गरिमा को ठेस पहुंचाई… द्रौपदी मुर्मू पर सोनिया गांधी की टिप्पणी, राष्ट्रपति भवन ने जारी किया बयान।
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कांग्रेस की वरिष्ठ नेता सोनिया गांधी ने शुक्रवार को बजट सत्र शुरू होते ही राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के सदन के दोनों सदनों में अभिभाषण पर अपनी टिप्पणी से विवाद खड़ा कर दिया. उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को ‘पुअर लेडी’ यानी बेचारी महिला बताया.
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू पर कांग्रेस नेता सोनिया गांधी की टिप्पणी पर राष्ट्रपति भवन ने बयान जारी किया है. राष्ट्रपति भवन ने कांग्रेस नेताओं की टिप्पणियों को अस्वीकार्य बताते हुए कहा कि इससे पद की गरिमा को ठेस पहुंची है. बता दें कि कांग्रेस की वरिष्ठ नेता सोनिया गांधी ने शुक्रवार को बजट सत्र शुरू होते ही राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के सदन के दोनों सदनों में अभिभाषण पर अपनी टिप्पणी से विवाद खड़ा कर दिया. उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को ‘पुअर लेडी’ यानी बेचारी महिला बताया. उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति भाषण के दौरान अंत तक बहुत थक गई थीं। ‘बेचारी’ मुश्किल से बोल पा रही थीं.
ऐसी टिप्पणियां गलत और दुर्भाग्यपूर्ण: राष्ट्रपति भवन
राष्ट्रपति कार्यालय ने कहा कि ऐसा हो सकता है कि ये नेता ‘हिंदी जैसी भारतीय भाषाओं के मुहावरे और विमर्श’ से वाकिफ नहीं हों, इसलिए इस तरह की गलत धारणा बना ली. राष्ट्रपति कार्यालय ने एक बयान में कहा, ‘किसी भी मामले में, ऐसी टिप्पणियां गलत, दुर्भाग्यपूर्ण और पूरी तरह से टालने योग्य हैं.’ शुक्रवार को, राष्ट्रपति द्वारा संसद की संयुक्त बैठक में अपना अभिभाषण समाप्त करने के तुरंत बाद, कांग्रेस नेता सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी को अभिभाषण पर चर्चा करते देखा गया. सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे एक वीडियो में सोनिया गांधी को कथित तौर पर यह कहते हुए सुना गया, ‘राष्ट्रपति, अंत तक बहुत थक गई थीं… बेचारी, वह मुश्किल से बोल पा रही थीं.’
राष्ट्रपति भवन ने कहा, ‘संसद में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर मीडिया को प्रतिक्रिया देते हुए कांग्रेस पार्टी के कुछ प्रमुख नेताओं ने ऐसी टिप्पणियां की हैं, जो स्पष्ट रूप से पद की गरिमा को ठेस पहुंचाती हैं, इसलिए ये अस्वीकार्य हैं.’ राष्ट्रपति कार्यालय के बयान के मुताबिक, इन नेताओं ने कहा है कि राष्ट्रपति अंत तक ‘बहुत थक गई थीं’ और वह मुश्किल से बोल पा रही थीं. बयान में कहा गया, ‘राष्ट्रपति भवन यह स्पष्ट करना चाहता है कि यह धारणा पूरी तरह गलत है. राष्ट्रपति किसी भी समय थकी नहीं थीं. वास्तव में, उनका मानना है कि हाशिए पर पड़े समुदायों, महिलाओं और किसानों के लिए बोलना, जैसा कि वह अपने संबोधन के दौरान कर रही थीं, कभी भी थकाऊ नहीं हो सकता है.’
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