गजब! मकड़ी से आया आइडिया, वैज्ञानिकों ने पुराने जख्म को ठीक करने का जाला बुन लिया।
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वैज्ञानिकों ने मकड़ी के जाल जैसा आर्टिफिशियल सिल्क तैयार किया है जिससे पुराने घावों को भरने के लिए बेहद-मजबूत बैंडेज बनाए जा सकते हैं.
शरीर के पुराने जख्म भरने का इलाज मिल गया है. मकड़ी के जालों से प्रेरणा लेते हुए, वैज्ञानिकों ने कृत्रिम जाल बुना है. इस आर्टिफिशियल जाल का इस्तेमाल अल्ट्रा-स्ट्रांग बैंडेज बनाने में किया जा सकता है. ये बैंडेज पुराने घावों को भरने के काम आ सकते हैं. मकड़ी का रेशम एक प्रोटीन फाइबर या रेशम है जो मकड़ियों द्वारा बुना जाता है. हजारों साल पहले से, मकड़ी के जालों का इस्तेमाल जख्मों को ठीक करने में होता आया है.
चीन की नानजियांग टेक यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स ने जो रेशमी पट्टियां तैयार की हैं, उन्हें एक 3D प्रिंटिंग सेटअप की मदद से आसनी से घुमाया जा सकता है. ये इतनी मजबूत और स्थिर हैं कि कुछ मेडिकल कंडीशंस के इलाज में भी यूज की जा सकती हैं. टीम ने चूहों पर इनका टेस्ट करके भी देखा है. आम पट्टियों के मुकाबले, इन नई पट्टियों से जख्म जल्दी ठीक हो गए.
स्मार्ट मैटेरियल बनाने में भी हो सकता है इस्तेमाल
रिसर्चर्स के मुताबिक, इन नए सिल्क पट्टियों से पर्यावरण को कोई नुकसान नहीं होगा. उन्होंने बताया कि ये बैंडेज बायोकम्पैटिबल और बायोडिग्रेडेबल हैं. रिसर्चर्स ने कहा, ‘हमें लगता है कि सटीक स्पिनिंग स्ट्रेटजी पर आधारित आर्टिफिशियल स्पाइडर सिल्क अगली पीढ़ी के स्मार्ट मैटीरियल्स को बनाने का बेहद प्रभावी तरीका है.’
बेहद खास होते हैं मकड़ी के जाले
घावों के इलाज के लिए मकड़ी के जालों का इस्तेमाल प्राचीन रोम के समय से होता आ रहा है. लेकिन बड़े पैमाने पर इनका मेडिकल इस्तेमाल संभव नहीं हो पाया. क्योंकि रेशम के कीड़ों से मिलने वाले सिल्क के उलट, मकड़ी के जाले से रेशम की कटाई करना बेहद मुश्किल है. 2021 की एक स्टडी कहती है कि प्राकृतिक रूप से उत्पादित मकड़ी के रेशम का उपयोग करने से बैक्टीरिया के संक्रमण का जोखिम भी बढ़ जाता है.
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