डोनाल्ड ट्रंप के एक फैसले से छा गई रौनक… भारतीय बाजार में 26 लाख करोड़ की कमाई, जानें अब क्या होगा आगे।
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बाजार में इस पॉजिटिव संकेत के पीछे अमेरिकी सरकार की तरफ से टैरिफ पर ब्रेक के साथ ही अन्य देशों के साथ संभावित बातचीत के रास्त खोलने के ट्रंप सरकार के फैसले से भी बाजार को बल मिला है.
भारतीय शेयर बाजार में दोबारा रौनक लौट रही है. इस कारोबारी हफ्ते के दौरान बीएसई सेंसेक्स और निफ्टी 50 में करीब 6 प्रतिशत का इजाफा देखने को मिला. विदेशी निवेशकों की वापसी, महंगाई दर कम होने और मॉनसून सीजन बेहतर रहने की उम्मीद ने निवेशकों का भरोसा बढ़ाया है.
बीएसई बेंचमार्क सेंसेक्स 4,706.05 प्वाइंट ऊपर चढ़ा यानी 6.37 प्रतिशत की उछाल देखने को मिला. जबकि एनएसई निफ्टी में चार कारोबारी सत्र के दौरान 6.48 प्रतिशत यानी 1452.5 अंक ऊपर गया. इसके बाद निवेशकों की संपत्ति 25.77 लाख करोड़ रुपये बढ़ गई. इसके साथ ही, बीएसई में लिस्टेड कंपनियों की कुल बाजार पूंजी 419 लाख करोड़ रुपये हो गई.
शेयर बाजार शुक्रवार को गुड फ्राइडे की वजह से बंद रहा और उसके बाद शनिवार और रविवार के चलते बंद है. बाजार के जानकारों के कहना है कि इस तरह के शेयर मार्केट में सकारात्मक रुझान की वजह है विदेश निवेश का आना, अमेरिका की तरफ से टैरिफ पर 90 दिनों के लिए लगाए गए ब्रेक और आरबीआई की तरफ से मौद्रिक नीति में ढील देना.
इन सभी के चलते ही अंतरराष्ट्रीय बाजार में इतनी अनिश्चितताओं के बावजूद इंडियन मार्केट को वापसी में मदद मिली है. प्रोविजन एक्सचेंज डेटा का मुताबिक, पिछले दो कारोबारी सत्र के दौरान भारतीय शेयर में करीब 1 बिलियन डॉलर से ऊपर का विदेशी निवेश किया गया है.
बाजार में इस पॉजिटिव संकेत के पीछे अमेरिकी सरकार की तरफ से टैरिफ पर ब्रेक के साथ ही अन्य देशों के साथ संभावित बातचीत के रास्त खोलने के ट्रंप सरकार के फैसले से भी बाजार को बल मिला है. इससे व्यापारिक तनाव के बीच निवेशकों को राहित मिली है और ग्लोबल स्टॉक मार्केट में इसका असर दिख रहा है.
इसके अलावा, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की तरफ से लगातार दूसरी बार 25 बेसिस प्वाइंट का 9 अप्रैल को रेपो रेट में कटौती भी निवेशकों के विश्वास को बढ़ाया है. सबसे खास बात ये है कि आरबीआई ने अपने रुख को बदलते हुए अब न्यूट्रल की जगह बाजार को बढ़ावा देने वाला बना लिया है. इसके सात ही, मार्च के महीने में खुदरा महंगाई दर 3.34 प्रतिशत पर आ गया है, जो पिछले करीब छह वर्षों में सबसे कम है. खुदरा महंगाई दर कम होने का मतलब है सब्जी, अंडे और प्रोटीन से जुड़ी अन्य चीजों का सस्ता होना.
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