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    April 19, 2025

    धनंजय खराटे ने कई मुश्किलों के बावजुद एक सफल उद्योजक बनकर दिखाया

    1 min read
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    लाॅकडाउन में पुरी तरह निराश और असफलता का सामना करने के बाद मात्र 50 हजार रूपयोंका सहयोग लेकर 50 लाख रूपयों से अधीक का बिझनेस  बनाने में कामियाब हो सके है धनंजय खराटे –
    Royal Collection
    धनंजय खराटे ने जीस बिझनेस की शुरूआत की उसमें उनके दोस्त ही उनके पार्टनर बने जिनका नाम है कुणाल जन्नु, धनंजय और कुणाल दोनोंही बचपन के दोस्त है, आज सफल बिझीनेस पार्टनर के रूप में उन्होंने एक बेहतर मुकाम हासिल कीया है! जिस कंपनी का नाम है राॅलय कलेक्शन!
    धनंजय को बचपन से ही बिझनेस में अधिक रूची थी, तो उन्होंने 12 वी के बाद पढाई करना छोड दिया! और मार्केटींग के क्षेत्र में काम करने लगे! उन्हें खुदकी काबिलीयत को साबित करना था, उन्होंने 7 सालों तक मार्केटींग का अच्छा अनुभव प्राप्त किया! मात्र 2000 रूपयें से उन्होंने बिझनेस की शुरूआत की थी, और 40,000 रूपये तक उन्होंने पगार लेना शुरू कीया था! उस समय पगार मिलने के बावजुद मन ही मन कुछ चल रहा था! उन्हें ये काम करके समाधान नही मिल रहा था, उन्हें खुद का बिझनेस शुरू करना था, वे दिनरात वही सपना देखने लगे! उन्होंने मनही मन लगता था की उनके अंदर ताकद है, हुनर है जो उन्हें सफलता के सही रास्तेंपर चलने के लिए फायदेंमंद होगा! लेकीन मन मे उन्हें एक डर सता रहा था! यदी बिझनेस सही ढंग से नही चल पाया तो? उन्हें हरपल यही चिंता सता रही थी! लेकीन उन्होंने खुद के भरोसे और आत्मविश्वास के साथ 2020 में नोकरी करना छोड दिया!
    जाॅब छोडने के बाद काफी सवाल औखो के सामने थे, किस बिझनेस को आगे बढाना है, वे असंमजस की स्थिती में थे, उन्होंने 2020 में बिना कीसी परिणाम के बिझनेस की शुरूआत की, उन्हें उस समय कीसी का सहारा नही था! तो उन्होंने पुणे में बिझनेस ढुंडना शुरू कीया! 2 महीनें के लंबे इंतजार के बाद, सबकुछ सोच समझकर उन्होंने खवैंयो को ध्यान मे रखते हुए बिझनेस शुरू करने का संकल्प लिया, लेकीन उस समय उन्होंने देखा की, खाने के बिझनेस में ज्यादातर लोग बाहर के राज्यों से आकार व्यापार कर रहे थे! उस समय युपी बिहार के काफी लोग अच्छा व्यापार कर रहे थे! उन्होंने इसी बात को ध्यान में रखते हुए पुणे खरडी मे आयटी पार्क के बाहर एक शाॅप खरीद लेने की ठान ली, उन्होंने बिझनेस की पुरी तैयारी कर ली थी, आनेवाले 5 दिनों में वे उनका बिझनेस शुरू ही करने वाले थे की, लेकीन नियती का चक्र बदल गया और कोविड महामारी की वजह से लाॅकडाउन के चक्रव्यह में वे सारे लोग फस गए!
    उन्होंने इस बिझनेस के लिए अपनी सारी जमा पुंजी लगा दी थी, उनका जाॅब तक उन्होंने छोड दिया था! अब उनके पास एकही रास्ता था इंतजार करना, उन्होंने एक महिने तक इंतजार किया लेकीन लाॅकडाउन में कोई अंतर नही आया, एकतरफ उन्हें शाॅप का रेंट देना था, तो दुसरी तरफ बिझनेस पुरीतरह बंद था, एैसेही असमंजस की परिस्थीती मे उन्होंने 6 महिनों तक खुद को संभाले रखा, और अच्छे दिनों की प्रतिक्षा करते रहे, कुद दिनों बाद जब लाॅकडाउन खुला तो, लोग एक दुसरे से मिलने के लिए और बात करने के लिए डर रहे थे, उस समय निराश होकर उन्होंने हाॅटेल का बिझनेस जो अभी शुरू भी नही हुआ था, उसे बंद करने का विचार करने लगे! जींदगी के पहले कदम पर उन्होंने असफलता का सामना किया था, तो वे अंदर ही अंदर खुद को कोसने लगे! लेकीन उसी दौरान एक वेबसिरीज ने सभी का ध्यान अपनी और खीच लिया, वो सिरीज थी स्कॅम 1992, हर चैराहेपर एकही चर्चा हो रही थी, तो उन्होंने शेअरमार्केट को समझने का प्रयास कीया, उनके पास अतिरीक्त समय और शेअर मार्केट के ज्ञान का अभाव था! फिरभी शेअरमार्केट की जानकारी लेना उन्होंने शुरू कीया, क्योकी उन्हें हाॅटेल में जो लाॅस हुआ था उसे भी पुरा करना था!
