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    April 21, 2025

    BJP की सहयोगी पार्टी छोड़ेगी NDA! इस राज्‍य की पॉलिटिक्‍स घूमेगी 180 डिग्री।

    1 min read
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    उत्‍तरी तमिलनाडु के वन्नियार समुदाय में खासा प्रभाव रखने वाली पीएमके ने सीएम स्‍टालिन के नेतृत्‍व वाली डीएमके को खुला ऑफर देकर सबको चौंका दिया है.

    केंद्र में बीजेपी के नेतृत्‍व में सत्‍तारूढ़ एनडीए में सहयोगी पीएमके पार्टी अलग राह पकड़ती दिख रही है. उत्‍तरी तमिलनाडु के वन्नियार समुदाय में खासा प्रभाव रखने वाली पीएमके ने सीएम स्‍टालिन के नेतृत्‍व वाली डीएमके को खुला ऑफर देकर सबको चौंका दिया है. पीएमके ने कहा कि यदि वन्नियार समुदाय को अति पिछड़े वर्ग (एमबीसी) कोटा में से 15 प्रतिशत इंटरनल आरक्षण दे दिया जाए तो वो तमिलनाडु में डीएमके सरकार को समर्थन देने के लिए तैयार है. स्‍टालिन के नेतृत्‍व वाली डीएमके केंद्र के स्‍तर पर विपक्षी इंडिया ब्‍लॉक का हिस्‍सा है.

    यदि ऐसा होता है तो तमिलनाडु की सियासत में बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है. पीएमके अध्‍यक्ष अंबुमणि रामदास ने कहा कि यदि 2026 के विधानसभा चुनाव से पहले ये आरक्षण वन्नियार समुदाय को दे दिया जाए तो उनकी पार्टी डीएमके को चुनावों में बिना शर्त समर्थन देगी. उन्‍होंने यहां तक कहा कि समर्थन के बदले वह किसी सीट पर चुनाव लड़ने की इच्‍छा तक जाहिर नहीं करेगी.

    तमिलनाडु में इस वक्‍त 69 प्रतिशत आरक्षण की व्‍यवस्‍था है. इनमें से 30 प्रतिशत पिछड़े वर्गों (ओबीसी), 20 प्रतिशत अति पिछड़े वर्गों (एमबीसी), 18 प्रतिशत एससी और 1 प्रतिशत एसटी समुदाय को आरक्षण का लाभ मिलता है. एमबीसी कोटे के अंतर्गत आने वाले कुल 20 प्रतिशत में से 15 फीसद आरक्षण की मांग पीएमके ने की है.

    अपनी बात के समर्थन में पीएमके ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने एससी कैटेगरी के अंतर्गत 3 प्रतिशत अरुंधतीयार समुदाय को सब कोटा देने के फैसले को जिस तरह उचित ठहराया है उसी तरह की व्‍यवस्‍था एमबीसी में वन्नियार समुदाय के लिए की जा सकती है.

    अंबुमणि रामदास का कहना है कि इंटरनल रिजर्वेशन का सवाल कोई जातिगत मसला नहीं है बल्कि ये सामाजिक न्‍याय की बात है. उनका कहना है कि वन्नियार समुदाय के लोगों की हालत खराब है और दिहाड़ी, मजदूरी का काम करने के लिए विवश हैं. यदि इनको आरक्षण का लाभ मिलेगा तो इनकी शैक्षणिक और पेशेगत उन्‍नति होगी.

    वन्नियार समुदाय
    उत्‍तरी तमिलनाडु में बेहद प्रभावी समुदाय है. ऐतिहासिक रूप से ये समुदाय ओबीसी के रूप में वर्गीकृत था लेकिन 1980 के दशक में सफल आंदोलनों के बाद ये एमबीसी कैटेगेरी में शामिल हुआ. 2021 के विधानसभा चुनाव में पार्टी का वोट शेयर 4.33 प्रतिशत रहा. इस बार के लोकसभा चुनाव में तमिलनाडु की 39 में से 10 सीटों पर चुनाव लड़ा. अंबुमणि रामदास की पत्‍नी सौम्‍या अंबुमणि ने धर्मपुरी लोकसभा सीट पर चुनाव लड़ा और वो डीएमके प्रत्‍याशी से 21 हजार वोटों से हार गईं. वह दूसरे स्‍थान पर रहीं और मुख्‍य विपक्षी एआईएडीएमके तीसरे स्‍थान पर रही. इस लिहाज से देखें तो गठबंधन होने की स्थिति में 2026 के विधानसभा चुनाव में पीएमके और डीएमके का साथ निर्णायक साबित हो सकता है और सत्‍तारूढ़ पार्टी की आगे की राह को आसान बना सकता है.

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