टोरेस घोटाले में बड़ा अपडेट; कंपनी की शाखाओं से 9 करोड़ रुपये जब्त, 15 लोगों की पहचान।
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टोरेस ज्वेलरी कंपनी पर फिलहाल गंभीर आरोप लग रहे हैं और आर्थिक अपराध शाखा ने इस मामले में 9 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त कर ली है।
मुंबई में टोरस कंपनी घोटाले ने पूरे देश में हलचल मचा दी है। यह कंपनी निवेशकों से 500 करोड़ रुपये लेकर एक ही दिन में गायब हो गई। अब इस मामले में एक बड़ा अपडेट सामने आ रहा है। आर्थिक अपराध शाखा ने टोरेस मामले में शनिवार तक कंपनी की विभिन्न शाखाओं से करीब 9 करोड़ रुपये की नकदी जब्त की है। आर्थिक अपराध शाखा ने उन 15 निवेशकों की पहचान करने में भी सफलता प्राप्त की है, जिन्होंने कंपनी से पुरस्कार के रूप में कारें स्वीकार की थीं।
टोरेस मामले में कंपनी की दादर शाखा में तलाशी अभियान चलाया गया है। साक्ष्य मिले कि कंपनी ने 15 वाहन खरीदे थे और 5 वाहन आरक्षित रखे थे। प्रारंभिक जांच से पता चला है कि आरोपियों ने टोरेस कंपनी की शाखा शुरू करने के लिए शोरूम खोलने हेतु दादर में 25 लाख रुपये प्रति माह पर जगह किराए पर ली थी। इस बीच, आर्थिक अपराध शाखा के अधिकारी इस संबंध में जमीन मालिक से पूछताछ कर रहे हैं। मालिक द्वारा किए गए किराये के समझौते, पैसों के लेन-देन आदि के विवरण की जांच की जा रही है।
यह पता चलने पर कि कंपनी निवेशकों को आकर्षित करने के लिए पुरस्कार के रूप में वाहन दे रही है, अधिकारियों ने ऐसे निवेशकों की तलाश शुरू कर दी जो उन्हें स्वीकार कर सकें। सूत्रों ने बताया है कि कंपनी से पुरस्कार के तौर पर कारें लेने वाले 15 निवेशकों की पहचान कर ली गई है और आर्थिक अपराध शाखा इन कारों को जब्त करने पर विचार कर रही है।
टोरेस का घोटाला कैसे हुआ?
5 जनवरी को टोरेस के शोरूम में एक बैठक के दौरान कर्मचारियों और कंपनी प्रबंधन के बीच वेतन को लेकर विवाद उत्पन्न हो गया। इसके बाद कर्मचारी शिवाजी पार्क पुलिस के पास पहुंचे। कुछ निवेशक भी उनके साथ थाने पहुंचे और मामला सामने आया। टोरेस मामले में अब तक मुंबई और नवी मुंबई के लगभग डेढ़ लाख निवेशकों ने टोरेस में पैसा लगाया है और कुछ ने इसमें निवेश करने के लिए ऋण भी लिया है। साथ ही दादर और माहिम में रहने वाले कई व्यापारियों ने भी इसमें पैसा लगाया था।
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