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    April 16, 2025

    बजट 2023 की उलटी गिनती शुरू: आजाद भारत के 3 वित्त मंत्री, जिन्होंने कभी पेश नहीं किया बजट!

    1 min read
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    बजट 2023 का काउंटडाउन शुरू हो गया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को अपना चौथा बजट पेश करेंगी। इस बजट का सभी को बेसब्री से इंतजार है। मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का यह आखिरी पूर्ण बजट होगा। लोगों को इस बजट से काफी उम्मीदें हैं। आप को बता दें कि मोरारजी देसाई ने सबसे ज्यादा 10 बार बजट पेश किया है। हालांकि आजाद भारत के इतिहास में कुछ नाम ऐसे भी हैं, जो वित्त मंत्री तो बने लेकिन बजट पेश नहीं कर पाए। इसका एक कारण था उनका छोटा कार्यकाल, लेकिन इसके बजाय तत्कालीन प्रधानमंत्री ने बजट पेश किया। इस नाम में क्षितिज चंद्र नियोगी, हेमवती नंदन बहुगुणा और नारायण दत्त तिवारी के नाम शामिल हैं।

    नियोगी थे देश के दूसरे वित्त मंत्री 

    क्षितिज चंद्र नियोगी देश के दूसरे वित्त मंत्री थे। उन्होंने आरके शनमुखम शेट्टी का स्थान लिया था। नियोगी ने केवल 35 दिनों में अपने पद से इस्तीफा दे दिया। ऐसे में उन्हें बजट पेश करने का मौका ही नहीं मिला। वह पहले वित्त आयोग के अध्यक्ष भी थे। 1888 में जन्मे नियोगी संविधान सभा के सदस्य भी थे। वह नेहरू की पहली कैबिनेट के सदस्य भी थे। उन्होंने 1948 में पद से इस्तीफा दे दिया था।

    बहुगुणा को नहीं मिला बजट पेश करने का मौका 

    हेमवती नंदन बहुगुणा का नाम उन मंत्रियों में है जो वित्त मंत्री तो बने लेकिन केंद्रीय बजट पेश नहीं किया। इनका कार्यकाल छोटा रहा। बहुगुणा 1979 में तत्कालीन इंदिरा सरकार में साढ़े पांच महीने के लिए वित्त मंत्री बने थे। इस समय के अंतराल में बजट नहीं आया। वह बिना बजट पेश किए ही पद से हट गए। हेमवती नंदन बहुगुणा 2 बार यूपी के मुख्यमंत्री रहे।

    नारायण दत्त तिवारी की जगह राजीव गांधी ने पेश किया था बजट 

    नारायण दत्त तिवारी का नाम उन लोगों की लिस्ट में आता है जो वित्त मंत्री बनने के बाद भी आम बजट पेश नहीं कर सके। एनडी तिवारी अपने समय के दिग्गज नेता थे। वे 3 बार यूपी के सीएम बने। वे उत्तराखंड के तीसरे मुख्यमंत्री थे। तिवारी आंध्र प्रदेश के राज्यपाल भी रहे, 1987-88 में नारायण दत्त तिवारी वित्त मंत्री बने थे। तब राजीव गांधी प्रधानमंत्री थे। इस समय तत्कालीन प्रधानमंत्री ने नारायण दत्त तिवारी के स्थान पर बजट पेश किया था।

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