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    April 14, 2025

    भगत सिंह निर्दोष थे! पाकिस्तानी वकील की 11 साल तक चली कानूनी लड़ाई; लाहौर में एक चौराहे का नाम रखने के लिए संघर्ष, लेकिन…

    1 min read
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    इस अदालती लड़ाई के दौरान क़ुरैशी को कट्टरपंथी संगठनों द्वारा परेशान किया गया था।

    हमारे देश के स्वतंत्रता सेनानियों के सम्मान में आवाज उठाना आसान है। लेकिन किसी स्वतंत्रता सेनानी के लिए दूसरे देश में अपनी आवाज उठाना और उसके लिए कानूनी लड़ाई लड़ना बहुत मुश्किल है। ऐसी ही एक लड़ाई पाकिस्तान के लाहौर में चल रही है. यहां एक वकील एक दशक से अधिक समय से महान क्रांतिकारी भगत सिंह के लिए कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं। इस वकील का नाम इम्तियाज राशिद कुरेशी है और इस लड़ाई के लिए उन्हें कई बार वहां के कट्टरपंथी संगठनों का सामना करना पड़ा है। उन पर कई हमले भी हो चुके हैं. हालाँकि, उन्होंने अपनी लड़ाई जारी रखी है।

    इम्तियाज़ क़ुरैशी ने अपने पिता अब्दुल रशीद क़ुरैशी के साथ मिलकर 2013 में लाहौर हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी. क़ुरैशी ने ब्रिटिश अधिकारी (सहायक पुलिस अधीक्षक) जॉन पी. से पूछा। 1928 में सॉन्डर्स की हत्या का मुकदमा चलाया गया। क़ुरैशी का कहना है कि ब्रिटिश कोर्ट ने इस केस का फैसला सुनाते हुए भगत सिंह के साथ अन्याय किया. कोर्ट ने 450 गवाहों और प्रतिवादियों की गवाही सुने बिना ही भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को सजा सुना दी थी. दिलचस्प बात यह है कि सॉन्डर्स की हत्या के बाद अनारकली बाजार पुलिस स्टेशन में दर्ज एफआईआर में भगत सिंह का नाम नहीं था। क़ुरैशी की याचिका पर आख़िरी सुनवाई 2016 में हुई थी. क़ुरैशी अभी भी भगत सिंह को बरी करने के लिए अदालत में चुनौती दे रहे हैं। उन्होंने इस मामले में निष्पक्ष सुनवाई की मांग की है.

    लाहौर में एक चौराहे का नाम भगत सिंह के नाम पर रखने की मांग
    इम्तियाज कुरेशी ने इससे पहले 21 फरवरी, 2018 को लाहौर उच्च न्यायालय में इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ पाकिस्तान, 1973 के संविधान के अनुच्छेद 19 के तहत एक और याचिका दायर की थी। इस याचिका के जरिए उन्होंने पंजाब सरकार से शादमान चौक का नाम बदलने की मांग की. अपनी याचिका में कुरेशी ने कहा कि कोर्ट को इस चौराहे का नाम शहीद भगत सिंह के नाम पर रखने का निर्देश देना चाहिए. आज शादमान चौक उसी स्थान पर स्थित है जहां भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को लाहौर सेंट्रल जेल में फांसी दी गई थी। इसलिए क़ुरैशी ने मांग की कि इस चौराहे का नाम भगत सिंह के नाम पर रखा जाना चाहिए.

    कोर्ट ने याचिका स्वीकार कर ली
    इसके बाद कोर्ट ने 5 सितंबर को याचिका का निपटारा कर दिया और लाहौर के लॉर्ड मेयर को शादमान चौक का नाम भगत सिंह के नाम पर रखने की मांग पर जल्द फैसला लेने का निर्देश दिया. इस घटना के पांच साल बाद भी अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है. इसके बाद 1 मार्च 2024 को कुरैशी ने एक बार फिर कोर्ट में याचिका दायर की. अपनी याचिका में क़ुरैशी ने कहा है कि कोर्ट के निर्देशों की अवहेलना की गई है. कोर्ट ने इस दलील को स्वीकार कर लिया है.

    जस्टिस शम्स महमूद मिर्ज़ा ने 13 सितंबर 2024 को लाहौर के शादमान चौक का नाम बदलकर स्वतंत्रता सेनानी भगत सिंह के नाम पर रखने की याचिका और क़ुरैशी की अवमानना ​​याचिका पर सुनवाई की. साथ ही प्रतिवादियों को आखिरी मौका देते हुए कहा कि इस मामले की अगली सुनवाई 8 नवंबर को होगी. टाइम्स ऑफ इंडिया ने इस बारे में खबर छापी है.

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