धारावी पुनर्विकास परियोजना को ‘जैसा है’ आदेश देने से इनकार; राज्य सरकार और अडानी समूह को सुप्रीम कोर्ट का नोटिस।
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उच्च न्यायालय ने धारावी में पुनर्विकास का रास्ता साफ कर दिया था और परियोजना के लिए अडानी समूह को दी गई निविदा को बरकरार रखा था।
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को मुंबई में धारावी पुनर्विकास परियोजना को ‘यथास्थिति’ देने से इनकार कर दिया। मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ ने महाराष्ट्र सरकार के साथ-साथ अडानी समूह को उच्च न्यायालय के 20 दिसंबर, 2024 के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर अपने जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया। इस परियोजना के लिए अडानी समूह की निविदा को मंजूरी दे दी गई है।
उच्च न्यायालय ने धारावी में पुनर्विकास का रास्ता साफ कर दिया था और परियोजना के लिए अडानी समूह को दी गई निविदा को बरकरार रखा था। सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) स्थित सेकलिंक टेक्नोलॉजी कॉरपोरेशन की याचिका खारिज कर दी। अडानी समूह ने इस परियोजना के लिए 5,069 करोड़ रुपये की बोली लगाई थी। 2018 में सेकलिंक टेक्नोलॉजी कॉरपोरेशन ने इस परियोजना के लिए सबसे ऊंची बोली लगाते हुए 7,200 करोड़ रुपये का प्रस्ताव दिया था, लेकिन बाद में सरकार ने निविदा रद्द कर दी थी।
मई में सुनवाई
इस याचिका पर नोटिस जारी करते हुए पीठ ने अडानी समूह को परियोजना के लिए एक ही बैंक खाते से धनराशि उपलब्ध कराने का निर्देश दिया। सुनवाई के दौरान ‘सेकलिंक’ की ओर से उपस्थित वरिष्ठ वकील सी. आर्यमा सुन्दरम ने अदालत से यथास्थिति बनाये रखने का अनुरोध किया। हालाँकि, मुख्य न्यायाधीश ने इसे खारिज कर दिया। उन्होंने यह भी तर्क दिया कि याचिकाकर्ता कंपनी ने पहले टेंडर में 7200 करोड़ रुपये का प्रस्ताव रखा था और वह इसे 20 प्रतिशत बढ़ाने के लिए तैयार थी। अदालत ने उन्हें एक हलफनामा प्रस्तुत करने का निर्देश दिया। इस मामले पर अगली सुनवाई मई के अंतिम सप्ताह में होगी।
इस बीच, अडानी की ओर से बहस करते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने पीठ को बताया कि परियोजना पर काम शुरू हो गया है, राशि जमा कर दी गई है और 2000 लोगों को रोजगार प्रदान किया गया है।
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