Black Box: क्या होता है Black Box? 1100 डिग्री सेल्सियस में भी कैसे सुरक्षित रहता है हर डेटा।
1 min read|
|








राहुल गांधी ने कहा कि ईवीएम एक ‘ब्लैक बॉक्स’ है, जिसकी जांच करने की किसी को इजाजत नहीं है. गांधी ने ‘एक्स’ पर एलन मस्क की पोस्ट भी शेयर की जिसमें मस्क ने ईवीएम को हटाने की बात कही थी.
मुंबई के गोरेगांव में लोकसभा चुनाव में हार-जीत के अंतर को लेकर ईवीएम पर बहस छिड़ि हुई है. कांग्रेस नेताओं ने ईवीएम को लेकर केंद्र पर निशाना साधा है. कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने भी ईवीएम पर सवाल उठाए हैं. राहुल गांधी ने कहा कि ईवीएम एक ‘ब्लैक बॉक्स’ है, जिसकी जांच करने की किसी को इजाजत नहीं है. गांधी ने ‘एक्स’ पर एलन मस्क की पोस्ट भी शेयर की जिसमें मस्क ने ईवीएम को हटाने की बात कही थी.
क्यों चर्चा में है ब्लैक बॉक्स?
मस्क ने अपनी पोस्ट में कहा था, ‘हमें ईवीएम को खत्म कर देना चाहिए. क्योंकि इसे हैक किए जाने का जोखिम, हालांकि छोटा है, फिर भी बहुत अधिक है.’ जिसके बाद राहुल गांधी ने ईवीएम को ब्लैक बॉक्स कह दिया. आइये जानने की कोशिश करते हैं राहुल गांधी ने ईवीएम को ब्लैक बॉक्स क्यों कहा… और ब्लैक बॉक्स होता क्या है?
ब्लैक बॉक्स क्या है?
सांइंस, इंजीनियरिंग और कंप्यूटिंग में ब्लैक बॉक्स एक ऐसी प्रणाली है जिसे केवल इसके इनपुट और आउटपुट (या ट्रांसफर विशेषताओं) के संदर्भ में देखा जाता है. इसका मतलब है कि हम यह नहीं जानते कि अंदर क्या होता है, लेकिन हम यह देख सकते हैं कि यह क्या करता है और यह कैसे प्रतिक्रिया करता है. हमेशा फ्लाइट को लेकर ब्लैक बॉक्स का जिक्र किया जाता है. ब्लैक बॉक्स फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर (FDR) और कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर (CVR) होता है, जो हादसों की जांच में महत्वपूर्ण जानकारी देता है.
इंसानी मस्तिष्क की तरह होता है ब्लैक बॉक्स!
इसे ऐसे भी समझा जा सकता है कि इंसानी मस्तिष्क कई लोगों के लिए एक ब्लैक बॉक्स है, क्योंकि हम अभी भी पूरी तरह से समझ नहीं पाए हैं कि यह कैसे सोचता है और सीखता है. ब्लैक बॉक्स का इस्तेमाल हमेशा जटिल प्रणालियों की स्टडी के लिए किया जाता है. जहां आंतरिक कामकाज को समझना मुश्किल या असंभव होता है. ब्लैक बॉक्स के काम करने का तरीका इस बात पर निर्भर करता है कि यह किस प्रकार की प्रणाली का प्रतिनिधित्व करता है.
50 साल से भी ज्यादा पुराना
ब्लैक बॉक्स का इतिहास 50 साल से भी ज्यादा पुराना है. लोगों ने इसे जानना तब शुरू किया जब विमान हादसे ज्यादा होने लगे. विमान हादसों की बढ़ती संख्या के बीच 50 के दशक ब्लैक बॉक्स का जन्म हुआ. 1953-54 के बीच एक्सपर्ट्स ने विमान में हादसों के कारण को जानने के लिए इसकी जरूरत समझी. ब्लैक बॉक्स को फ्लाइट में इंस्टॉल करने का एक मात्र कारण था कि भविष्य में होने वाले हादसों को रोका जा सके. शुरुआती दिनों में इसके लाल रंग के कारण इसे ‘रेड एग’ भी कहा जाता था. लेकिन बाद में इसे ब्लैक बॉक्स कहा जाने लगा.
88 तरह के डेटा होते हैं रिकॉर्ड
ब्लैक बॉक्स में विमान की दिशा, ऊंचाई, ईंधन, गति, हलचल, केबिन का तापमान सहित 88 तरह के डेटा होता है. ब्लैक बॉक्स 1100°C के तापमान को एक घंटे तक सहन कर सकता है जबकि 260°C के तापमान को 10 घंटे तक सहन करने की क्षमता रखता है. कॉकपिट वॉइस रिकॉर्डर की बात करें तो यह डिवाइस फ्लाइट के आखिरी 2 घंटों की आवाज रिकॉर्ड करता है. इंजन की आवाज, इमरजेंसी अलार्म, केबिन और कॉकपिट की आवाज इसमें रिकॉर्ड होती है. यह हादसे के पहले फ्लाइट के माहौल के बारे में जानकारी देता है.
About The Author
|
Whatsapp बटन दबा कर इस न्यूज को शेयर जरूर करें |
Advertising Space












Recent Comments