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    May 5, 2025

    23 साल तक बेड से नहीं उठ सका, अब मालदीव के मोहम्मद रैशन को भारत में मिली नई जिंदगी।

    1 min read
    😊

    मालदीव के 23 साल के युवक की रेयर सर्जरी भारत के केरल राज्य में कई गई, जिसके बाद वो बिना किसी सहारे के खुद बैठ पाया, उसने डॉक्टर का तहे दिल से शुक्रिया अदा किया है.

    मालदीव से भारत के केरल राज्य में पोस्टीरियर स्किलियोसिस करेक्शन सर्जरी (Posterior Scoliosis Correction Surgery) कराने आए युवक मोहम्मद रैशन अहमद (Mohamad Raishan Ahmed) को नई जिंदगी मिल गई, इससे पहले वो पैदाइश से ही बेड रिडेन थे, लेकिन अब वो बिना किसी सहारे के बैठ सकता है. कामयाब इलाज के बाद अब वो आगे की पढ़ाई करना चाहता है.

    क्या है मोहम्मद रैशन अहमद की कहानी?
    मालदीव के 23 साल के पेशेंट मोहम्मद रैशन अहमद (Mohamad Raishan Ahmed), जो अहमद मुहम्मद (Ahmed Muhamad) और अमीनाथ इब्राहिम (Aminath Ibrahim) के बेटे हैं. उनका जन्म स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी (Spinal Muscular Atrophy) टाइप 2 के साथ हुआ था, जो एक हेरिडिटरी जेनेटिक कंडीशन है, जिसमें पूरे शरीर की मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं क्योंकि रीढ़ की हड्डी और ब्रेनस्टेम में नर्व सेल्स ठीक से काम नहीं करते हैं. हर 6,000 में से एक बच्चा एसएमए (SMA)के साथ पैदा होता है और ये जन्म के वक्त मौत का एक बड़ा कारण भी है.

    कई दूसरी स्वास्थ्य समस्याएं भी पेशेंट मोहम्मद रैशन अहमद को परेशान कर रही थीं, जिससे वो अपनी पूरी क्षमता तक पहुंचने से सीमित हो गया था. इनमें से एक समस्या स्किलियोसिस (Scoliosis) थी जो 8 साल की उम्र तक पहुंचते-पहुंचते लगातार खराब होती जा रही थी. वो अपनी पूरी जिंदगी बिस्तर पर पड़ा रहा और उसके सिर्फ दोनों हाथ काम करते थे और उसके जीवन का एक ही लक्ष्य था बिना गिरे बैठना. लड़के का मानसिक विकास बहुत अच्छा था और वो सक्रिय रूप से अपनी पढ़ाई कर रहा था और अब उसने पीएचडी करने का मन भी बना लिया.

    भारत की तरफ उम्मीदों भरा कदम
    बिना गिरे बैठने के मकसद ने उन्हें भारत में तिरुवनंतपुरम के किमहेल्थ अस्पताल ले आया जहां उनकी मुलाकात ऑर्थोपेडिक स्पाइन सर्जन डॉ. रंजित उन्नीकृष्णन (Dr. Ranjith Unnikrishnan) से हुई. पेशेंट की खोपड़ी से कूल्हों तक स्क्रू और रॉड लगाकर एक पोस्टीरियर स्किलियोसिस करेक्शन सर्जरी की गई. तकरीबन 14 घंटे तक चलने वाली यह सर्जरी बेहद चुनौतीपूर्ण और जोखिम भरी थी, क्योंकि रोगी की कई स्वास्थ्य समस्याओं को ध्यान में रखा गया था. सर्जरी के बाद रोगी को फिजियोथेरेपी करानी पड़ी और बिना गिरे सीधे बैठने की उसकी आजीवन इच्छा पूरी हो गई. अब उसकी रीढ़ की हड्डियां ‘मजबूत और सीधी’ है. ये देश में अपनी तरह की पहली कामयाब सर्जरीज में से एक है.

