नमस्कार 🙏 हमारे न्यूज पोर्टल - मे आपका स्वागत हैं ,यहाँ आपको हमेशा ताजा खबरों से रूबरू कराया जाएगा , खबर ओर विज्ञापन के लिए संपर्क करे +91 8329626839 ,हमारे यूट्यूब चैनल को सबस्क्राइब करें, साथ मे हमारे फेसबुक को लाइक जरूर करें ,

Recent Comments

    test
    test
    OFFLINE LIVE

    Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

    April 18, 2025

    दिव्यांग बेटी से प्रेरणा पाकर वीगन बने चीफ जस्टिस…बताया कैसे बच्चियों को गोद लेने के बाद बदली जिंदगी.

    1 min read
    😊 कृपया इस न्यूज को शेयर करें😊

    सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने बताया कि जब से उनकी गोद ली हुई दोनों बेटियां उनकी जिंदगी में आई हैं, तब से वे वीगन बन गए हैं. इससे उनके जीवन में सकारात्मक बदलाव आए हैं.

    चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि वो अपनी दिव्यांग बेटी से प्रेरित होकर वीगन बने है. उनकी बेटी माही उन्हें ऐसी जीवन शैली अपनाने के लिए समझाती रही है, जो पूरी तरह से क्रूरता मुक्त हो, जिसमे किसी जीव के लिये कोई हिंसा न हो. वीगन होने का मतलब सिर्फ इतना भर नहीं है कि आप मांसाहारी भोजन, शहद, दूध- डेयरी प्रोडक्ट का सेवन करना बंद कर दें. इसका मतलब उस जीवन शैली को अपनाना है, जिसमें क्रूरता की जरा भी गुंजाइश न हो.

    उत्तराखंड से दिव्यांग बच्चियों को गोद लिया
    चीफ जस्टिस सुप्रीम कोर्ट की जुवेनाइल जस्टिस कमेटी की ओर से ‘दिव्यांग बच्चों के अधिकार की सुरक्षा’ विषय पर आयोजित कार्यक्रम में बोल रहे थे. इस मौके पर बोलते हुए उन्होंने अपनी दिव्यांग बच्चियों के संघर्ष और जीवन शैली का जिक्र किया, जिन्हें उन्होंने साल 2014 में उत्तराखंड के एक गरीब परिवार से गोद लिया था. उनकी बेटियों के नाम प्रियंका और माही हैं. इसके अलावा चीफ जस्टिस के दो बेटे है, जो पेशे से वकील है.

    ‘दिव्यांग बेटियों के चलते नज़रिया बदला’
    इस मौके पर चीफ जस्टिस ने कहा कि दो ऐसी शानदार बेटियो का अभिभावक होना मेरे और मेरी पत्नी के लिए हर दिन खुशी के एहसास को जीना है. दिव्यांग बेटियो ने न केवल दुनिया को देखने का मेरा नज़रिया बदला है बल्कि बाहरी दुनिया से मुझे कैसे पेश आना है, उसमें भी बदलाव आया है. जीवन में इनकी मौजदूगी मेरे उस समाज के निर्माण के कमिटमेंट को मजबूत करती है, जहां हर बच्चा खुद को सुरक्षित महसूस कर सके.

    ‘मेरी बहन पर ये टेस्ट मत करना!’
    चीफ जस्टिस ने इस मौके पर गोद ली हुई दिव्यांग बच्चियों के शुरुआती संघर्ष का जिक्र भी किया. चीफ जस्टिस ने बताया कि उनकी दोनों बेटी उत्तराखंड में एक सामान्य परिवार में पैदा हुई थी. वो साल 2014 में उनकी ज़िंदगी में आई. इससे पहले वो जहाँ थी, वहां डॉक्टर, केयर टेकर और उनके माता पिता को सही जानकारी का अभाव था. चीफ जस्टिस ने कहा कि देश के बहुत सारे मेडिकल संस्थानों में ऐसे बच्चों के लिए टेस्ट की सुविधा उपलब्ध नहीं है. लखनऊ जैसे शहर में जहां पर इस तरह की सुविधा उपलब्ध भी है, वहां भी मेडिकल कॉलेज में टेस्ट की प्रक्रिया इतनी पीड़ा दायक थी कि बिना बच्चों को बेहोश किए हुए ही वह उसके शरीर से टिशु निकाल लेते हैं.

    चीफ जस्टिस ने कहा कि मुझे याद है कि जब बड़ी बेटी का वहां टेस्ट हुआ तो उसे इतनी परेशानी हुई कि वो इतने दर्द में सिर्फ यही कह पाई कि मेरी बहन पर ये वाले टेस्ट मत करना!

    दिव्यांग बच्चों की पढ़ाई की मशक्कत
    इस मौके पर चीफ जस्टिस ने बताया कि कैसे उन्हें दिव्यांग बच्चों के लिए स्कूल खोजने में मशक्कत करनी पड़ी. उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में तो ऐसे बच्चों की सुविधा नहीं थी. इलाहाबाद में उन्हें घर पर ही पढ़ाया पर जब हम दिल्ली आए तो हमने उन बच्चों के लिए स्कूल को खोज की. इसी बीच स्कूल की ओर से हमे सलाह दी गई कि हम दोनों बच्चियों को उनके यहां न पढ़ाकर मेनस्ट्रीम के स्कूल में उनका दाखिल कराएं क्योंकि इन दोनों बच्चियों का दिमाग इतना ही तेज है जितना कि किसी दूसरे बच्चे का.

