मिशन 2024 पर BJP का मंथन, बदले जा सकते हैं कई राज्यों के प्रभारी; संगठन पर फोकस
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BJP साल 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव को लेकर सियासी बिसात बिछने लगी है। भाजपा का पूरा फोकस 2024 के चुनाव पर है। बताया जा रहा है कि कुछ बड़े राज्यों के प्रभारी बदले जा सकते हैं।
नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव 2024 के लिए फिर से तीन सौ पार के लक्ष्य के साथ तैयारी में जुटी भाजपा में जल्द ही कुछ महत्वपूर्ण बदलाव देखने को मिल सकते हैं।
पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने जिस तरह दो दिन तक मंथन किया है, उससे संकेत मिल रहे हैं नेताओं की क्षमता और आवश्यकता के अनुरूप कुछ बड़े राज्यों के प्रभारी बदले जा सकते हैं। इतना ही नहीं, केंद्रीय संगठन में भी कुछ परिवर्तन किए जा सकते हैं।
BJP ने शुरू किया महासंपर्क अभियान
हाल ही में भाजपा ने मिशन-2024 के तहत महासंपर्क अभियान शुरू किया है। इसमें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृहमंत्री अमित शाह और पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा जैसे शीर्ष नेताओं की जनसभाएं भी प्रस्तावित हैं। बूथ स्तर तक संगठन को सक्रिय करने की रूपरेखा बनाई है।
BJP का संगठन पर पूरा फोकस
इसके साथ भाजपा ने केंद्र से लेकर राज्यों तक संगठन को चुस्त-दुरुस्त करने पर कसरत तेज कर दी है। दो दिन तक दिल्ली में पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा, अमित शाह और राष्ट्रीय महामंत्री संगठन सहित अन्य दिग्गज नेताओं की बैठक चली। पार्टी सूत्रों के अनुसार, इस बैठक में मुख्यत: लोकसभा चुनाव ही मुद्दा रहा। राज्यों में संगठन की स्थिति, चुनौतियों, संभावनाओं, वर्तमान में वहां संगठन का नेतृत्व कर रहे पदाधिकारियों के जातीय-क्षेत्रीय समीकरण और पकड़ आदि पर गहराई से विचार-विमर्श किया गया है।
कई प्रमुख राज्यों के प्रभारी बदल सकती है BJP
इसके लिए राज्यों से फीडबैक भी लिया गया है। माना जा रहा है कि लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए पार्टी कई प्रमुख राज्यों के प्रभारी बदल सकती है। प्रदेश संगठन के अध्यक्षों में भी बदलाव संभव है। इसके साथ ही केंद्रीय संगठन में भी कुछ पदाधिकारियों के दायित्व जल्द बदले जा सकते हैं।
पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव की तैयारियों पर हुई चर्चा
बेशक, इस उच्च स्तरीय विमर्श के केंद्र में लोकसभा चुनाव रहे हों, लेकिन साथ ही इस वर्ष होने जा रहे पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव की तैयारियों पर भी चर्चा की गई। इनमें खास तौर पर कांग्रेस और भाजपा के सीधे मुकाबले वाले हिंदी पट्टी वाले मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में संगठन की शक्ति और कमजोरियों की समीक्षा की गई है।
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