नमस्कार 🙏 हमारे न्यूज पोर्टल - मे आपका स्वागत हैं ,यहाँ आपको हमेशा ताजा खबरों से रूबरू कराया जाएगा , खबर ओर विज्ञापन के लिए संपर्क करे +91 8329626839 ,हमारे यूट्यूब चैनल को सबस्क्राइब करें, साथ मे हमारे फेसबुक को लाइक जरूर करें ,

Recent Comments

    test
    test
    OFFLINE LIVE

    Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

    June 10, 2025

    Budget 2024: जो 5 सालों से नहीं हुआ वो इस बार होगा! टैक्सपेयर्स को खुश कर सकती हैं वित्त मंत्री, टैक्स स्लैब में बदलाव से बचेंगे पैसे।

    1 min read
    😊 कृपया इस न्यूज को शेयर करें😊

    मोदी 3.0 सरकार 1 जुलाई को बजट पेश करेगी . वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण एक बार फिर से संसद भवन में देश का बजट पेश करेंगी. इस बजट के आने के साथ ही लोगों की उम्मीदें बढ़ लग जाती है. सबसे ज्यादा उम्मीदें देश के टैक्सपेयर्स की लगी होती है.

    मोदी 3.0 सरकार 1 जुलाई को बजट पेश करेगी . वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण एक बार फिर से संसद भवन में देश का बजट पेश करेंगी. इस बजट के आने के साथ ही लोगों की उम्मीदें बढ़ लग जाती है. सबसे ज्यादा उम्मीदें देश के टैक्सपेयर्स की लगी होती है. बजट के आने से पहले टैक्सपेयर्स को राहत की उम्मीदें बढ़ने लगी है. उन्हें भरोसा है कि इस बार सरकार उन्हें टैक्स में राहत जरूर देगी. माना जा रहा है कि सरकार इस बार नए और पुराने दोनों टैक्स रिजीम को अट्रैक्टिव बनाने के लिए बजट में बड़े ऐलान कर सकती है.

    अंतरिम बजट में निराशा, पूर्ण बजट में जगी उम्मीद
    जानकारों की माने तो फरवरी में पेश किया बजट अंतरिम बजट था, जिसकी वजह से सरकार की ओर से बड़ी घोषणाएं नहीं की गई, लेकिन 1 जुलाई को पेश होने वाला बजट पूर्ण बजट होगा. सरकार के पास ये बड़ा मौका है मिडिल क्लास और कम इनकम वाले लोगों को राहत देने का. अगर सरकार की ओर से टैक्सपेयर्स पर इनकम टैक्स का बोझ कम होता है तो उनके हाथों में खर्च के लिए ज्यादा पैसे बचेंगे, जिससे अर्थव्यवस्था में डिमांड बढ़ेगी. खपत बढ़ने से अर्थव्यवस्था को बल मिलेगा.

    सैलरीड क्लास पर सरकार का फोकस
    माना जा रहा है कि वित्त मंत्री टैक्सेशन में कुछ बदलाव कर सैलरीड क्लास को राहत दे सकती है. माना जा रहा है कि टैक्स में राहत देने के लिए इस बार महंगाई, विकास दर जैसे फैक्टर भी सरकार के पक्ष में है. इकोनॉमिक ग्रोथ पटरी पर है, देश में महंगाई पर काबू पाना है. ब्याज दरें कम करनी हैं. ऐसे में सरकार इनकम टैक्स में राहत देकर टैक्सपेयर्स के हाथों में पैसा दे सकती है. बता दें कि साल 2019 के बाद से इसमें कोई बदलाव नहीं हुआ, लेकिन महंगाई लगातार बढ़ रही है. ऐसे में उम्मीद है कि पांच सालों के बाद सरकार इसमें राहत दे सकती है.

