यूटन ने गुरुत्वाकर्षण बल की खोज की। लेकिन राजस्थान के राज्यपाल हरिभाऊ किसनराव बागड़े का दावा है कि इससे सैकड़ों वर्ष पहले भी वेदों में गुरुत्वाकर्षण बल का उल्लेख था। वह बुधवार को जयपुर में इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में बोल रहे थे।
इस अवसर पर बोलते हुए हरिभाऊ बागड़े ने भारतीय ज्ञान परंपरा का हवाला देते हुए दावा किया कि हाल के समय में की गई कई खोजें बहुत पहले भारत में की गई थीं। उन्होंने कहा, ‘‘ज्ञान की परंपरा में भारत सदैव विश्व में सर्वश्रेष्ठ रहा है। भारत ने विश्व को दशमलव प्रणाली दी। न्यूटन ने गुरुत्वाकर्षण के नियम के बारे में दुनिया को बहुत बाद में बताया। इस अवसर पर हरिभाऊ बागड़े ने कहा, “भारत में इसका उल्लेख वेदों में बहुत पहले किया गया है।”
बिजली और हवाई जहाज का आविष्कार भी भारत में हुआ!
इस बीच, बागड़े ने यह भी कहा कि भारत में बिजली और विमान का जिक्र बहुत पहले हुआ था। उन्होंने कहा, ‘‘बिजली और हवाई जहाज जैसे कई आविष्कारों का उल्लेख भारतीय इतिहास की पुस्तकों में मिलता है। इसका उल्लेख ऋग्वेद में भी मिलता है। महर्षि भारद्वाज द्वारा लिखित एक पुस्तक में विमान का उल्लेख है। हरिभाऊ बागड़े ने कहा, “50 साल पहले नासा ने इस पुस्तक की मांग करते हुए एक पत्र भी लिखा था।”
ब्रिटिश नीति…
“भारत पहुंचने के बाद अंग्रेजों ने भारतीय ज्ञान को दबाने की कोशिश की। इसीलिए भारतीय विद्यार्थियों के ज्ञान में निरंतर वृद्धि करना महत्वपूर्ण है। इसके अलावा, इस ज्ञान को भारतीय ज्ञान परंपरा से जोड़ना भी महत्वपूर्ण है,” हरिभाऊ बागड़े ने कहा। उन्होंने नालंदा और तक्षशिला विश्वविद्यालयों का भी उल्लेख किया।
“आपने नालंदा और तक्षशिला विश्वविद्यालयों के बारे में सुना होगा। ये दोनों विश्वविद्यालय इतने समृद्ध थे कि दुनिया भर से छात्र इन विश्वविद्यालयों में अध्ययन करने आते थे। उस समय इन विश्वविद्यालयों में शिक्षा की भाषा केवल संस्कृत ही थी, अन्य किसी भाषा का प्रयोग नहीं किया जाता था। बख्तियार खिलजी ने नालंदा विश्वविद्यालय को नष्ट कर दिया। लेकिन अब नालंदा विश्वविद्यालय का पुनर्निर्माण किया जा रहा है। बागड़े ने इस दौरान यह भी कहा कि, “यह फिर से पहले की तरह काम करेगा।”
उन्होंने कहा, ‘‘भारतीय ज्ञान को नष्ट करने के कई प्रयास हुए हैं। लेकिन इसमें कोई भी सफल नहीं हुआ है। राजस्थान योद्धाओं की भूमि है। उन्होंने कहा, ‘‘बप्पा रावल ने लगभग सौ वर्षों तक विदेशी आक्रमणकारियों को राजस्थान में पैर नहीं रखने दिया।’’
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