    स्कूलों में पर्याप्त सुविधाएं नहीं
    चीफ जस्टिस ने कहा कि जब आप ऐसे बच्चों को मेनस्ट्रीम के स्कूल में पढ़ने के लिए भेजते हैं, तो सबसे बड़ी दिक्कत यही आती है कि उनकी जरूरत को पूरा करने के लिए जरूरी सुविधाएं स्कूल में मिलती ही नहीं है. उदाहरण के लिए अगर कोई बच्चा साइंस पढ़ने का शौकीन है लेकिन साइंस लैब बेसमेंट में है तो जाहिर तौर पर लिफ्ट या रैंप की गैर मौजूदगी के चलते बच्चा लाइब्रेरी में तो नहीं जा पाएगा. वह क्लास में बैठे रहने के लिए मजबूर होगा जबकि बाकी बच्चे लाइब्रेरी में जा सकेंगे. ऐसा ही उसे तब एहसास होगा कि जब सारे बच्चे प्ले ग्राउंड में खेलने के लिए जा पाएंगे ,पर वो नहीं जा पाएगा. चीफ जस्टिस ने कहा कि जिन बच्चों को बोलने में दिक्कत होती है या फिर जिनकी मांसपेशियों में कोई समस्या होती है उन बच्चों को अमूमन डिबेट या नाटक में भी हिस्सा लेने की इजाज़त नहीं होती क्योंकि स्कूल वालों को डर होता है कि ऑडिएंस में शायद इतना धैर्य न हो कि वो दो मिनट इतंजार कर सके कि बच्चा क्या कहना चाहता है!

    दिव्यांग बच्चों में पर्याप्त क्षमता
    चीफ जस्टिस ने कहा कि मैं इस बात पर जोर देना चाहता हूं कि दिव्यांग बच्चों में वो क्षमता होती है, जिससे वे दूसरों की जिंदगी में भी सकारात्मक ला सकते हैं. मेरी बेटी माही पर्यावरण को लेकर बेहद सजग है. वो इतनी संवेदनशील है कि वो 8 बिल्लियों की मां की तरह देखभाल करती हैं. उन्होंने अपनी पसंदीदा बिल्ली के बच्चे को जन्म देते समय अकेले ही उसकी देखभाल की.

    चीफ जस्टिस ने कहा कि माही पिछले 10 साल से ऐसी जीवन शैली अपनाने के लिए समझाती रही है, जो पूरी तरीके से क्रूरता-मुक्त हो. जजों को आमतौर पर समझाना मुश्किल होता है फिर चाहे वह कोर्ट रूम में हो या घर में. लेकिन यह उसी के ही समझने का नतीजा है कि मैं पूरी तरीके से अब वीगन जीवन शैली को अपना रहा हूं.

    ‘पेड़ काट देंगे तो चिड़ियों का घर नहीं बचेगा’
    इस मौक़े पर चीफ जस्टिस ने अपनी दिव्यांग बेटी माही के निजी ज़िंदगी से जुड़ा एक वाकया भी सुनाया, जो दर्शाता है कि वो किस कदर संवेदनशील है. चीफ जस्टिस ने कहा कि कोरोना के दौरान जब बच्चों को ऑनलाइन शिक्षा मिल रही थी. उसी दरमियान मेरी 9 साल की बेटी माही ने अचानक क्लास चलने के दौरान पेड़ के कटने की आवाज सुनी. उसने टीचर को बताया कि उसे ऐसा लगता है कि कोई बाग में पेड़ काट रहा है. उसने कुछ मिनट के लिए ब्रेक की इजाज़त मांगी. टीचर की इजाज़त के बाद वो व्हील चेयर पर ही बाग में पहुंची. वहां दरअसल हॉर्टिकल्चर विभाग के लोग पेड़ को कटिंग के जरिए बेहतर शक्ल देने की कोशिश कर रहे थे लेकिन उसने वहां मौजूद लोगों से कहा की पेड़ मत काटना, क्योंकि यह पेड़ चिड़ियों का घर है, इस पर चिड़ियों के लिए घोंसले है. अगर वो पेड़ काट देंगे तो चिड़ियों का घर नहीं बचेगा.

    About The Author


    Whatsapp बटन दबा कर इस न्यूज को शेयर जरूर करें 

    Advertising Space


    स्वतंत्र और सच्ची पत्रकारिता के लिए ज़रूरी है कि वो कॉरपोरेट और राजनैतिक नियंत्रण से मुक्त हो। ऐसा तभी संभव है जब जनता आगे आए और सहयोग करे.

    Donate Now

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    Copyright © All rights reserved for Samachar Wani | The India News by Newsreach.
    11:26 PM