    बढ़ा सकती है स्टैंडर्ड डिडक्शन लिमिट
    माना जा रहा है कि सरकार इस बार वो कर सकती है, जो बीते 10 सालों में नहीं हुआ. बजट में वित्त मंत्री टैक्सपेयर्स को राहत देते हुए स्टैंडर्ड डिडक्शन (Standard deduction) की लिमिट बढ़ा सकती है. उम्मीद की जा रही है कि सरकार स्टैंडर्ड डिडक्शन को 50 हजार रुपये से बढ़ाकर 1 लाख रुपए कर सकती है. जानकारों की माने तो 50 हजार का स्टैंडर्स डिडक्शन लोगों के जरूरी खर्चों को पूरा करने के लिए कापी नहीं है. ट्रैवल, प्रिंटिंग, स्टेशनरी, बुक्स, स्टाफ सैलरी, व्हीकल रनिंग, मेंटेनेंस, मोबाइल एक्सपेंस जैसे खर्चों को देखते हुए इस अलाउंस में बढ़ोतरी किए जाने की मांग बढ़ रही है. जिस रफ्तार से देश में महंगाई और लोगों की लाइफस्टाइल बदल रही है. उसे देखते हुए सरकार को स्टैंडर्ड डिडक्शन की लिमिट को 50 हजार से बढ़ाकर 1 लाख करना चाहिए. हालांकि ये भी मा जा रहा है कि स्टैडर्ज डिडक्शन की लिमिट को बढ़ाकर सीधे दोगुना करना आसान नहीं है. ऐसे में 50 हजार को बढ़ाकर पहले 75 हजार किया जा सकता है.

    75000 रुपए स्टैंडर्ड डिडक्शन की मांग
    एसोचैम ने सरकार ने ये मांग की है. एसोचैम ने कहा कि 50 हजार का डिडक्शन आज की तारीख में बहुत कम है. इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टेड अकाउंटेंट (ICAI) ने भी ये मांग रखी है कि बढ़ती महंगाई को देखते हुए स्टैंडर्ड डिडक्शन को बढ़ाने की जरूरत है. माना जा रहा है कि सरकार लोगों की मांग को देखते हुए स्टैंटर्ड डिडक्शन को 50000 रुपए से बढ़ाकर 75000 रुपए कर सकती है.

    क्या है स्टैंडर्ड डिडक्शन
    इनकन टैक्स एक्ट के तहत हर टैक्सपेयर्स को उसकी सैलरी से एक निश्चित अमाउंट घटाने की इजाजत मिलती है. ये स्टैंटर्ड डिडक्शन कहलाता है . सैलरी से एक निश्चित अमाउंट घटाने से टैक्सेबल इनकम कम हो जाती है. जिससे टैक्स लायबिलिटी भी कम हो जाती है. इनकम टैक्स 1961 के सेक्शन 16 के तहत स्टैंडर्ड डिडक्शन की राहत मिलती है. सबसे पहले 1974 में स्टैंडर्ड डिडक्शन की शुरुआत की गई.

    आखिरी बार कब बढ़ा था
    स्टैंडर्ड डिडक्शन की शरुआत साल 1974 के बजट में पहली बार किया गया था. साल 2004-2005 इनकम टैक्स प्रोसेस को आसान बनाने के लिए इसे हटा दिया गया, लेकिन साल 2018 में इसे फिर से जगह दी गई. साल 2018 में स्टैंडर्ड डिडक्शन की लिमिट 40000 रुपए रखी गई, जिसे साल 2019 के बजट में इसे बढ़ाकर 50000 रुपए कर दिया गया.

    About The Author


    Whatsapp बटन दबा कर इस न्यूज को शेयर जरूर करें 

    Advertising Space


    स्वतंत्र और सच्ची पत्रकारिता के लिए ज़रूरी है कि वो कॉरपोरेट और राजनैतिक नियंत्रण से मुक्त हो। ऐसा तभी संभव है जब जनता आगे आए और सहयोग करे.

    Donate Now

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    You may have missed

    Copyright © All rights reserved for Samachar Wani | The India News by Newsreach.
    3:49 PM