कैंसर पर अमेरिकी वैज्ञानिकों का सबसे बड़ा शोध; जन्म से पहले ही आपको बीमारी के बारे में पता चल जाएगा!
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अमेरिकी शोधकर्ताओं ने कैंसर पर व्यापक शोध किया है।
कहा जाता है कि कैंसर एक ऐसी बीमारी है जो आपके दुश्मनों को भी नहीं होनी चाहिए। क्योंकि लक्षण, लागत और तनाव सभी दर्दनाक हैं। दुनिया भर में कैंसर रोगियों की संख्या बढ़ रही है। केंद्रीय राज्य मंत्री ने बताया कि अगले 6 महीने में कैंसर का टीका उपलब्ध हो सकता है। इस बीच, अमेरिकी शोधकर्ताओं ने कैंसर पर व्यापक शोध किया है। आइये इसके बारे में विस्तार से जानें।
पुरुषों को मौखिक और फेफड़ों का कैंसर होता है, जबकि महिलाओं को गर्भाशय और स्तन कैंसर होता है। इस बढ़ते खतरे को देखते हुए केन्द्र एवं राज्य स्तर पर विभिन्न उपाय किए जा रहे हैं। जिला अस्पताल में डे केयर सेंटर शुरू किया जाएगा। बीमारी का शुरुआती चरण में पता चलने पर इलाज आसान हो जाता है। इस पृष्ठभूमि में एक महत्वपूर्ण शोध सामने आया है।
यह प्रयोग किस पर किया गया?
अंतिम निष्कर्ष निकालने के लिए अमेरिकी शोधकर्ताओं द्वारा चूहों पर प्रयोग किए गए। इसमें ट्रिम-28 जीन के निम्न स्तर वाले चूहों में 2 अलग-अलग पैटर्न में कैंसर से संबंधित जीनों पर एपिजेनेटिक मार्कर पाए गए। ये पैटर्न प्रारंभिक अवस्था में विकसित होते हैं। हर असामान्य कोशिका कैंसर में नहीं बदलती; यह शोध अमेरिकी शोधकर्ताओं द्वारा रिपोर्ट किया गया था।
मिशिगन स्थित वान एन्डेल इंस्टीट्यूट के शोधकर्ताओं के अनुसार, कम जोखिम वाले कारकों वाले लोगों में ल्यूकेमिया जैसे तरल ट्यूमर विकसित होने का जोखिम अधिक होता है। उच्च जोखिम वाली स्थितियों में फेफड़े या प्रोस्टेट कैंसर का खतरा होता है। कैंसर के संबंध में नेचर कैंसर जर्नल में शोध प्रकाशित हुआ है। तदनुसार, कैंसर की दो अलग-अलग एपिजेनेटिक अवस्थाओं की पहचान की गई है, जो किसी व्यक्ति में कैंसर के जोखिम को निर्धारित करने में मदद करेगी। ये एपिजेनेटिक्स व्यक्ति में प्रथम चरण में ही विकसित हो जाते हैं। यह डीएनए को बिना बदले नियंत्रित करता है। शोध से पता चला है कि इनमें से एक स्थिति कैंसर के खतरे को कम करती है, जबकि दूसरी स्थिति कैंसर के खतरे को बढ़ाती है।
2020 में दुनिया भर में 10 मिलियन मौतें कैंसर के कारण हुईं। इससे हमें कैंसर की गंभीरता को समझने में मदद मिलेगी। हर 6 में से एक मौत कैंसर के कारण होती है। हमने स्तन और फेफड़े के कैंसर की घटनाओं में भी वृद्धि देखी है। रिपोर्ट में कहा गया है कि कैंसर से होने वाली 3 में से 1 मौत का कारण तंबाकू का सेवन, उच्च बीएमआई, शराब का सेवन, फलों और सब्जियों का कम सेवन तथा शारीरिक गतिविधि की कमी है।
कैंसर का टीका 6 महीने में बाजार में आ जाएगा
अगले छह महीनों में कैंसर का टीका बाजार में आ सकता है। केंद्रीय आयुष राज्य मंत्री प्रतापराव जाधव, जो आयुष मंत्रालय के प्रभारी हैं, ने बताया है कि कैंसर के लिए एक नए टीके पर शोध अंतिम चरण में है और इसका मानव परीक्षण शुरू हो गया है। प्रतापराव जाधव ने दावा किया है कि अगले सात से आठ महीनों में जब वैक्सीन बनकर तैयार हो जाएगी तो यह आम जनता के लिए उपलब्ध हो जाएगी। आईसीएमआर ने भारत में कैंसर रोगियों की बढ़ती संख्या पर चिंताजनक आंकड़े उजागर किए हैं।
आईसीएमआर के चौंकाने वाले आंकड़े
भारत में कैंसर रोगियों की संख्या 2.5 मिलियन से अधिक है। भारत में हर 8 मिनट में एक महिला कैंसर से मरती है। हर साल नये पंजीकृत कैंसर रोगियों की संख्या 7 लाख से अधिक हो जाती है। कैंसर से होने वाली मौतों की संख्या 5 लाख 56 हजार है। विश्व भर में स्तन कैंसर से पीड़ित हर दो महिलाओं में से एक महिला भारत से है। भारत में हर दिन 2500 लोग तंबाकू जनित कैंसर से मरते हैं। 5 में से एक पुरुष और 20 में से एक महिला धूम्रपान के कारण मरती है। 2010 में धूम्रपान के कारण मरने वालों की संख्या 930,000 थी।
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