भरोसे के लायक नहीं चीन… ठंड से पहले LAC पर भारत का बड़ा फैसला।
1 min read
|
|








वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर चीन के साथ जारी गतिरोध को लेकर भारत किसी भी स्थिति को हल्के में नहीं लेना चाहता है, क्योंकि चीन अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है और बातचीत के बावजूद वह समय-समय पर दुस्साहस करता रहा है.
पिछले चार सालों से लद्दाख में चीन के साथ सीमा तनाव की स्थिति बनी हुई है, क्योंकि चीन अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है और समय-समय पर दुस्साहस करता रहा है. साल 2020 में गलवान में हुई हिंसा के बाद से भारत और चीन के बीच लगातार बात चल रही और सीमा विवाद सुलझाने की कोशिश जारी है, लेकिन बीच-बीच में चीन विश्वासघात करता रहा है. इसे देखे हुए भारत लगातार पांचवे साल सर्दियों में पूर्वी लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश-सिक्किम के दुर्गम इलाकों में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर सैनिकों की अग्रिम तैनाती बनाए रखने की तैयारियों में पूरी ताकत से आगे बढ़ रहा है.
भरोसे के लायक नहीं है चीन…
सीमा विवाद सुलझाने के लिए चीन के साथ राजनीतिक और कूटनीतिक वार्ता के जरिए मतभेदों के कम होने के संकेत मिल सकते हैं, लेकिन पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) के साथ जमीनी स्तर पर विश्वास की कमी बहुत अधिक बनी हुई है. टीओआई की रिपोर्ट के अनुसार, सूत्रों ने कहा कि जिस तरह से चीन अपनी अग्रिम सैन्य स्थिति को मजबूत करने के साथ-साथ 3488 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC)पर ‘स्थायी सुरक्षा’ और बुनियादी ढांचे का निर्माण जारी रखे हुए है, उससे यह स्पष्ट है कि पीएलए निकट भविष्य में अपने वास्तविक स्थानों पर वापस नहीं लौटेगा.
ठंड से पहले LAC पर भारत की तैयारी
सेना द्वारा ‘गर्मी से सर्दी की स्थिति’ में परिवर्तन के साथ, सीमा पर तैनात अतिरिक्त सैनिकों के लिए बड़े पैमाने पर ‘शीतकालीन भंडारण’ की प्रक्रिया चल रही है. जनरल उपेंद्र द्विवेदी और बल की सातों कमानों के कमांडर-इन-चीफ 9 और 10 अक्टूबर को गंगटोक (सिक्किम) में आयोजित होने वाली बैठक में परिचालन स्थिति की समीक्षा भी करेंगे.
चीन के साथ हो चुकी है 31 दौर की बातचीत
भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में सैन्य गतिरोध को खत्म करने के लिए लगातार बातचीत चल रही है. इसमें संभावित सफलता की बातें पिछले कुछ महीनों में कई द्विपक्षीय राजनीतिक-डिप्लोमैटिक वार्ताओं के कारण बढ़ी हैं. इनमें भारत-चीन सीमा मामलों पर परामर्श और समन्वय के लिए कार्य तंत्र (WMCC) की 30वीं बैठक 31 जुलाई और 31वीं बैठक 29 अगस्त को हुई. इसके बाद राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और चीनी विदेश मंत्री वांग यी के बीच सेंट पीटर्सबर्ग में ब्रिक्स बैठक के दौरान 12 सितंबर को एक बैठक भी हुई थी.
हालांकि, प्रतिद्वंद्वी सैन्य कोर कमांडरों ने 19 फरवरी को अपनी 21वें दौर की वार्ता की थी. चीन ने तब रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण देपसांग और दमचोक के पास चार्डिंग निंगलुंग नल्ला ट्रैक जंक्शन पर दो प्रमुख जारी गतिरोधों को कम करने के लिए भारत के प्रयास को एक बार फिर खारिज कर दिया था. एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘अगर देपसांग और दमचोक में विघटन होता है तो यह केवल पहला कदम होगा. जब तक डी-एस्केलेशन और सैनिकों की डी-इंडक्शन पूर्व की स्थिति बहाल करने के लिए नहीं होती है, तब तक खतरा बना रहेगा.’
चीन के जाल में न फंसने को लेकर सावधान रहना होगा
गलवान घाटी, पैंगोंग त्सो-कैलाश रेंज और गोगरा-हॉट स्प्रिंग्स में सितंबर 2022 तक सैनिकों की वापसी के बाद बफर जोन बनाए जाने के साथ-साथ देपसांग और डेमचोक में टकराव का मतलब है कि भारतीय सैनिक अपने 65 गश्त बिंदुओं (पीपी) में से 26 तक नहीं पहुंच सकते हैं, जो उत्तर में काराकोरम दर्रे से शुरू होकर पूर्वी लद्दाख में दक्षिण में चुमार तक जाते हैं. अधिकारी ने कहा, ‘यहां तक कि बफर जोन भी केवल अस्थायी व्यवस्था के लिए थे. चीन लगातार अनुचित मांग कर रहा है और लंबे समय तक इंतजार करने का खेल खेल रहा है. भारत को चीन के जाल में न फंसने के बारे में सावधान रहना होगा.’
About The Author
|
Whatsapp बटन दबा कर इस न्यूज को शेयर जरूर करें |
Advertising Space












Recent Comments