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    April 22, 2025

    भारत के आदित्य-एल1 की एक और बड़ी उपलब्धि, इसमें ग्रहीय शक्ति मापने वाला उपकरण स्थापित किया गया

    1 min read
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    भारत का आदित्य एल1 अभियान एक बेहद सफल मुकाम पर पहुंच गया है। इसरो के शोधकर्ताओं ने ग्रहों की ताकत मापने वाला उपकरण मैग्नेटोमीटर बूम स्थापित करने में सफलता हासिल की है।

    आदित्य-एल1: भारत के अंतरिक्षयान आदित्य-एल1 ने अपने मिशन में एक बेहद अहम उपलब्धि हासिल की है। इसरो के शोधकर्ताओं ने ग्रहों की ताकत मापने वाला उपकरण मैग्नेटोमीटर बूम स्थापित करने में सफलता हासिल की है। इस मैग्नेटोमीटर बूम की मदद से सभी ग्रहों की चुंबकीय शक्ति को मापना संभव होगा। इस प्रकार, मैग्नेटोमीटर बूम का डेटा आदित्य-एल1 की सफलता के लिए मिशन का मार्गदर्शन करेगा।

    2 सितंबर, 2023 को भारत के आदित्य-एल1 रॉकेट ने सूर्य की ओर उड़ान भरी। भारत के आदित्य एल1 को पीएसएलवी रॉकेट के जरिए सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च किया गया। आदित्य एल1 ने पृथ्वी से करीब 5 लाख किलोमीटर की दूरी सफलतापूर्वक पूरी कर ली है। 6 जनवरी 2024 को आदित्य एल 1 सूर्य के निकट लैग्रेंज बिंदु पर पहुंचा। आदित्य 1 को सूर्य की प्रभामंडल कक्षा में स्थापित किया गया। सूर्य की कक्षा में प्रवेश करने के बाद आदित्य एल1 मिशन गंभीरता से शुरू हुआ।

    ग्रहों की शक्ति मापने का एक उपकरण स्थापित किया गया
    आदित्य-एल1 में लगे 6 मीटर लंबे मैग्नेटोमीटर बूम को सफलतापूर्वक तैनात और सक्रिय कर दिया गया है। आदित्य सोलर प्रोब को 11 जनवरी, 2024 को एल-1 पॉइंट पर तैनात किया गया था। आदित्य-एल1 का मैग्नेटोमीटर 132 दिनों के लिए बंद था। मैग्नेटोमीटर बूम के अंदर दो परिष्कृत, अत्यधिक सटीक फ्लक्सगेट मैग्नेटोमीटर सेंसर हैं। इस सेंसर की मदद से अंतरिक्ष में ग्रहों में चुंबकीय बल और उसके क्षेत्र का पता लगाना संभव होगा। ये सेंसर अंतरिक्ष यान से 3 मीटर और 6 मीटर की दूरी पर तैनात किए गए हैं। आदित्य-एल1 द्वारा उत्सर्जित बिजली से प्रभावित होने से बचने के लिए इन सेंसरों को कुछ दूरी पर रखा गया है।

    इन दोनों सेंसर की मदद से ग्रहों की चुंबकीय शक्ति के बारे में सटीक डेटा प्राप्त किया जा सकेगा। ये मैग्नेटोमीटर बूम कार्बन फाइबर प्रबलित पॉलिमर से बने होते हैं। दो मैग्नेटोमीटर को तैनात करने में 9 सेकंड का समय लगा। दोनों मैग्नेटोमीटर सक्रिय हैं। जल्द ही वे डाटा एकत्र कर भेजेंगे। यह डेटा अगले अभियान के लिए बहुत महत्वपूर्ण होगा।

    आदित्य एल1 सूर्ययान के साथ 7 अलग-अलग पेलोड
    भारत के आदित्य एल1 ने 7 अलग-अलग पेलोड अंतरिक्ष में लॉन्च किए हैं। ये पेलोड विभिन्न बिंदुओं पर सूर्य का अध्ययन करेंगे। इस पेलोड के जरिए शोध से प्राप्त डेटा और सूर्य से जुड़ी कई अहम जानकारियां उपलब्ध होंगी। इस मिशन के जरिए इसरो अगले पांच साल तक सूरज का अध्ययन करेगा।

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