    उस समय कम से कम निवेश में ज्यादा पैसे मिलने वाला बिझनेस उन्होंने चुना, उन्होंने मात्र 10 हजार रूपयों से शुरूआत की, और 20 दिनों मे उन्होंने 1.50 लाख रूपयों का मुनाफा कमाया, उन्होंने अधीक पैसे बनाने के इरादें से भविष्य में अधीक मुनाफा कमाने के उद्देश्य से बचा कुचा सारा पैसा शेअरमार्केट में लगा दिया, उनका बॅंक अकाउंट कब खाली हो गया पता ही नही चला, अब तो उन्हें निराशा की खाई में जाने से भी डर लगने लगा था, उनकी चिंता दिनप्रतीदिन बढती ही जा रही थी, उसमें और एक आघात हुआ और दुसरा लाॅकडाउन शुरू हुआ! उस समय वे अपने नसिब को कोसने लगे! उन्हें लगा की उनके साथ ये सबकुछ क्यो हो रहा है?, क्या उन्होंने जाॅब छोडने की सबसे बडी गलती की है? ऐसे अननिगत सवालों के घेरें में वे अटक चुके थे!
    जब कुछ दिनों बाद निराशा के काले बादल हटने लगे तो उन्होंने वही पुरानी नोकरी फिरसे जाॅईन करने का संकल्प लिया, क्योकी उन्हें लाॅकडाउन में जीन दोस्तों से पैसे लिए थे वे उन्हें लौटाने थे, उस समय डिलीव्हरी बाॅय का काम जोरोशोरों से चल रहा था, जब जीवन से हार नही मानने की हम ठान लेते है, तो रास्तें अपने आप बन जाते है, उन्होंने 17/18 घंटे डिलीव्हरी बाॅय का काम करना प्रारंभ कीया, वे दिनरात मेहनत करने लगे! धिरे धिरे काफी लोगोंके पैसे उन्होंने लौटा दिए, उन्होंने जिवन मे हमेशा ही आगे बढने का इरादा रखा था, उन्होंने फिरएकबार अपना नसिब आजमाने की कोशीष की, 20,20 हजार रूपयों का निवेश कर के उन्होंने अपने ही घर मे एक कपडों का बिझनेस शुरू कीया, वहाॅ उन्होंने अच्छा रिस्पाॅन्स मिलने लगा! उन्होंने मार्केट में बिझनेस लाने के बारे में सोचा था, लेकीन उनके पास पर्याप्त पैसे नही थे, और बिझनेस में ज्यादा लागत नही थी, तो कोई भी बॅंक उन्हें लोन नही दे पा रहा था!
    जब इरादा पक्का हो तो सफलता का रास्ता नजर आने लगता है, उन्होंने अपने पास जितने सोने के गेहने थे वो सारे बेच दिए! एक मित्र के नामपर लोन लिया और जिद और अपने आप पर अटुट विश्वास के साथ उन्होंने बिझनेस को आगे बढाया! और कम से कम समय में कडी मेहनत और लगन के साथ एक अच्छा ब्राण्ड बनने में वे सफलता हासील कर सके!
    आखीरकार उन्होंने अपने उद्योजक बनने का सपना पुरा कर दिखाया, आज उन्हें खुशी है की मात्र 50 हजार रूपयों से शुरू कीया गया उनका बिझनेस 50 लाख रूपयोंका टर्नओव्हर करने में सफल हो पाया है!
    छत्रपती शिवाजी महाराज को आदर्श मानकर उन्हींसे प्रेरीत होकर वे जिद के साथ आगे बढते रहे! आज वे खुदके साथ साथ युवांओंको उदयोजक बनाने का काम निष्ठा से कर रहे है! राॅयल कलेक्शन के माध्यम से वे पुरे महाराष्ट्र में शाखाए बनाना चाहते है! उन्होंने भविष्य में मराठी युवांओंको नोकरी मांगनेवाले नही बल्की नोकरी देनेवाले बनाने का इरादा रखा है! वे पुरे देश में एक पहल करना चाहते है! और अधीक से अधीक उद्योजक बनाना चाहते है! ताकी भविष्य में कीसी को भी मुसिबतों को सामना ना करना पडे, और वे स्वाभिमान के साथ अपने जिवन में आगे बढ सके! वे समाजसेंवा का काम भी निरंतर करना चाहते है! हम उनके इस हौसले के लिए रिसील की और से उन्हें ढेरसारी शुभकामानाए देते है!
                                                                                                                                                                                   लेखक : सचिन आर जाधव

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