अचानक पलटी अनिल अंबानी की किस्मत! बेटे को मिली कामयाबी की चाबी, तिजोरी में बरसेगा पैसा।
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रिलायंस जय प्रॉपर्टीज प्राइवेट लिमिटेड की घोषणा के बाद रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर के शेयर में गिरावट देखी जा रही है. कंपनी का शेयर मंगलवार को गिरकर 222 रुपये पर आ गया और इसका मार्केट कैप 8,811 करोड़ रुपये रह गया.
अनिल अंबानी का कारोबार पटरी पर लौटने लगा है. कर्ज में डूबी रिलायंस कैपिटल की डील को लेकर हिंदुजा ग्रुप ने 2750 करोड़ रुपये एस्क्रो अकाउंट में जमा कर दिये हैं. इसके साथ ही अनिल अंबानी की रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर (Reliance Infrastructure) ने नई सब्सिडियरी कंपनी रिलायंस जय प्रॉपर्टीज प्राइवेट लिमिटेड (RJPPL) को लेकर घोषणा कर दी है. कंपनी की तरफ से शेयर बाजार को दी गई जानकारी में बताया गया कि यह कदम रियल एस्टेट सेक्टर में कंपनी के दायरे को बढ़ाने के लिए उठाया गया है. इसके बाद आरजेपीपीएल (RJPPL) के शेयर में गिरावट देखी गई. 13 अगस्त को कंपनी का मार्केट कैप 8,811 करोड़ रुपये रहा.
कंपनी रियलएस्टेट सेक्टर पर फोकस करेगी
रिलायंस जय प्रॉपर्टीज प्राइवेट लिमिटेड (RJPPL) को रिलायंस एनर्जी लिमिटेड की पूरी तरह से मालिकाना हक वाली सब्सिडियरी कंपनी के रूप में बनाया गया है. यह खुद रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर की सब्सिडियरी कंपनी है. आरजेपीपीएल (RJPPL) की शुरुआत 12 अगस्त, 2024 को की गई, जिसकी अधिकृत और भुगतान की गई शेयर पूंजी 1,00,000 रुपये है. इसे 10 रुपये प्रति शेयर की दर पर 10,000 इक्विटी शेयर में बांटा गया है. हालांकि यह नई बनी कंपनी रियलएस्टेट सेक्टर पर फोकस करेगी. कंपनी का टारगेट अलग-अलग संपत्तियों का अधिग्रहण, सेल्स, लीज और डेवलपमेंट करना है.
1 करोड़ 14 लाख घरों को मंजूरी मिल चुकी
रिलायंस की तरफ से यह कारोबारी विस्तार ऐसे समय में किया गया है जब देश का रियलएस्टेट सेक्टर शहरीकरण, बढ़ती आमदनी के लेवल और रेजिडेंशियल व कमर्शियल डेवलपमेंट को बढ़ावा देने के लिए सरकारी मदद से ग्रोथ कर रहा है. इस सेक्टर में एंट्री से रिलायंस इंफ्रा का टारगेट इन मौकों का फायदा उठाना और अपने रेवेन्यू सोर्स में विविधता लाना है. प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY) के तहत सरकार का मकसद साल 2022 तक 2 करोड़ सस्ते घर बनाने का था. साल 2023 तक करीब 1 करोड़ 14 लाख घरों को मंजूरी मिल चुकी है. इनमें से 97 लाख 10 हजार घर पहले ही बनकर तैयार हो चुके हैं या लोगों को सौंप दिए गए हैं.
100 स्मार्ट सिटी के लिए 48,000 करोड़ अलॉट किये
सरकार ने देशभर में 100 स्मार्ट सिटी बनाने के लिए 48,000 करोड़ रुपये (6.5 अरब डॉलर) अलॉट किये हैं. साल 2023 तक 1 लाख 93 हजार करोड़ रुपये (26 अरब डॉलर) की लागत वाली 7900 से ज्यादा प्रोजेक्ट के लिए ठेके दिए जा चुके हैं. इनमें से 93,500 करोड़ रुपये (12.6 अरब डॉलर) की लागत वाली 4700 से ज्यादा प्रोजेक्ट पूरी हो चुके हैं. अगर इंफ्रास्ट्रक्चर इनवेस्टमेंट की में किये गए निवेश की बात करें तो सबसे ज्यादा पैसा सड़कों और हाइवे पर खर्च किया गया है. इसके बाद रेलवे और शहरों में पब्लिक ट्रांसपोर्ट पर खर्च किया जा रहा है.
सरकार ने ट्रांसपोर्ट सेक्टर में बड़े लक्ष्य रखे हैं, जिनमें साल 2025 तक 2 लाख किमी लंबा नेशनल हाइवे नेटवर्क बनाना और एयरपोर्ट की संख्या 220 तक पहुंचाना शामिल है. इसके अलावा, 2030 तक 23 जलमार्गों को चालू करने और 35 मल्टी-मॉडल लॉजिस्टिक्स पार्क (एमएमएलपी) बनाने की योजना है. इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़े मंत्रालयों के लिए बजट साल 2023 में लगभग 3.7 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर साल 2024 में 5 लाख करोड़ रुपये हो गया है. इन सबके चलते निजी कंपनियों के लिए ट्रांसपोर्ट के अलग-अलग क्षेत्रों में काफी निवेश के मौके बन रहे हैं, जैसा कि इन्वेस्ट इंडिया ने बताया है.
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