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    April 30, 2025

    बैडमिंटन खिलाड़ी लक्ष्य सेन पर बड़ा आरोप, FIR दर्ज करने की मांग; सुप्रीम कोर्ट ने क्या फैसला दिया?

    1 min read
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    भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी लक्ष्य सेन इस समय बड़े विवाद का शिकार हो गए हैं। लक्ष्य सेन ने पेरिस ओलंपिक में अपने उत्कृष्ट प्रदर्शन से अपना नाम बनाया।

    भारत के युवा बैडमिंटन खिलाड़ी लक्ष्य सेन एक बड़े विवाद में फंस गए हैं। ओलंपियन लक्ष्य सेन, उनके भाई चिराग सेन, पिता धीरेंद्र सेन, मां निर्मला सेन और कोच यू विमल कुमार के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि उन्होंने दोनों भाइयों लक्ष्य और चिराग के लिए झूठे जन्म प्रमाण पत्र उपलब्ध कराए। आरोप है कि उनकी उम्र ढाई साल कम कर दी गई ताकि वह जूनियर प्रतियोगिता में भाग ले सकें। लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट ने लक्ष्य सेन को राहत दे दी है।

    सर्वोच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया और न्यायमूर्ति के. न्यायमूर्ति विनोद चंद्रन की पीठ ने बैडमिंटन खिलाड़ी लक्ष्य सेन के मामले में कर्नाटक उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगा दी है, जिसमें उनकी जन्मतिथि (आयु) से संबंधित धोखाधड़ी के आरोपों की जांच की अनुमति दी गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक उच्च न्यायालय को भी नोटिस जारी किया है। अर्जुन पुरस्कार विजेता बैडमिंटन खिलाड़ी लक्ष्य सेन और उनके भाई चिराग सेन ने जन्मतिथि विवाद में कर्नाटक उच्च न्यायालय के फैसले को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी थी।

    बैडमिंटन अकादमी चलाने वाले नागराज एमजी ने आरोप लगाया है कि प्रकाश पादुकोण बैडमिंटन अकादमी के बैडमिंटन कोच विमल कुमार ने लक्ष्य सेन और चिराग सेन के माता-पिता की मिलीभगत से 2010 में फर्जी जन्म प्रमाण पत्र दस्तावेज जमा किए थे। ताकि उन्हें निश्चित आयु वर्ग की प्रतियोगिताओं में भाग लेने की अनुमति दी जा सके। शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया है कि इस प्रतियोगिता में भाग लेने के बाद सरकारी लाभ प्राप्त करने के लिए उसके जन्म प्रमाण पत्र में हेराफेरी की गई। उन्होंने अपने तर्क के समर्थन में आरटीआई से प्राप्त कुछ दस्तावेज प्रस्तुत किये।

    पुलिस ने भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 420 (धोखाधड़ी), 468 (धोखाधड़ी के इरादे से जालसाजी) और 471 (झूठे रिकॉर्ड को असली के रूप में उपयोग करना) के तहत मामला दर्ज किया। मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट के निर्देश पर 2 दिसंबर 2022 को एफआईआर दर्ज की गई थी, लेकिन उस समय कर्नाटक उच्च न्यायालय ने 22 दिसंबर 2022 को अंतरिम आदेश पारित कर जांच पर रोक लगा दी थी।

    कर्नाटक उच्च न्यायालय ने बैडमिंटन खिलाड़ी लक्ष्य सेन, उनके परिवार और उनके कोच यू विमल कुमार की जन्म प्रमाण पत्र में जालसाजी का आरोप लगाने वाली याचिकाओं को खारिज करते हुए कहा कि मामले में प्रथम दृष्टया ऐसे सबूत हैं जो जांच की जरूरत दर्शाते हैं।

    रिपोर्टों के अनुसार, न्यायमूर्ति एमजी उमा ने 19 फरवरी को यह आदेश पारित किया था और यह हाल ही में उपलब्ध हुआ है। याचिका खारिज करते हुए न्यायमूर्ति एमजी उमा ने कहा, ‘जब प्रथम दृष्टया रिकॉर्ड में ऐसी सामग्री पेश की जाती है जो अपराध का आरोप लगाती है, तो मुझे जांच रोकने या आपराधिक कार्यवाही को रद्द करने का कोई कारण नहीं दिखता।’ शिकायतकर्ता ने अदालत के समक्ष सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत उपयुक्त प्राधिकारियों से प्राप्त महत्वपूर्ण दस्तावेज प्रस्तुत किये। ऐसी स्थिति में, मैं याचिकाओं पर विचार करने का कोई कारण नहीं देखता।

    लक्ष्य सेन और चिराग सेन सहित माता-पिता और कोचों ने दिसंबर 2022 में उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द करने की मांग की। द हिन्दू की एक रिपोर्ट के अनुसार, याचिकाकर्ताओं ने दावा किया है कि उन्हें बदनाम करने के लिए निराधार आरोप लगाए गए हैं। दरअसल, 2020 में नागराज की बेटी को प्रकाश पादुकोण बैडमिंटन अकादमी में दाखिला नहीं मिला था, क्योंकि उनकी बेटी अकादमी में दाखिले के लिए जरूरी मापदंडों को पूरा नहीं करती थी।

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