DGCA: विमानन क्षेत्र में लैंगिक समानता सुनिश्चित करने की कवायद तेज, डीजीसीए ने गठित की समिति।
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यह पहल अंतरराष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संगठनों (आईसीएओ) की प्रतिबद्धता को देखते हुए की गई है। इसका मकसद विमानन क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी को बढ़ाना और वैश्विक स्तर पर सभी पेशेवर और उच्च स्तर के रोजगार में 2030 तक 50-50 (महिला-पुरुष) का लक्ष्य हासिल करना है।
नागरिक विमानन नियामक नागरिक विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) ने लैंगिक समानता को लेकर बड़ा कदम उठाया है। दरअसल, डीजीसीए ने विमानन क्षेत्र में महिलाओं और पुरुषों के बीच समानता सुनिश्चित करने के तरीके सुझाने के लिए चार सदस्यीय समिति गठित की है। डीजीसीए ने 10 अगस्त 2023 को इस संबंध में एक आदेश जारी किया था।
आदेश के मुताबिक, यह समिति विमानन क्षेत्र में लैंगिक समानता लाने के लिए डीजीसीए को सुझाव देगी। सुझाव लैंगिक समानता लाने के लिए उठाए जाने वाले कदमों के बारे में होंगे। समिति गठन की तारीख से छह महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट या सुझाव सौंपेगी। इसमें निदेशक (संचालन) सुर्विता सक्सेना, निदेशक (प्रशिक्षण) आरपी कश्यप, उप-निदेशक (प्रशासन) पवन मालवीय और उप निदेशक (विमान इंजीनियरिंग निदेशालय) कविता सिंह शामिल हैं।
पहल अंतरराष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संगठनों (आईसीएओ) की प्रतिबद्धता को देखते हुए की गई है। इसका मकसद विमानन क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी को बढ़ाना और वैश्विक स्तर पर सभी पेशेवर और उच्च स्तर के रोजगार में 2030 तक 50-50 (महिला-पुरुष) का लक्ष्य हासिल करना है। विमानन पेशेवरों, ऑपरेटरों और हितधारकों ने समिति के गठन की सराहना की। उनका कहना है कि इस कदम से इस क्षेत्र में महिलाओं के लिए नए अवसर पैदा करने में मदद मिलेगी।
दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी 77वें स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले की प्राचीर से राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में इस बात जिक्र किया कि दुनिया में सबसे ज्यादा महिला पायलट भारत में हैं। हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि महिलाओं के लिए इस क्षेत्र में शामिल होने, अपनी भूमिका निभाने के लिए प्रोत्साहित करने और कौशल प्रदान करने में अभी भी बहुत बड़ी गुंजाइश है।
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