डोनाल्ड ट्रंप की चाल में फंस गया चीन! रूस की तरह जिनपिंग के देश को भी बर्बाद कर देगा अमेरिका?
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चीन के पास 2024 के अंत तक 10.2 ट्रिलियन की विदेशी संपत्ति थी. भारतीय रुपये में ये करीब 850 लाख करोड़ रुपये होगी. जिसमें से 3.2 ट्रिलियन डॉलर फॉरेक्स रिजर्व है.
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ सख्तियों की वजह से चीन की आर्थिक स्थिति अब खराब हो रही है. खुद शी जिनपिंग के देश के बड़े-बड़े अर्थशास्त्री अब इस बात से चिंता में हैं कि आने वाले समय में चीन की क्या स्थिति होने वाली है. सबसे बड़ी बात कि अगर अमेरिका ने चीन की विदेशी संपत्ति जब्त की तो चीन की हालत रूस की तरह हो जाएगी.
क्या कहना है चीन के अर्थशास्त्री का
साउथ चाइना पोस्ट की एक रिपोर्ट के मुताबिक, चीन के एक वरिष्ठ अर्थशास्त्री और पूर्व सेंट्रल बैंक सलाहकार यू योंगडिंग ने अमेरिका के साथ बढ़ते ट्रे़ड वॉर के बीच चीन की विदेशी संपत्तियों की सुरक्षा को लेकर गंभीर चिंता जाहिर की है. उन्होंने चीनी अधिकारियों को सतर्क रहने और संभावित नुकसान को कम करने के लिए जरूरी तैयारी करने की सलाह दी है.
अमेरिका डॉलर को हथियार बना सकता है
यू योंगडिंग ने बीजिंग में आयोजित एक फोरम में कहा, “अमेरिका डॉलर को हथियार बना सकता है. व्यापार युद्ध तेज हो रहा है, मुझे डर है कि यह संघर्ष चीन की विदेशी संपत्तियों तक पहुंच सकता है.”
चीन के पास 2024 के अंत तक 10.2 ट्रिलियन की विदेशी संपत्ति थी. भारतीय रुपये में ये करीब 850 लाख करोड़ रुपये होगी. जिसमें से 3.2 ट्रिलियन डॉलर फॉरेक्स रिजर्व है. इसमें से ज्यादातर अमेरिकी डॉलर में है. हालांकि, चीन पिछले कुछ सालों में अमेरिकी ट्रेजरी बिल्स की होल्डिंग्स घटा रहा है. 2017 के बाद से चीन ने करीब 25 फीसदी अमेरिकी बॉन्ड्स कम किए हैं.
रूस की तरह चीन के साथ भी हो सकता है
यू योंगडिंग ने चेतावनी दी कि अमेरिका ने रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद जिस तरह से रूसी संपत्तियों को जब्त किया, उससे सबक लेते हुए चीन को सतर्क रहना चाहिए. उन्होंने कहा, “हमें तैयार रहना चाहिए और ठोस कदम उठाने चाहिए, ताकि भविष्य में होने वाले नुकसान को कम किया जा सके.”
“मार-ए-लागो एकॉर्ड” से भी खतरा?
यू ने “मार-ए-लागो एकॉर्ड” नाम के एक हाइपोथेटिकल प्लान पर भी चिंता जताई, जिसमें अमेरिका विदेशी कर्जदारों के डॉलर-डिनॉमिनेटेड कर्ज को 100 साल के बॉन्ड्स में बदल सकता है. यू के मुताबिक, “यह एक तरह से डिफॉल्ट होगा, जो चीन के लिए बड़ा खतरा बन सकता है.”
चीन और अमेरिका के बीच टकराव अब व्यापार से आगे बढ़कर वित्तीय क्षेत्र में पहुंच सकता है. चीन के विदेशी संपत्तियों, खासकर अमेरिकी डॉलर में रखे गए फंड्स को लेकर चिंता बढ़ रही है. विशेषज्ञों का मानना है कि चीन को अपनी अर्थव्यवस्था को और मजबूत बनाने के साथ-साथ अमेरिकी डॉलर पर निर्भरता कम करनी होगी.
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