बिहार की पहली महिला IPS, 19 की उम्र में हो गई शादी, फिर पति से अलग होकर किया UPSC क्रैक।
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19 साल की उम्र में मंजरी की शादी एक आईएफएस अधिकारी से हो गई थी.
यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा पास करना भारत में कई लोगों के लिए एक सपना है, लेकिन यह यात्रा आसान नहीं है, खासकर जब सामाजिक और पारिवारिक दबाव बाधाएं पैदा करते हैं. ऐसी ही एक कहानी है बिहार की पहली और भारत की पांचवीं महिला आईपीएस अधिकारी मंजरी जरुहर की. उन्होंने अपने सपनों को हासिल करने के लिए कई चुनौतियों का सामना किया और साबित किया कि दृढ़ संकल्प से ही सफलता मिलती है.
शुरुआती जीवन और फैमिली बैकग्राउंड
मंजरी जरुहर का जन्म एक सम्मानित परिवार में हुआ था जहां उनके कई रिश्तेदार IAS और IPS अधिकारी थे. पहली नजर में, ऐसा लग सकता है कि अधिकारी बनने की उनकी यात्रा आसान थी, लेकिन वास्तविकता इससे बिलकुल अलग थी. एजुकेशनल बैकग्राउंड से आने के बावजूद, उन्हें अपने करियर की आकांक्षाओं के लिए अपेक्षित सपोर्ट नहीं मिला. हालांकि, पढ़ाई के प्रति उनके जुनून और दृढ़ इच्छाशक्ति ने उन्हें आगे बढ़ने के लिए इंस्पायर किया.
शादी और करियर ब्रेक
डीएनए के मुताबिक 19 साल की उम्र में मंजरी की शादी एक आईएफएस अधिकारी से हो गई थी. शादी के तुरंत बाद, उन्हें एहसास हुआ कि उनके पति और ससुराल वाले उनकी पढ़ाई और करियर की महत्वाकांक्षाओं का सपोर्ट नहीं कर रहे थे. घर की जिम्मेदारियों में उलझी हुई, करियर बनाने के उनके सपने फीके पड़ने लगे.
एक समय तो उन्हें डर लगा कि उन्हें अपना जीवन हाउस वाइफ बनकर बिताना पड़ेगा, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी. बहुत हिम्मत के साथ उन्होंने अपने ससुराल वालों से अलग होने और पूरी तरह से अपने सपनों पर फोकस करने का फैसला किया. यह कोई आसान फैसला नहीं था, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और यूपीएससी की तैयारी शुरू कर दी.
यूपीएससी की तैयारी और चुनौतियों का सामना
मंजरी ने पटना वीमेंस कॉलेज से इंग्लिश ऑनर्स की पढ़ाई की और उसके बाद दिल्ली यूनिवर्सिटी से पोस्ट ग्रेजुएशन किया. इसके बाद उन्होंने यूपीएससी परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी.
1974 में उन्होंने पहली बार परीक्षा दी. उन्होंने प्री और मेंस एग्जाम पास कर लिया, लेकिन इंटरव्यू में असफल रहीं. हालांकि, उन्होंने उम्मीद नहीं खोई. इसके बजाय, उन्होंने कड़ी मेहनत की और 1975 में फिर से अटेंप्ट किया, और इस बार, उन्होंने सफलतापूर्वक परीक्षा पास कर ली.
मेयोनेज सॉस के बारे में एक यूनीक इंटरव्यू क्वेश्चन
यूपीएससी इंटरव्यू के दौरान, बोर्ड के सदस्यों ने उनसे एक अप्रत्याशित सवाल पूछा: “क्या आप मेयोनेज सॉस बना सकते हैं?” ऐसा इसलिए था क्योंकि उन्होंने आवेदन फॉर्म में खाना पकाने को अपना शौक बताया था. बिना किसी हिचकिचाहट के, मंजरी ने आत्मविश्वास से मेयोनेज बनाने की स्टेप बाई स्टेप प्रक्रिया बताई. उस समय भारत में मेयोनीज आम तौर पर उपलब्ध नहीं थी, लेकिन उनके डिटेल जवाब ने इंटरव्यू पैनल को इतना प्रभावित किया कि उन्होंने उनसे कोई और सवाल नहीं पूछा. उनके सेल्फ कॉन्फिडेंस और सूझबूझ ने उनके चयन में अहम भूमिका निभाई.
आईपीएस अधिकारी के तौर पर लाइफ
मंजरी आईपीएस अधिकारी बन गईं, लेकिन फिर भी उनकी इच्छा आईएएस अधिकारी बनने की थी. उन्होंने 1976 में फिर से यूपीएससी परीक्षा की कोशिश की, लेकिन इस बार, वह मुख्य परीक्षा पास नहीं कर सकीं. हालांकि, असफलता पर ध्यान देने के बजाय, उन्होंने अपने आईपीएस करियर को अपनाया और समर्पण के साथ देश की सेवा की.
‘मैडम सर’ और उनकी विरासत
रिटायर होने के बाद, मंजरी ने ‘मैडम सर’ नाम की एक किताब लिखी, जिसमें उन्होंने एक आईपीएस अधिकारी के रूप में अपनी जीवन यात्रा, संघर्ष और एक्सपीरिएंस को साझा किया. आज, वह भारत भर की महिलाओं के लिए एक मोटिवेशन हैं, जो साबित करती हैं कि कड़ी मेहनत और दृढ़ संकल्प किसी भी बाधा को तोड़ सकता है. उनकी कहानी हमें याद दिलाती है कि अगर आप अपने सपनों के लिए लड़ने का साहस रखते हैं, तो दुनिया आपकी सफलता के लिए रास्ता बना देगी.
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