‘अडानी’ को लेकर कांग्रेस पर तमाचा; तृणमूल, सपा के दबाव के कारण राहुल गांधी पीछे हटे.
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लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी के आग्रह पर कांग्रेस ने अडानी ग्रुप रिश्वत मामले को संसद के दोनों सदनों में उठाया था.
नई दिल्ली: छह दिनों के बाद मंगलवार को संसद का शीतकालीन सत्र भले ही सुचारु रूप से शुरू हो गया, लेकिन इसके पीछे विपक्ष के ‘भारत’ गठबंधन में तीखे मतभेद कारण रहे हैं. मंगलवार को यह स्पष्ट हो गया कि कांग्रेस को पीछे हटना पड़ा क्योंकि तृणमूल कांग्रेस और समाजवादी पार्टी ने अडानी मामले पर संसद की कार्यवाही बंद करने की कांग्रेस की रणनीति को विफल कर दिया।
लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी के आग्रह पर कांग्रेस ने अडानी ग्रुप रिश्वत मामले को संसद के दोनों सदनों में उठाया था. हालांकि, तृणमूल सांसदों ने यह रुख अपनाया कि अडानी की बजाय लोगों की आजीविका से जुड़े मुद्दों पर चर्चा की जानी चाहिए। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कांग्रेस से कहा था कि उत्तर प्रदेश के संभल में हुई हिंसा पर अडानी की बजाय चर्चा होनी चाहिए. सपा सांसदों ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से मुलाकात की थी और संभल मुद्दे पर लोकसभा में चर्चा के लिए समय की मांग की थी. इस मांग को स्वीकार करते हुए तृणमूल कांग्रेस और सपने पार्लियामेंट ने आश्वासन दिया कि संसद की कार्यवाही शांतिपूर्ण ढंग से जारी रहेगी. कहा जा रहा है कि इंडिया अलायंस में दोनों दलों के कड़े रुख के कारण कांग्रेस गायब हो गयी है. तो माना जा रहा है कि राहुल गांधी ने भी समझौता कर लिया है.
बैठकों-प्रदर्शनों का बहिष्कार
यहां तक कि राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे के कक्ष में होने वाली दैनिक भारत अघाड़ी नेताओं की बैठक में भी अन्य दलों ने उनसे अडानी मुद्दे पर जोर नहीं देने का अनुरोध किया था. तृणमूल ने इन बैठकों में हिस्सा नहीं लेने का फैसला किया था. कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दलों ने मंगलवार को संसद परिसर में अडानी मुद्दे पर विरोध प्रदर्शन किया. राज्यसभा में ‘सुप’ के सदस्यों ने संभल हिंसा पर विस्तृत पक्ष रखा.
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