सुप्रीम कोर्ट से अंडरट्रायल कैदियों की जमानत पक्की, लेकिन ये शर्तें अब भी लागू।
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विचाराधीन (Undertrials) कैदी वो अभियुक्त होता है जिसे उस समय तक न्यायिक हिरासत में रखा जाता है जब तक कोर्ट में मामले की सुनवाई पूरी होकर नतीजा नहीं आ जाता. ऐसे बंदियों के लिए सरकार द्वारा बनाए नए कानून भारतीय न्याय संहिता की धारा (BNSS497) के तहत जमानत देने का जो प्रावधान था उस पर सुप्रीम कोर्ट की मुहर लग गई है.
इंडियन पीनल कोड (IPC) की जगह भारतीय न्याय संहिता (BNS) ले चुकी है. नए कानूनों को लेकर दावा है कि पहले की तुलना में कम समय में इंसाफ मिलेगा. पेंडिंग मुकदमों का बोझ कम होगा. अंडरट्रायल कैदियों को राहत (Fast-track release of undertrials) मिलेगी. कम गंभीर अपराधों के तहत जेल में बंद कैदियों की रिहाई का रास्ता साफ होगा. इसी सिलसिले में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने लंबे समय से जेलों में बंद पुराने विचाराधीन कैदियों को राहत देते हुए उनकी जमानत का रास्ता साफ कर दिया है. SC ने अंडरट्रायल कैदियों पर भी BNSS की धारा 479 लागू होने का आदेश दिया है. केंद्र सरकार की ओर से स्थिति स्पष्ट करने के बाद जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच ने अपने फैसले में उनकी जमानत को हरी झंडी दिखा दी.
अंडरट्रायल कैदियों को बड़ी राहत
नए कानून के तहत पहली बार अपराध करने वाले विचाराधीन कैदियों की त्वरित रिहाई का मुद्दा देशभर की सुर्खियों में आ गया है. भारत की अधिकांश जेलों में क्षमता से ज्यादा कैदी हैं. इनमें अंडरट्रायल कैदियों का आंकड़ा भी लगातार बढ़ता जा रहा है. ये वो लोग हैं जिनकी किसी अपराधिक मामले में गिरफ्तारी हुई लेकिन उनका मामला अभी अदालत में चल रहा है, यानी फैसला नहीं आया है. कई अंडरट्रायल कैदी ऐसे हैं, जो सही समय पर इंसाफ न मिलने की वजह से बिना दोषी साबित हुए लंबे समय से जेल में बंद हैं. अब उन सभी को राहत मिलने जा रही है.
ये शर्तें अब भी लागू
धारा 479 के तहत एक तिहाई सजा भुगत चुके पहली बार के अभियुक्तों को जमानत मिलने का प्रावधान रखा है. इस पर स्थिति साफ होने के बाद अब पहले अपराध में पकड़े गए और अपनी एक तिहाई सजा भुगत चुके आरोपियों को जमानत मिल जाएगी. ये धारा कहती है कि पहली बार के अपराधी विचाराधीन कैदी अगर उस कानून में आरोपित अपराध में दी गई अधिकतम सजा की एक तिहाई जेल काट लेता है तो कोर्ट उसे बांड पर रिहा कर देगा. उम्रकैद और मृत्युदंड की सजा के अलावा किसी अपराध में आरोपित विचाराधीन कैदी अगर कुल सजा की आधी सजा काट लेता है तो कोर्ट उसे जमानत पर रिहा कर देगा.
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