‘डिजी-एक्जाम’ सिस्टम, सेंटर अलॉटमेंट की पॉलिसी, CBT में बदलाव: परीक्षा सुधारों की सूची में और क्या-क्या?
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राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनटीए) के पास एक “सशक्त और जवाबदेह” गवर्निंग बॉडी होनी चाहिए.
परीक्षा सुधारों को लेकर केंद्र की उच्च-स्तरीय समिति ने कई सिफारिशें की हैं, जिनमें अभ्यर्थी के बदले किसी अन्य के परीक्षा में बैठने पर अंकुश लगाने के लिए ‘डिजी-एक्जाम’ सिस्टम अपनाना, परीक्षा केंद्र अलॉटमेंट पॉलिसी बनाना और हर जिले में सुरक्षित परीक्षा केंद्र तथा ग्रामीण एवं दूरदराज के क्षेत्रों में मोबाइल परीक्षा केंद्र स्थापित करना शामिल हैं. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के पूर्व प्रमुख आर राधाकृष्णन की अध्यक्षता वाली सात-सदस्यीय समिति की रिपोर्ट मंगलवार को सार्वजनिक की गई.
समिति ने कहा है कि ‘डिजी-यात्रा’ की तर्ज पर एक ‘डिजी-एक्जाम’ सिस्टम शुरू करने की सिफारिश की ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि केवल परीक्षा देने वाला उम्मीदवार ही इच्छित कार्यक्रम में शामिल हो. समिति ने कहा, “जरूरी रूप से, उम्मीदवार की पहचान के मल्टि स्टेप ऑथेंटिकेशन की परिकल्पना की गई है, जिसमें आधार और बायोमेट्रिक्स तथा एआई-बेस्ड डेटा एनालिटिक्स का उपयोग किया जाता है.”
समिति ने यह भी कहा कि राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनटीए) के पास एक “सशक्त और जवाबदेह” गवर्निंग बॉडी होनी चाहिए, जिसमें परीक्षा ऑडिट, नैतिकता और पारदर्शिता; नामांकन और कर्मचारियों की शर्तें; और हितधारक संबंधों की देखरेख के लिए तीन नामित उप-समितियां हों. समिति ने कहा, “समिति ने एक परीक्षण केंद्र आवंटन नीति की परिकल्पना की है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि आदर्श रूप से उम्मीदवारों को उनके निवास वाले जिले में परीक्षा केंद्र का ऑप्शन मिलना चाहिए.”
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