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    April 21, 2025

    ‘बांग्लादेश से भारत में BSF करा रही घुसपैठ, महिलाओं पर भी हो रहे जुल्म’, ममता का मोदी सरकार पर हमला।

    1 min read
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    Abhishek Banerjee: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी ने एक बार फिर केंद्र सरकार को घेरा. उन्होंने केंद्र सरकार से कहा कि बांग्लादेश को उसी भाषा में जवाब क्यों नहीं दिया जा रहा है? क्या उन्हें कोई रोक रहा है?

    पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने गुरुवार को बड़ा आरोप लगाते हुए बीएसएफ पर सवाल खड़े किए हैं. ममता बनर्जी ने केंद्रीय बलों पर पश्चिम बंगाल को अस्थिर करने के लिए बांग्लादेशी घुसपैठियों को बंगाल में घुसने देने का आरोप लगाकर विवाद खड़ा कर दिया. केंद्रीय बलों पर पश्चिम बंगाल को अस्थिर करने के लिए बांग्लादेशी घुसपैठियों को बंगाल में घुसने देने का आरोप लगाकर विवाद खड़ा कर दिया. इससे पहले उनके भतीजे और टीएमसी के महासचिव अभिषेक बनर्जी ने भी बांग्लादेश को लेकर केंद्र सरकार पर कई आरोप लगाए हैं.

    बीसीएफ पर उठाए सवाल
    ममता बनर्जी ने इसे केंद्र की ‘नापाक योजना’ बताते हुए आरोप लगाया कि बांग्लादेश सीमा की रक्षा करने वाली बीएसएफ बंगाल में घुसपैठ की अनुमति दे रही है और महिलाओं पर अत्याचार भी कर रही है. प्रशासनिक बैठक के दौरान ममता बनर्जी की यह टिप्पणी केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के ज़रिए यह कहे जाने के कुछ सप्ताह बाद आई है कि ‘बांग्लादेश से घुसपैठ’ बंगाल में शांति को बाधित कर रही है. पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने कहा,’लोग बीएसएफ इस्लामपुर, सीताई, चोपड़ा के रास्ते से घुस रहे हैं, हमारे पास खबर है. आप विरोध क्यों नहीं कर रहे हैं? सीमा बीएसएफ के हाथ में है. अगर किसी को लगता है कि वे बंगाल में घुसपैठ कर रहे हैं और तृणमूल को बदनाम कर रहे हैं, तो उन्हें चेतावनी दी जानी चाहिए कि तृणमूल कांग्रेस ये काम नहीं करती है. बीएसएफ के गलत कामों का समर्थन करके तृणमूल को गाली न दें.’

    अभिषेक बनर्जी ने भी घेरा
    दूसरी तरफ अभिषेक बनर्जी ने कहा कि हर कोई जानता है कि बांग्लादेश में किस तरह जुल्म हो रहा है और किस तरह अराजकता फैल रही है. उन्होंने आगे कहा कि केंद्र सरकार की चुप्पी इस मामले पर अटकलों बढ़ा रही है. अभिषेक बनर्जी ने बांग्लादेश के मुद्दे कंद्र सरकार से जवाब देने की बात कही है. साथ ही कहा कि हम चाहते हैं कि केंद्र सरकार जवाब दे या यूं कहें कि उस भाषा में मुंहतोड़ जवाब दे जो शायद बांग्लादेश समझता हो.

    बांग्लादेश हमें लाल आंखें दिखा रहा है
    अभिषेक बनर्जी ने मीडिया से बात करते हुए कहा,’उन्हें (केंद्र सरकार) कौन रोक रहा है? हमारी पार्टी के नजरिये से हमने पहले दिन से ही अपना रुख बिल्कुल साफ कर दिया है कि यह एक संघ का विषय है, बाहरी या विदेशी मामले केंद्र सरकार के अधिकार क्षेत्र में आते हैं.’ केंद्र सरकार जो भी कदम उठाएगी – एक पार्टी के तौर पर टीएमसी हर भारतीय की सुरक्षा के लिए केंद्र सरकार का पूरा समर्थन करेगी. उन्होंने आगे कहा,’हम चाहते हैं कि वे उन लोगों को जवाब दें जो हमें प्रताड़ित कर रहे हैं और हमें लाल आंख दिखा रहे हैं.’

    चिन्मय दास की जमानत याचिका फिर खारिज
    बांग्लादेश में तख्ता पलट के बाद से हालात स्थिर नहीं हैं. लगातार हिंदुओं पर अत्याचार की खबरें आ रही हैं. यहां तक कि एक मामले में गिरफ्तार किए गए पुजारी चिन्मय दास की जमानत याचिका को एक बार फिर खारिज कर दिया गया है. बांग्लादेश सम्मिलित सनातन जागरण जोत के प्रवक्ता और हिंदू संत चिन्मय कृष्ण दास की गुरुवार को चिटगांव कोर्ट ने जमानत याचिका को खारिज कर दिया. मेट्रोपॉलिटन पब्लिक प्रॉसिक्यूटर एडवोकेट मोफिजुर हक भुइयां ने कहा कि चटगांव मेट्रोपॉलिटन सत्र न्यायाधीश मोहम्मद सैफुल इस्लाम ने लगभग 30 मिनट तक दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद जमानत याचिका खारिज कर दी.

    सुनवाई के बाद चिन्मय के वकील अपूर्व कुमार भट्टाचार्य ने बताया कि वे जमानत के लिए हाईकोर्ट में अपील करने की योजना बना रहे हैं. लगभग 11:40 बजे वकील अपूर्व कुमार भट्टाचार्य के नेतृत्व में सुप्रीम कोर्ट के 11 वकील पुलिस सुरक्षा में दो मिनी बसों में सवार होकर अदालत परिसर से रवाना हो गए. इससे पहले दिन में वे हाई-प्रोफाइल मामले में चिन्मय का प्रतिनिधित्व करने के लिए सुबह करीब 10:15 बजे कड़ी सुरक्षा के बीच अदालत पहुंचे. उनके प्रयासों के बावजूद अदालत का फैसला उनकी याचिका के खिलाफ गया.

    इससे पहले 11 दिसंबर को एक बांग्लादेश की एक अदालत ने दास की प्रारंभिक जमानत याचिका को प्रक्रिया में खामी के कारण खारिज कर दिया था. रिपोर्ट्स के मुताबिक वैध पावर ऑफ अटॉर्नी और वकील की उपस्थिति की कमी की वजह से याचिका खारिज की गई थी. मामले ने तब नया मोड़ ले लिया जब दास के वकीलों में से एक सुभाशीष शर्मा सुरक्षा कारणों से 3 दिसंबर की सुनवाई में शामिल नहीं हो सके थे.

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