क्या कोरोना महामारी ने सच में चांद को ठंडा कर दिया? वैज्ञानिकों ने रिसर्च में बता दी सच्चाई।
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धरती से निकलने वाली गर्मी और रेडिएशन चांद के तापमान को थोड़ा बहुत प्रभावित कर सकते हैं. लेकिन यह प्रभाव इतना कम होगा कि इसे माप पाना या नोटिस कर पाना बेहद मुश्किल होगा. चांद की सतह के तापमान को मापा गया था.
कोरोना महामारी ने पूरी दुनिया को प्रभावित किया था. कोई सोच ही नहीं सकता था कि इसे दिन भी कभी आएंगे. और जब महामारी गई तो उसके कई सारे साइड इफेक्ट भी सामने आए. इसी कड़ी में अब सवाल उठा कि क्या इसका असर चांद तक भी पहुंचा? एक अध्ययन में दावा किया गया था कि 2020 में जब पूरी दुनिया लॉकडाउन में थी तब चांद का तापमान भी गिर गया था. इस खबर ने लोगों को हैरान कर दिया था. अब वैज्ञानिकों ने इस दावे की दोबारा जांच की है और एक नई रिपोर्ट जारी की है. इसमें बताया गया है कि कोरोना के कारण चांद के तापमान में गिरावट होने की बात पूरी तरह से सही नहीं हो सकती.
तापमान गिरने की घटना ?
दरअसल मिसौरी यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी और यूनिवर्सिटी ऑफ वेस्ट इंडीज के वैज्ञानिकों ने पाया कि अप्रैल-मई 2020 के दौरान चांद की सतह का तापमान वास्तव में कम हुआ था लेकिन ऐसा ही तापमान गिरने की घटना 2018 में भी देखी गई थी. जब कोरोना का नामोनिशान भी नहीं था. वैज्ञानिकों के अनुसार चांद के तापमान में बदलाव 2019 में ही शुरू हो गया था, जो यह दिखाता है कि यह घटना कोरोना महामारी के कारण नहीं हुई.
ठंडा होने से जोड़ना सही नहीं?
जबकि पहले के अध्ययन में वैज्ञानिकों ने नासा के डिवाइनर लूनर रेडियोमीटर एक्सपेरिमेंट के डेटा का इस्तेमाल किया था. इस डेटा में 2017 से 2023 के बीच चांद की सतह के तापमान को मापा गया था, जिसमें पाया गया कि 2020 के लॉकडाउन के दौरान तापमान में गिरावट आई थी. लेकिन नई रिसर्च का कहना है कि इंसानी गतिविधियों में अचानक आई कमी को सीधे तौर पर चांद के ठंडा होने से जोड़ना सही नहीं होगा.
ज्यादा खिंचा हुआ तर्क लगता है
नए अध्ययन में शामिल मिसौरी यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर डॉ विलियम शॉन्बर्ग ने कहा कि हम यह नहीं कह रहे कि चांद का तापमान नहीं गिरा लेकिन यह कहना कि इसका मुख्य कारण मानव गतिविधियों में कमी थी. यह थोड़ा ज्यादा खिंचा हुआ तर्क लगता है. उन्होंने यह भी बताया कि धरती से निकलने वाली गर्मी और रेडिएशन चांद के तापमान को थोड़ा बहुत प्रभावित कर सकते हैं, लेकिन यह प्रभाव इतना कम होगा कि इसे माप पाना या नोटिस कर पाना बेहद मुश्किल होगा.
इस शोध से यह साफ हो गया है कि चांद के तापमान में उतार-चढ़ाव प्राकृतिक कारणों से भी हो सकता है और इसे पूरी तरह से कोरोना महामारी से जोड़ना सही नहीं होगा. वैज्ञानिक अब भी इस विषय पर और गहराई से शोध कर रहे हैं ताकि यह पता लगाया जा सके कि आखिर चांद के तापमान में बदलाव का असली कारण क्या है.
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