    डॉक्टर ने क्या कहा?
    डॉ. रंजित उन्नीकृष्णन ने कहा, “कई सालों से वो अपने अंगों को नहीं हिला पा रहा था. ये लार्ज स्किलियोसिस वर्षों से बढ़ रही थी, इसने उसे बिना सहारे सीधे बैठने नहीं दिया. इसलिए उसने बेल्ट, ब्रीज़ जैसे नॉर्मल नॉन-सर्जिकल उपायों की कोशिश की. वो अपनी कमजोर मांसपेशियों के कंट्रोल के कारण अपनी गर्दन नहीं थाम सकता था. आखिरकार, सर्जरी वो विकल्प थी जिस पर हमने चर्चा की. लेकिन इस ट्रीटमेंट में उसकी फिटनेस से लेकर कई चुनौतियां थीं. हमें उसे उसके सिर से लेकर उसके कूल्हे तक इलाज करना पड़ा क्योंकि वह सीधे खड़ा भी नहीं हो सकता था. कई चर्चाओं के बाद, उसने सर्जरी कराने का फैसला किया. तो अगस्त के महीने में, हमने पोस्टीरियर स्किलियोसिस करेक्शन सर्जरी की.”

    डॉ. उन्नीकृष्णन ने ये भी बताया कि ये सर्जरी तकरीबन 14 से 15 घंटे तक चली जिसका सामना पेशेंट ने बड़ी बहादुरी से किया, उन्होंने कहा, “हम इसे बहुत कामयाबी के साथ कर सकते थे और हमने पूरी सर्जरी को एक स्टेज में करने की कठोर योजना बनाई क्योंकि वो ज्यादा एनेस्थेसिया हैंडल नहीं कर सकता था. ऑपरेशन के बाद वो कुछ दिनों तक वेंटिलेटर पर रहा. उसने वो हासिल कर लिया है जो वह चाहता था. वो बिना सहारे सीधे बैठने में सक्षम है. वो पहले से ही ग्रैजुएच है. वो अपनी मास्टर की पढ़ाई करने का प्लान बना रहा है. ”

    पेशेंट का बढ़ गया कॉन्फिडेंस
    मालदीव के पेशेंट मोहम्मद रैशन अहमद ने बताया कि उसका कॉन्फिडेंस बढ़ गया है, उन्होंने कहा, “सर्जरी के तकरीबन एक महीने बाद दोनों कंधों में थोड़ा दर्द था. हालांकि, फिजियोथेरेपिस्ट और एक्यूट थेरेपिस्ट के कारण दर्द बहुत कम हो गया है।.मैं बिना किसी सहारे बैठ सकता हूं. मैं फ्रीली अपने दम पर बैठ रहा हूं. मैं अपना संतुलन बनाए रखने में सक्षम हूं. मैं अपने अंगों को फ्रीली हिलाने में सक्षम हूं. डॉ. रंजित की टीम का शुक्रिया. सर्जरी के बाद, मैं अपनी गर्दन को स्वतंत्र रूप से ऊपर और नीचे हिला पा रहा हूं.”

    मोहम्मद रैशन फिलहाल अपने वतन मालदीव में यूनिसेफ (UNICEF) के एक प्रोजेक्ट में शामिल है, उन्होंने कहा, “इस प्रोजेक्ट को पूरा करने के बाद मैं अपनी आगे की एजुकेशन, मास्टर एजुकेशन के लिए पूरी कोशिश करूंगा. मैं परफॉर्मेंस साइकोलॉजी के लिए ट्राई कर रहा हूं जो यूके (UK) में उपलब्ध है. इस रिकवरी प्रोसेस के बाद, मैं यूनिसेफ प्रोजेक्ट के साथ आगे बढ़ूंगा और उसके बाद मास्टर की डिग्री करूंगा, ”

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