सत्यापन के दौरान छुट्टी को न मिटाएं! सुप्रीम कोर्ट ने ईवीएम के संबंध में चुनाव आयोग को आदेश दिया।
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उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को चुनाव आयोग को आदेश दिया कि सत्यापन प्रक्रिया के दौरान ईवीएम में मौजूद जानकारी को न तो मिटाया जाए और न ही दोबारा लोड किया जाए।
नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को चुनाव आयोग को निर्देश दिया कि सत्यापन प्रक्रिया के दौरान ईवीएम को मिटाया या पुनः लोड नहीं किया जाए। दूसरी ओर, न्यायालय ने सत्यापन के लिए निर्धारित 40 हजार रुपये की फीस को भी कम करने का निर्देश दिया है।
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर शिकायत की है कि ईवीएम को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने अप्रैल 2024 में जो आदेश दिए थे, उसके मुताबिक प्रक्रिया नहीं हो रही है। मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति एस.के. मंगलवार को न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ के समक्ष सुनवाई हुई। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि ईवीएम के सत्यापन और मेमोरी मैकेनिज्म के साथ ‘सिंबल लोडिंग यूनिट’ के संबंध में 26 अप्रैल को जारी अदालत के आदेशों में स्पष्ट की गई प्रक्रियाओं का पालन नहीं किया जा रहा है। याचिकाओं में मांग की गई है कि पुन: सत्यापन आवेदन लंबित रहने तक आयोग को ईवीएम की मूल ‘मेमोरी’ मिटाने से रोका जाए। उपरोक्त निर्देश देते हुए न्यायालय ने आयोग को दो सप्ताह के भीतर कार्यप्रणाली की जानकारी उपलब्ध कराने का भी आदेश दिया। इस मामले में अगली सुनवाई 3 मार्च को होगी।
पिछले आदेश क्या हैं?
1. पिछले वर्ष 26 अप्रैल को न्यायालय ने मतपत्र से मतदान की मांग को खारिज करते हुए फैसला सुनाया था कि मतदान मशीनें ‘सुरक्षित’ हैं।
2. हालांकि, इस फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने दूसरे या तीसरे स्थान पर आने वाले उम्मीदवारों के लिए भी ईवीएम की जांच का रास्ता साफ कर दिया।
3. न्यायालय ने अपने आदेश में कहा था कि पराजित उम्मीदवार उचित शुल्क देकर प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में पांच प्रतिशत ईवीएम का सत्यापन करा सकते हैं।
4. अदालत ने यह भी आदेश दिया कि ईवीएम के साथ-साथ ‘प्रतीक लोडिंग यूनिट’ को भी सील कर दिया जाए तथा फैसले के बाद 45 दिनों तक सुरक्षित रखा जाए।
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