नमस्कार 🙏 हमारे न्यूज पोर्टल - मे आपका स्वागत हैं ,यहाँ आपको हमेशा ताजा खबरों से रूबरू कराया जाएगा , खबर ओर विज्ञापन के लिए संपर्क करे +91 8329626839 ,हमारे यूट्यूब चैनल को सबस्क्राइब करें, साथ मे हमारे फेसबुक को लाइक जरूर करें ,

Recent Comments

    test
    test
    OFFLINE LIVE

    Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

    April 24, 2025

    Constitution Book: राहुल ने जिस बुक को किया पॉपुलर, I.N.D.I.A ने उसको लेकर किया प्रदर्शन।

    1 min read
    😊 कृपया इस न्यूज को शेयर करें😊

    सात बार के सांसद भर्तृहरि महताब को प्रोटेम स्‍पीकर बनाए जाने के विरोध में विपक्षी गठबंधन इंडिया के नवनिर्वाचित लोकसभा सदस्‍यों ने संसद परिसर में संविधान की किताब लेकर विरोध प्रदर्शन किया.

    सात बार के सांसद भर्तृहरि महताब को प्रोटेम स्‍पीकर बनाए जाने के विरोध में विपक्षी गठबंधन इंडिया के नवनिर्वाचित लोकसभा सदस्‍यों ने संसद परिसर में संविधान की किताब लेकर विरोध प्रदर्शन किया. सोनिया गांधी, राहुल गांधी से लेकर कई नेताओं ने इसमें हिस्‍सा लिया. इसमें खास बात ये रही कि अधिकांश विपक्षी सांसदों ने संविधान के चमड़े के जिल्‍द वाली उस किताब को लेकर प्रदर्शन किया जिसको लोकसभा चुनाव अभियान के दौरान राहुल गांधी ने खासा पॉपुलर बनाया है. आज भी संविधान की उसी कॉपी को दिखाते हुए राहुल गांधी ने कहा कि हम संविधान पर हमला नहीं होने देंगे. हमारा सीधा सा संदेश है कि कोई भी ताकत संविधान को छू नहीं सकती.

    किताब का लखनऊ से नाता
    राहुल गांधी ने लोकसभा चुनाव के लिए प्रचार के दौरान लगभग 20 सेंटीमीटर लंबी और नौ सेंटीमीटर चौड़ी चमड़े की जिल्‍द वाली संविधान की जिस ‘पुस्तक’ को बार-बार जनता को दिखाया उसका लखनऊ से गहरा संबंध है. लखनऊ की ईस्टर्न बुक कंपनी (ईबीसी) ने संविधान की इस पुस्तक को पहली बार 2009 में प्रकाशित किया था और उसका कहना है कि कोट की जेब में समा जाने वाली संविधान की इस छोटी पुस्तक की ओर लोग दिलचस्पी ले रहे हैं. राहुल गांधी ने प्रचार के दौरान कई बार इस छोटी सी पुस्तक को लोगों को दिखाते हुए उनके समक्ष अपनी बात रखी थी.

    ईस्टर्न बुक कंपनी के निदेशकों में से एक सुमित मलिक ने बताया कि कोट की जेब में समा जानी वाली संविधान की इस छोटी सी पुस्तक को प्रकाशित करने का विचार वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकर नारायणन ने दिया. मलिक ने कहा कि अधिवक्ता ने सुझाव दिया था कि हमें संविधान की एक ऐसी किताब प्रकाशित करनी चाहिए, जो वकीलों के कोट की जेब में आसानी से आ जाए. मलिक ने कहा, ‘पहला संस्करण 2009 में प्रकाशित किया गया और अब तक कुल 16 संस्करण प्रकाशित हो चुके हैं. पिछले कुछ वर्षों में इन किताबों को कई वकीलों और न्यायाधीशों ने खरीदा है. जब राम नाथ कोविंद भारत के राष्ट्रपति बने थे तब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें यह पुस्तक दी थी.’ उन्होंने कहा कि पुस्तक को गणमान्य व्यक्तियों द्वारा एक-दूसरे को उपहार में भी दिया गया है. सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश विदेश यात्रा के दौरान अपने समकक्षों को उपहार स्वरूप भेंट करने के लिए इसकी प्रतियां अपने साथ ले जाते हैं.

