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    April 22, 2025

    अनिल अंबानी की ₹96500000000 की डील में एक और अड़ंगा, मांग रहे 90 दिन की मोहलत, जानिए अब क्या पेंच फंसा।

    1 min read
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    अनिल अंबानी की दिवालिया कंपनी को खरीदार को मिल गया, लेकिन इस डील में एक के बाद एक बाधा आ रही है. सेबी, सीसीआई, आईआरडीएआई और आरबीआई से मंजूरी मिलने के बाद भी इस कंपनी की बिक्री में बाधा पहुंच रही है. दरअसल 9650 करोड़ रुपये की बोली लगाने वाली हिंदुजा समूह को 7000 करोड़ रुपये का कर्ज चाहिए.

    कर्ज में डूबी अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस कैपिटल को खरीदार मिल गया. हिंदुजा ग्रुप की इंडसइंड इंटरनेशनल होल्डिंग्स लिमिटेड (IIHL) ने 9650 करोड़ रुपये की सबसे ऊंची बोली लगाकार रिलायंस कैपिटल के अधिग्रहण का अधिकार हासिल कर लिया. हिंदुजा समूह को इस अधिग्रहण के लिए SEBI, CCI, IRDAI और RBI की ओर से क्लियरेंस भी मिल गया, लेकिन अब इस डील पर एक बार फिर से ग्रहण लग गया है.

    खत्म नहीं हो रही अनिल अंबानी की मुश्किल
    अनिल अंबानी की दिवालिया कंपनी को खरीदार को मिल गया, लेकिन इस डील में एक के बाद एक बाधा आ रही है. सेबी, सीसीआई, आईआरडीएआई और आरबीआई से मंजूरी मिलने के बाद भी इस कंपनी की बिक्री में बाधा पहुंच रही है. दरअसल 9650 करोड़ रुपये की बोली लगाने वाली हिंदुजा समूह को 7000 करोड़ रुपये का कर्ज चाहिए. बैंक्रप्‍सी (दिवालियापन) कोर्ट से करार को अंतिम रूप देने के लिए उसे 27 मई की समयसीमा से पहले 7000 करोड़ रुपये से अधिक का कर्ज लेना है.

    हिंदुजा समूह के सामने क्या है चुनौती
    दरअसल इस डील के लिए हिंदुजा समूह की कंपनी IIHL को 7 हजार करोड़ से अधिक कर्ज की जरूरत है. इसके लिए वो कई बैंकों से संपर्क में है, लेकिन कंपनी के पास अब समय कम है. उसे डेडलाइन 27 मई के खत्म होने से पहले ये लोन चाहिए. टाइम के साथ रेस लगा रही इस कंपनी को ऊंची ब्याज दरों की मांग, प्राइसिंग की चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है. ईकोनॉमिक्स टाइम्स की इस रिपोर्ट के मुताबिक बार्कलेज और स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक जैसे कर्जदाता 2000 करोड़ रुपये के लोन पर 15.5% कूपन मांग रहे हैं. कंपनी किफायती लोन की तलाश में है, लेकिन वक्त बहुत कम है.

    ऊंची ब्याज दर पर लोन की पेशकश
    कंपनी नॉन-बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनी 360 वन प्राइम से भी संपर्क में है, लेकिन उसकी ओर से भी 2500 करोड़ के लोन के लिए 15 फीसदी से ज्‍यादा ब्याज दर की डिमांड की जा रही है. बता दें कि दिवालिया प्रक्रिया से गुजर रही रिलायंस कैपिटल के रेजॉल्‍यूशन प्‍लान के लिए नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल ने 27 मई तक का वक्त दिया है. कंपनी इस डेडलाइन को पूरा करने में असहज हो रही है.

    भुगतान के लिए मांगा 90 दिन का समय
    इन मुश्किलों को देखते हुए रिलायंस कैपिटल के प्रशासक ने कर्ज समाधान योजना लागू करने की समयसीमा 90 दिन आगे बढ़ाने के लिए एनसीएलटी से मोहलत मांगी है. कंपनी ने शेयर बाजार को दी सूचना में कहा कि ऋणशोधन अक्षमता एवं दिवाला संहिता, 2018 की धारा 60(5) के तहत उन्होंने NCLT से 90 दिन की मोहलत मांगी है. बता दें कि एनसीएलटी ने 27 फरवरी को इंडसइंड इंटरनेशनल होल्डिंग्स लिमिटेड की तरफ से रिलायंस कैपिटल के लिए पेश कर्ज समाधान योजना को मंजूरी दी थी.

    अनिल अंबानी की कंपनी पर 40000 करोड़ रुपये का कर्ज
    गौरतलब है कि नवंबर 2021 में आरबीआई ने 40 हजार करोड़ के कर्ज में डूबी रिलायंस कैपिटल के बोर्ड को भंग कर दिया था. आरबीआई ने नागेश्वर राव वाई को प्रशासक नियुक्त किया गया था. चार आवेदकों ने शुरू में समाधान योजनाओं के साथ बोली लगाई थी, हालांकि, ऋणदाताओं की समिति ने कम बोली मूल्यों वाली इन समाधान योजनाओं को नकार दिया था. दूसरे राउंड में आईआईएचएल के साथ टॉरेंट इन्वेस्टमेंट्स ने बोली लगाई. 9650 करोड़ की सबसे ऊंची बोली लगाकर डील हिंदुजा समूह की आईआईएचएल ने हासिल कर लिया.

    क्या करती हैं रिलायंस कैपिटल?
    अनिल अंबानी की दिवालिया कंपनी रिलायंस कैपिटल की ट्रेंड बंद हो चुकी है. उसकी आखिरी वैल्यू 11 रुपये पर पहुंच चुकी थी. रिलायंस कैपिटल, कस्टमर्स को फाइनेंस से जुड़ी करीब 20 सर्विसेस देती थी. कंपनी के पास लाइफ इंश्योरेंस, जनरल इंश्योरेंस और हेल्थ इंश्योरेंस से जुड़ी सर्विसेज थी. इसके अलावा होम लोन, कमर्शियल लोन, इक्विटी और कमोडिटी ब्रोकिंग जैसे सेक्टर में कंपनी की सर्विसेस थी.

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