संभल मस्जिद मामले में हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, ‘इस’ काम के लिए 3 सदस्यीय कमेटी गठित।
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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने संभल जामा मस्जिद को लेकर अहम फैसला सुनाया है।
उत्तर प्रदेश के संभल स्थित जामा मस्जिद को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया है। अदालत ने निर्देश दिया है कि मस्जिद में पेंटिंग का काम एक समिति की देखरेख में किया जाए। अदालत ने आदेश दिया कि मस्जिद की रंगाई-पुताई और रखरखाव का काम तीन सदस्यीय विशेषज्ञ समिति की देखरेख में किया जाए, ताकि मस्जिद के ऐतिहासिक और संरचनात्मक महत्व को कोई नुकसान न पहुंचे।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश के अनुसार, तीन सदस्यीय समिति में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) का एक विशेषज्ञ शामिल होगा, जो यह सुनिश्चित करेगा कि मस्जिद की ऐतिहासिक संरचना को कोई नुकसान न पहुंचे। वहां एक वैज्ञानिक भी होगा जो पेंटिंग में प्रयुक्त सामग्रियों का विश्लेषण करेगा। एक प्रशासनिक अधिकारी भी होगा जो इस पूरे काम की देखरेख करेगा।
हाईकोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि संभल जामा मस्जिद की रंगाई-पुताई कमेटी की देखरेख में होगी, बिना कमेटी की देखरेख के यह काम नहीं कराया जाएगा। अदालत ने इस उद्देश्य के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को मस्जिद का निरीक्षण करने का भी निर्देश दिया है।
आज सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि चूंकि रमजान का महीना शुरू हो रहा है, इसलिए मस्जिद की पेंटिंग करने की जरूरत है, लेकिन कोर्ट कमेटी की रिपोर्ट के बाद तय करेगा कि पेंटिंग किस तरह से की जाएगी, जिससे इस दौरान मस्जिद की इमारत को नुकसान न पहुंचे। इस मामले की सुनवाई शुक्रवार को अदालत में होगी। मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल की एकल पीठ के समक्ष होगी।
इससे पहले, शाही जामा मस्जिद की पेंटिंग के लिए मांगी गई अनुमति के विरोध में हिंदू समुदाय के लोग भी सड़कों पर उतर आए थे। हिंदू संगठनों के कार्यकर्ताओं का कहना है कि अगर पेंटिंग का काम शुरू हुआ तो विवाद और बढ़ेगा। क्या एएसआई इसकी जिम्मेदारी लेगा? मस्जिद में काम शुरू करना तो बस एक कारण है, असली उद्देश्य कुछ और है।
इस बीच, हिंदू पक्ष के वकील हरिशंकर जैन ने कहा कि आदेश के बाद हाईकोर्ट को इसे मस्जिद नहीं मानना चाहिए। इसके बाद न्यायाधीश अग्रवाल ने अपने स्टेनोग्राफर को आदेश में कथित मस्जिद लिखने का निर्देश दिया।
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