    बाइबल के कागज का इस्‍तेमाल
    इस किताब के स्वरूप के बारे में मलिक ने कहा, “पुस्तक की लंबाई लगभग 20 सेंटीमीटर और चौड़ाई नौ सेंटीमीटर है. इस पुस्तक को प्रकाशित करने के लिए हम बाइबल के कागजों का उपयोग करते हैं, जो बहुत पतले होते हैं.” उन्होंने यह भी कहा कि ‘फ़ॉन्ट’ और ‘फ़ॉन्ट’ का आकार तय करने में बहुत मेहनत करनी पड़ी. मलिक ने कहा कि सभी अनुच्छेद संख्याएं लाल रंग में हैं और पाठ काले रंग में है. यह पूछे जाने पर कि क्या कांग्रेस नेता राहुल गांधी द्वारा अपनी चुनावी रैलियों में इस पुस्तक को दिखाए जाने के कारण लोगों ने इस पुस्तक में रुचि दिखाई है.

    मलिक ने कहा, “लोग अब इसकी मांग कर रहे हैं और जबसे राहुल गांधी ने अपनी चुनावी बैठकों और चुनावी रैलियों में इस पुस्तक को दिखाया है तब से लोगों ने इसमें अधिक रुचि दिखाई है और अब ऑर्डर आने शुरू हो गए हैं.” मलिक ने कहा, “पहले संस्करण में हमने करीब 700-800 प्रतियां बेची थीं. पिछले संस्करण (16वें) में आते आते हमने प्रति संस्करण करीब 5,000-6,000 प्रतियां बेंची. हमें उम्मीद है कि इस साल अधिक प्रतियां बिकेंगी.”

    745 रुपये है कीमत
    संविधान की इस पुस्तक का 14वां संस्करण 2022 में प्रकाशित हुआ था और उसकी कीमत 745 रुपये थी. पुस्तक के 14वें संस्करण में भारत के पूर्व अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल द्वारा लिखे प्राक्कथन में कहा गया है “जब आप इस छोटी चमड़े की जिल्द वाली पुस्तक को अपने हाथों में पकड़ते हैं, तो आप 70 साल पहले लिखे गए राष्ट्र के भाग्य को पकड़ रहे होते हैं. क्या संस्थापकों ने कभी सोचा होगा कि प्रावधानों को लागू किए जाने पर क्या क्लेश, विवाद, टकराव पैदा होंगे?’’

    कंपनी की वेबसाइट के अनुसार 1942 में स्थापित ईबीसी समूह कानून से जुड़ी किताबें और अन्य सामग्री का प्रकाशन करती है, जिसके कई भारतीय शहरों और विदेशों में कार्यालय हैं. इसमें कहा गया कि 1940 के दशक में दो भाइयों – सीएल मलिक और उनके छोटे भाई पीएल मलिक ने लखनऊ में बसने और कानून की किताबों की बिक्री और प्रकाशन में अपना करियर शुरू करने का फैसला किया. उन्होंने मिलकर उस नींव को रखा जो आज ईबीसी के बैनर तले कंपनियों के एक समूह के रूप में विकसित हो चुकी है.

    About The Author


    Whatsapp बटन दबा कर इस न्यूज को शेयर जरूर करें 

    Advertising Space


    स्वतंत्र और सच्ची पत्रकारिता के लिए ज़रूरी है कि वो कॉरपोरेट और राजनैतिक नियंत्रण से मुक्त हो। ऐसा तभी संभव है जब जनता आगे आए और सहयोग करे.

    Donate Now

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    Copyright © All rights reserved for Samachar Wani | The India News by Newsreach.
    11:16 PM