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    April 24, 2025

    यदि खाते से धोखाधड़ी से पैसा निकाला जाता है तो बैंक जिम्मेदार है! बैंकिंग ग्राहकों के लिए सुप्रीम कोर्ट का महत्वपूर्ण फैसला।

    1 min read
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    सर्वोच्च न्यायालय ने एक ऐतिहासिक मामले में फैसला सुनाया है कि यदि किसी बैंक ग्राहक के खाते से धोखाधड़ी से पैसा निकाला जाता है तो इसके लिए संबंधित बैंक पूरी तरह जिम्मेदार होगा।

    मुंबई: सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले में महत्वपूर्ण फैसला देते हुए कहा है कि अगर किसी बैंक ग्राहक के खाते से धोखाधड़ी से पैसा निकाला जाता है तो इसके लिए संबंधित बैंक पूरी तरह जिम्मेदार होगा। सर्वोच्च न्यायालय ने 3 जनवरी को भारतीय स्टेट बैंक बनाम पल्लभ भौमिक एवं अन्य मामले में ग्राहकों के प्रति बैंकों की जिम्मेदारी और कर्तव्यों के मुद्दे पर एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया। यह निर्णय सभी बैंक खाताधारकों के लिए राहत की बात है, क्योंकि धोखाधड़ी से धन निकासी के सभी मामलों में बैंक को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता।

    सुप्रीम कोर्ट ने बैंकिंग विनियमन अधिनियम की धारा 5, भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम की धारा 10 और उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 के आधार पर अपने फैसले में ऐसे मामलों में ग्राहक को पूरा मुआवजा दिलाने की जिम्मेदारी बैंकों पर डाली है। इस मामले में खाताधारक ने अपना पक्ष रखते हुए अदालत के समक्ष बताया कि बैंक ने धोखाधड़ी को रोकने के लिए आवश्यक सावधानियां नहीं बरतीं तथा देयता नियमों का उल्लंघन किया। इसमें यह भी कहा गया कि बैंक ने उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम का उल्लंघन किया है तथा ग्राहकों के धन की सुरक्षा करने की अपनी जिम्मेदारी को पूरा करने में विफल रहा है।

    हालांकि, बैंक ने तर्क दिया कि इस मामले में उसकी ओर से कोई लापरवाही नहीं हुई है तथा ग्राहक की लापरवाही और समय पर सूचना न देने के कारण धोखाधड़ी को रोकने में बैंक की विफलता के लिए ग्राहक ही जिम्मेदार है। हालांकि, टिप्पणी दर्ज करते हुए अदालत ने स्पष्ट रूप से बैंक को जिम्मेदार ठहराया और कहा कि ग्राहक के पैसे को सुरक्षित रखना केवल शिष्टाचार का मामला नहीं है, बल्कि बैंक की मौलिक जिम्मेदारी है। ग्राहक के पक्ष में फैसला सुनाते हुए अदालत ने यह भी कहा कि बैंकों को ग्राहकों को किसी भी तरह की धोखाधड़ी से बचाने के लिए मजबूत प्रणाली अपनानी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि बैंक किसी भी हालत में इस जिम्मेदारी से बच नहीं सकते।

    सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला सिर्फ एक ग्राहक तक सीमित नहीं है, बल्कि पूरे बैंकिंग क्षेत्र के लिए महत्वपूर्ण है। राज्य सहकारी बैंक के मुख्य प्रशासक विद्याधर अनास्कर ने कहा कि उन्होंने स्पष्ट किया कि सुरक्षा प्रक्रियाओं में लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी, इससे उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत उपभोक्ता अधिकारों का महत्व उजागर होता है। अनास्कर ने कहा कि इस परिणाम से बैंकों और ग्राहकों के बीच विश्वास और जिम्मेदारी का रिश्ता मजबूत होगा तथा बैंकों की समग्र विश्वसनीयता बढ़ाने में मदद मिलेगी।

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